बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे आचार्यश्री महाप्रज्ञ - साध्वी डॉ गवेषणाश्री
रेडहिल्स, चेन्नई : युवामनीषी आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या डॉ साध्वीश्री गवेषणाश्रीजी के सान्निध्य में "आचार्य श्री महाप्रज्ञजी का 105वॉ जन्मदिवस" जैन भवन रेडहिल्स, चेन्नई के प्रांगण में मनाया गया।
आराध्य की अभीवन्दना में डॉ साध्वी गवेषणाश्री ने कहा कि आचार्य श्री महाप्रज्ञजी की तलहटी से शिखर की, अज्ञ से प्रज्ञ तक की यात्रा है। जिन्होंने उन्मुक्त आकाश की भांति अपने शुभ भविष्य के निर्माण हेतु अथक परिश्रम किया। आपको चार चीजें बचपन से बहुत पसंद थी- कंघा, टॉर्च, घड़ी और दर्पण। कंघा से उन्होंने समाज की उलझी हुई गुत्थियों को सुलझाने का प्रयास किया। टार्च के द्वारा स्वयं प्रकाशक बने, घड़ी के योग से टाइम मैनेजमेन्ट का सूत्र दिया।
साध्वीश्री मयंकप्रभाजी ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का संयमबल, विचारबल, आचारबल, समर्पणबल उत्कृष्ट था। आप एक पॉजिटिव, एनर्जिटिक और कॉन्फिडेंट पर्सन थे। साध्वीश्री मेरुप्रभाजी ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की।
कार्यक्रम की शुरुआत रेडहिल्स तेरापंथ महिलाओं के मंगलाचरण से हुई। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के अध्यक्ष श्री रमेश डागा ने महाप्रज्ञ के व्यक्तित्व और कर्तृत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आपने जैन समाज एवं मानव जाति को प्रेक्षाध्यान और जीवन विज्ञान का उपहार दिया। सुनिता एवं श्रीमती संगीता डागा ने भाव पूर्ण शब्दचित्र प्रस्तुत किया।
प्रखरवक्ता श्री गौतमचन्द सेठिया ने बहुआयामों के धनी महाप्रज्ञजी पर विचार रखते हुए कहा कि आपका चिन्तन, प्रतिभा, संकल्प बल, आत्मबल, समर्पण निष्ठा ने तेरापंथ संघ में नवोन्मेष उद्घाटित किये तथा आपने अपनी कलम से साहित्य के भंडार को भरा। माधावरम ट्रस्ट प्रबंधन्यासी श्री घीसुलाल बोहरा, उत्तर चेन्नई तेरापंथ सभाध्यक्ष श्री इन्दरचन्द डुंगरवाल, तेयुप उपाध्यक्ष श्री कोमल डागा ने अपने विचार रखे।
कुशल मंच संचालन साध्वीश्री दक्षप्रभा ने किया तथा आभार ज्ञापन श्री गणपतराज डागा ने दिया।
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