मुनि श्री मोहजीतकुमारजी सानन्द चातुर्मास परिसम्पन्न कर किया चेन्नई से मंगल प्रस्थान
चेन्नई : युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के पावन निर्देशानुसार उनके सुशिष्य मुनि मोहजीतकुमारजी मुनि भव्यकुमारजी एवं मुनि जयेशकुमारजी के सान्निध्य में प्रथम बार किलपॉक, चेन्नई में आयोजित पावस प्रवास 2025 सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। मुनि-त्रय ने चेन्नई के अनेक उपनगरीय क्षेत्रों में परिभ्रमण करने के उपरांत 6 जुलाई 2025 को भिक्षु निलयम, किलपॉक में चातुर्मासिक प्रवेश किया। प्रवेश के साथ ही श्रद्धालुजनों का आवागमन बड़े स्तर पर प्रारंभ हुआ तथा मुनिवरों के स्वागत में आयोजित समारोह अपनी विशिष्ट छाप छोड़ गया। प्रतिदिन प्रातःकालीन महावीर वाणी एवं भिक्षु दर्शन का नियमित प्रवाह जारी रहा।
चातुर्मास के समग्र उपक्रमों का दायित्व श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, किलपॉक ने संभाला। विविध वर्गीय गतिविधियों के सुचारु संचालन हेतु तेरापंथ महिला मंडल, युवक परिषद्, किशोर मंडल तथा कन्या मंडल आदि इकाइयों का नवगठन किया गया। इन इकाइयों ने पूर्ण उत्साह और निष्ठा के साथ अनेक कार्यक्रमों को नवीनता के साथ प्रस्तुत किया, जिसने चातुर्मास को अभूतपूर्व आयाम प्रदान किए।
युवाओं के संस्कार निर्माण के उद्देश्य से मुनि जयेशकुमारजी द्वारा संचालित निर्ग्रन्थ दर्शन एवं शानिवारीय कार्यशाला विशेष रूप से युवा वर्ग को जोड़ने में सफल रही। त्रिदिवसीय जीवन निर्माण शिविर में 90 से अधिक बालकों ने भाग लिया, वहीं “A Day Like Monk” कार्यक्रम में 51 साधकों ने मुनिचर्या का अनूठा अनुभव प्राप्त किया।
किशोर व कन्याओं द्वारा आयोजित प्रतियोगिताएं ज्ञान बिकास का माध्यम बनी।
विशिष्ट आयोजनों में विघ्नहर ह्रींकार अनुष्ठान मुख्य आकर्षण रहा, जिसमें 151 जोड़ों ने सहभागिता की। इसके अतिरिक्त अनेक अनुष्ठानों का आयोजन श्रावकों की आस्था का केंद्र बना।
आचार्य भिक्षु जन्म त्रि-शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में प्रत्येक त्रयोदशी पर कुल पाँच भिक्षु भजनोत्सवों का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें देशभर के सुप्रसिद्ध गायक कलाकारों ने अपनी सुरीली प्रस्तुति दी।
तप अभिनंदन समारोह में तीन मासखमण सहित 70 से अधिक तपस्वियों का सम्मान किया गया।
सांस्कृतिक उपक्रमों में पाँच दिवसीय तेरापंथ हस्तकला प्रदर्शनी कला के माध्यम से जीवन-बोध देने वाली सिद्ध हुई।
इसी क्रम में मोटिवेशनल गुरु श्री महात्रिया के साथ आयोजित “How to See a Guru” कार्यक्रम ने जैनेतर समाज में भी विशेष प्रभाव छोड़ा।
मुनि-त्रय ने 5 नवंबर को मंगल-भावना समारोह के पश्चात 6 नवंबर 2025 को चातुर्मासिक विहार किया तथा विभिन्न उपनगरों से होते हुए मंगलवार रेड हिल्स के निकट चेन्नई महानगरीय सीमा से मंगल प्रस्थान किया।
गुरुनिर्देशानुसार मुनिवर आगे आंध्र प्रदेश के तिरुपति, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम होते हुए उड़ीसा की ओर विहार करेंगे।

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