विश्वपटल पर सफलता की विजय वैजयन्ती फहराऐ -मुनि श्री अर्हतकुमार


बोईसर (मुम्बई) : सफलताए संयोग से नहीं मिलती। सफलता समर्पण चाहती है। हर सफल व्यक्ति के जीवन का महत्व श्रम व निष्टा की नींव पर ही टिका होता है। आज व्यक्ति केवल बस डीग्री में उलजकर रह गया है। परन्तु अब हमें जीवन की M B A करनी है। वरना आपका जीवन समंदर मे भटकी हुई किश्ती की तरह हो जाएगा, जो बिना लक्ष्य के पानी के थपेड़ो के बीच अपने बजूद को बचाने के लिए विवश होती है। हमारा अस्तित्व उस किश्ती की तरह बनकर न रह जाएँ। हम अपना एक लक्ष्यनिर्धारित करे और जीवन की M.B.A करने के लिए दिलो जान से जुड़ जाए। उपरोक्त विचार धर्मपरिषद् को सम्बोधित करते हुए मुनि श्री अर्हत् कुमारजी ने कहें।

मुनिश्री ने आगे कहा कि जीवन की M B A करने के लिए अपने मन के बोझ को उतार फेके। सुखी जीवन का स्वामी वही है, जो किसी भी प्रकार का बोझ अपने मन में नही रखता। स्वस्थ सुंदर तन की अपेक्षा, स्वस्थ सुंदर मन की भूमिका कहीं अधिक होती है। हमारे देखने के नजरिया सकारात्मक होना चाहिए। यह ऐसा सर्वकल्याणकारी मंत्र है जो जिन्दगी मे कभी भी निराशा का अंधकार नहीं होने देता। वर्तमान मे जीकर विश्व पटल पर अपनी सफलता की विजय बैजयंती फहराऐ। मुनिश्री जयदीपकुमार ने आपने विचार व्यक्त किए

समाचार साभार : ममता परमार

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