श्रवण शक्ति का करें सदुपयोग : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

★ श्रद्धासिक्त गोरेगांववासियों ने ज्ञानगंगा में लगाई डुबकी

◆ साध्वीप्रमुखाजी व साध्वीवर्याजी ने जनता को किया उद्बोधित

◆ गोरेगांववासियों ने अपने आराध्य की अभिवंदना में दी प्रस्तुति

18.06.2023, रविवार, गोरेगांव, मुम्बई (महाराष्ट्र) : भव्य नागरिक अभिनंदन समारोह के उपरान्त त्रिदिवसीय प्रवास के लिए गोरेगांव में स्थित बांगुर नगर के बांगुर विद्या भवन में विराजमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के श्रीमुख से प्रातःकाल के मंगलपाठ श्रवण का लाभ, निकट सेवा, दर्शन, उपासना के उपरान्त गोरेगांववासियों को प्रथम मंगल प्रवचन श्रवण का लाभ प्राप्त हुआ तो गोरेगांववासी प्रसन्नता से खिल उठे। गोरेगांववासियों को साध्वीप्रमुखाजी व साध्वीवर्याजी ने भी संबोधित किया। अपने आराध्य के त्रिदिवसीय प्रवास को प्राप्त कर हर्षित गोरेगांववासियों ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद भी प्राप्त किया। 

रविवार को प्रवास स्थल से लगभग आधा किलोमीटर दूर स्थित बांगुर नगर के बांगुर स्पोर्टस काम्पलेक्स में बने महावीर समवसरण में प्रवचन पण्डाल में उपस्थित जनता को आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी व साध्वीप्रमुखा साध्वी विश्रुतविभाजी ने उद्बोधित किया। 

तदुपरान्त युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि मनुष्य पंचेन्द्रिय प्राणी है। जिसके पांच कान होते हैं, वह पंचेन्द्रिय प्राणी ही होता है। कान से आदमी सुनता है। यह श्रवण शक्ति ज्ञान प्राप्ति का माध्यम बनती है। इसलिए आदमी को श्रवण शक्ति का सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी सुनकर ज्ञान का अर्जन करता है। आंखों से देखकर, पढ़कर और कानों से सुनकर ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। सुनकर आदमी अच्छी बात अर्थात कल्याण और बुरी बात अर्थात पाप को भी जान लेता है। जान लेने के आदमी के लिए जो श्रेय हो, श्रेष्ठ हो, अनुकरणीय हो उसे करने का प्रयास करना चाहिए। 

कोई बोलने वाला होता है, तभी सुना भी जा सकता है। यदि कोई वक्ता ही न हो तो श्रोता भला क्या सुन सकता है, किन्तु श्रोता न भी हों तो भी वक्ता बोल सकता है। बोलने वाला भी अच्छा बोलने वाला हो और श्रोता भी अच्छी तरह से सुनने वाले हों तो अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है। आदमी को अच्छी बातों को सुनने और उसे ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए। बुरी बातों के श्रवण में रस नहीं लेना चाहिए। साधु-संतों की वाणी के श्रवण से कितना ज्ञान प्राप्त हो सकता है, समाधान प्राप्त हो सकता है कोई कल्याण का मार्ग भी प्राप्त हो सकता है। परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी और परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की मंगलवाणी से कितनों लाभ प्राप्त हुआ होगा, मार्गदर्शन व समाधान भी प्राप्त हुआ होगा। 

वक्ता होना भी एक कला की बात होती है। आवाज अच्छी हो, बोलने की कला अच्छी हो, प्रस्तुतिकरण अच्छा हो, तैयारी अच्छी और प्रभावशाली हो तो सुनने वाले का कल्याण हो सकता है। आचार्यश्री ने गोरेगांवासियों को आशीष प्रदान करते हुए कहा कि यहां खूब अच्छा धार्मिक-आध्यात्मिक विकास होता रहे। उपासक श्रेणी के सदस्य मुमुक्षु संख्या वृद्धि का भी प्रयास करें। 

आचार्यश्री के स्वागत में उपस्थित आमदार श्रीमती विद्या ठाकुर ने आचार्यश्री के अभिनंदन में अपनी अभिव्यक्ति दी। बांगुर विद्या भवन के ट्रस्टी श्री नारायण करवा, स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री जतनलाल सिंघवी, श्री भीखमचंद नाहटा, श्री अमित मेहता, श्री एस.एस. गुप्ता आदि ने भी पूज्यप्रवर के स्वागत में अपनी अभिव्यक्ति दी।

संसारपक्ष में गोरेगांव से सम्बद्ध साध्वी लाव्यप्रभाजी, साध्वी भव्ययशाजी, साध्वी संगीतप्रभाजी ने अपने आाराध्य के समक्ष अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। साध्वी कैलाशवतीजी की सहवर्ती साध्वी पंकजश्रीजी ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त करते हुए सहवर्ती साध्वियों संग गीत का संगान किया। तेरापंथ कन्या मण्डल व व स्थानीय तेरापंथ समाज ने अपने-अपने स्वागत गीतों का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी।

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