सकारात्मक ऊर्जा से व्यक्ति मंजिल प्राप्त कर सकता है - मुनिश्री जिनेशकुमार


◆ तेरापंथ महिला मण्डल द्वारा "मंजिले" कार्यशाला का आयोजन

उत्तरपाडा हुगली, कोलकाता 03.03.2023 ; आचार्य महाश्रमण के सुशिष्य मुनिश्री जिनेशकुमारजी ठाणा-3 के सान्निध्य में व अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार और स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में मंजिले कार्यशाला का आयोजन सम्पतमलजी बाफना के निवास स्थल पर हुआ। जिसमें भाई बहिनों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। 

इस अवसर पर मुनिश्री जिनेश कुमार ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति मंजिल प्राप्त करना चाहता है। मंजिल उसी को प्राप्त होती है, जिसका लक्ष्य सम्यक होता है। जिसका मनोबल मजबूत होता है, उत्साह का भाव होता है, दृढ संकल्प होता है। वह अपनी इच्छित मंजिल को प्राप्त कर सकता है।

 मुनिश्री ने आगे कहा जैन दर्शन के अनुसार हमारा लक्ष्य होना चाहिए वीतरागता। वीतराग का अर्थ है- रागद्वेष से मुक्ति। जो आत्मा कषाय से मुक्त होती है वह पूर्ण वीतराग कहलाती है। वीतरागता की साधना के लिए असंग्रह की भावना, अनासक्ति, अनावेश, अनाग्रह- चार अकार उपयोगी सिद्ध होते है। संग्रह की मनोवृत्ति साधक को साधना से च्युत करें देती है। संग्रह‌ की मनोवृत्ति बड़ी घातक होती है। कभी कभी नींद भी खराब हो जाती है। व्यक्ति भय व तनाव में रहता है। किसी भी वस्तु के प्रति ममत्व का भाव न रखना अनासक्ति है। व्यक्ति को हमेशा कमल की तरह निर्लिप्त रहना चाहिए। स्वयं को नियंत्रण में रखना और आग्रह मुक्ति जीवन जीना चाहिए। अनेकांत दृष्टि आग्रह से मुक्ति दिलाने वाला तत्व है। रसोई मे खिचड़ी पकती है, तो  अस्वस्थ तन को स्वस्थ बना देती है। दिमाग में जो खिचड़ी पकती है तो वह स्वस्थ तन को अस्वस्थ बना देती है। व्यक्ति निषेधात्मक भावों से बचे। सकारात्मक ऊर्जा से व्यक्ति इच्छित मंजिल की ओर कदम बढ़ा सकता है।


 मुनिश्री कुणालकुमारजी ने मधुर गीत का संगान किया। तेरापंथ महिला मंडल की बहिनों ने प्रेरणा गीत गाया और सीमा गिडिया ने विचार रखे रखते हुए आभार व्यक्त किया। मुनिश्री के सान्निध्य में पावर ऑफ साइलेन्स कार्यशाला का भी आयोजन हुआ।


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