साधक साधना शिविर का हुआ आयोजन


¤ 51 साधकों ने की एकदिवसीय साधुसम साधना 

किलपॉक, चेन्नई : भारतीय संस्कृति के उत्थान में सन्त महात्माओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वर्तमान युग में इस संत संस्कृति संवर्धन के सोद्देश्य भिक्षु निलयम, किलपाॅक में मुनि श्री मोहजीतकुमारजी ठाणा 3 के सान्निध्य में तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में तेरापंथ किशोर मंडल, किलपॉक के द्वारा एकदिवसीय साधक साधना का विशिष्ट उपक्रम चला। जिसमें 51 सदस्यों ने भाग लेकर अपने आप को साधुचर्या से सम्बद्ध किया।

 प्रातःकाल सूर्योदय के साथ ही मुनि श्री मोहजीतकुमारजी ने सभी साधको को साधना की उपसम्पदाओं से संकल्पित करवाया। https://youtu.be/SxJ5nyK3OFA?si=smx3BjXwcBgT9AgN


सभी साधक मुनि वेशभूषा में रहे। साधक संरक्षक श्री ताराचंद बरलोटा ने संभागी साधकों को रजोहरण प्रदान किया। मुनि श्री जयेशकुमारजी ने भगवान महावीर द्वारा उल्लेखित साधुचर्या की तरह सभी साधकों को पूर्ण जागरूकता के साथ पूरा दिन बिताने की प्रेरणा दी। उसके पश्चात उन्होंने 10 साधक लीडरों की नियुक्ति कर उनके साथ अन्य साधको का नियोजन किया, वे सभी साधक लीडरों के दिशानिर्देश में संलग्न रहे।


 मुख्य प्रवचन में मुनि श्री मोहजीतकुमारजी ने कहा कि साधना के प्रति अंतर का भाव जागृत होने पर साधना फलीभूत हो जाती है। संभागी साधकों के साथ समुपस्थित श्रावक समाज को विशेष पाथेय प्रदान करते हुए मुनिवर ने कहा कि हमारी देव, गुरु, धर्म के प्रति श्रद्धा सघन हो। आस्था अटूट होने पर हम परम की प्राप्ति कर सकते है। संकल्पों से परिपूर्ण बनने से साधना शिखर चढ़ती है। आपकी की यह साधना एक दिन की ही नहीं, अपितु जीवन भर की बने। हर प्रवृत्ति में सजग रहे। वीतरागता की दिशा में आगे बढ़े। साधना का सत्व बढ़ता रहे।


 प्रवचन के बाद साउंड हिलीगं का प्रयोग करवाया गया। मध्याह्न में मुनि श्री मोहजीतकुमारजी के केश लुंचन का दृश्य सभी साधकों ने अपनी आँखों से निहारा। संध्या गुरु वन्दना, प्रतिक्रमण के पश्चात 'एक मुमुक्षु की संयम यात्रा' में मुनि श्री जयेशकुमारजी ने अपने जन्म से लेकर अभी तक की साधना यात्रा का वृत्तांत सुनाया। पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन में चित्र, वीडियो के साथ उनकी यात्रा को देखकर पूरी जनमेदिनी भाव विभोर हो गई। रात्रि आत्मनिरीक्षण, आत्मदर्शन के साथ सभी साधकों ने शयन किया। प्रातःकाल बह्म मुहूर्त में सभी ने रात्रिक प्रतिक्रमण कर गुरु वन्दना की। प्रतिलेखन के पश्चात सूर्योदय के समय मुनिप्रवर ने मंगल पाठ के साथ साधना परिसम्पन्नता की घोषणा की। इस साधना शिविर में किशोर मंडल संयोजक हर्ष डूंगरवाल, प्रथम कोठारी, संयम रायसोनी, दीक्षित, विशाल इत्यादी किशोरों के साथ तेरापंथ सभाध्यक्ष श्री अशोक परमार के साथ अशोक आच्छा, चन्द्रप्रकाश बोथरा, माणकचंद बोथरा का विशेष योगदान रहा। तेरापंथ सभा, तेयुप, महिला मण्डल के कार्यकर्ताओं का श्रम नियोजित हुआ।