नारी तप, त्याग, शक्ति, संयम की जीवंत प्रतिमा - मुनिश्री जिनेशकुमार
★ पुलिस थानाधिकारी श्रीमती पियाली विश्वास को प्रदत्त किया 'प्रेरणा सम्मान'
◆ अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रेरणा सम्मान एवं तालमेल कार्यक्रम का आयोजन
रिसड़ा (पश्चिम बंगाल) 11.03.2023 ; युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेशकुमारजी ठाणा-3 के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशन में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रेरणा सम्मान एवं तालमेल कार्यक्रम का आयोजन तेरापंथ महिला मंडल द्वारा रिसड़ा सेवक संघ में किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पियाली विश्वास (रिसड़ा पुलिस थानाधिकारी), मुख्य वक्ता श्रीमती सूरज बरडिया (मुख्य ट्रस्टी अभातेममं, प्रेरक वक्ता सुश्री पूजा रितु बोथरा (मोटीवेशनल स्पीकर), राष्ट्रीय बंगाल प्रभारी श्रीमती सोनम बागरेचा, पार्षद श्रीमती शशिसिंह आदि गणमान्य महिलाओं की विशेष उपस्थिति रही।
इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेशकुमारजी ने कहा कि नारी ममता का मंदिर, दिल का दरिया, विनय का वैभव, समर्पण की साधना है। त्याग उसका स्वभाव व प्रधान उसका धर्म है। दुनिया को संवारने, सजाने वाली व संस्कृति को सुरक्षित रखने वाली एक विशिष्ट शक्ति का नाम नारी है। नारी समाज की संरक्षिका है। भारत की नारी तप, त्याग, शक्ति व संयम की जीवंत प्रतिमा है। वह अंधकार से घिरे संसार में मानवता की जगमगाती तारिका है। पति के लिए चरित्र, संतान के लिए ममता, समाज के लिए शील, विश्व के लिए दया, जीवमात्र के लिए करुणा संजोने वाली प्रकृति का नाम नारी है।
मुनिश्री जिनेशकुमारजी ने आगे कहा कि नारी सशक्तिकरण के पाँच बिन्दु है- आरोग्य, शिक्षा, स्वावलम्बन, संस्कार संवर्धन व तालमेल। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाएँ सहिष्णुता एवं सामंजस्य के भावों को वृद्धिंगत कर समाज व देश के गौरव को आगे बढ़ाएं। रिसड़ा तेरापंथ महिला मंडल मे यह कार्यक्रम आयोजित कर महिलाओं को कुछ सीखने का मौका दिया है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि कभी पीपल के पत्तों जैसे मत बनिये जो वक्त आने पर सुखकर गिर जाते हैं, जिन्दगी में हमेशा मेहन्दी के पत्तो की तरह बनिए जो खुद घिसकर भी दूसरों की जिंदगी मे रस भर देती है।
मुनिश्री परमानंदजी ने कहा कि हर स्त्री का यह संकल्प हो कि "मैं स्त्री के गौरव को नहीं गिरने दूँगी," तो प्रेरणा सम्मान और तालमेल दोनों हो जाएगा। स्त्री द्वारा किसी स्त्री का अपमान अथवा तिरस्कार नहीं करना, स्त्री जाति का सम्मान व गौरव है। मुनिश्री कुणालकुमारजी ने सुमधुर गीत का संगान किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि पियाली विश्वास ने कहा कि एक नारी ही है जो घर और बाहर दोनों जगहों को अच्छे से संभालती है। तेरापंथ महिला मंडल ने जो मुझे प्यार और सम्मान दिया उसके लिए मैं आभार व्यक्त करती हूँ।
मुख्यवक्ता श्रीमती सुरज बरडिया ने कहा भारतीय महिला होना गौरव की बात है। महिला समर्पित, रक्षिता, रोहिणी का दायित्व निर्वाह करती है। महिलाओं का दायित्व है कि वे किस प्रकार शिक्षा के साथ संस्कृति की सुरक्षा करें। दीवारें भले ऊंची न हो, परंतु आदर्श हमेशा ऊँचे होने चाहिए। महिलाएं तालमेल के साथ विकास करे। रिसड़ा महिला मंडल ने यह कार्यक्रम रखकर साहस एवं उत्साह का परिचय दिया है। प्रेरक वक्ता सुश्री पूजा रितु बोथरा ने कहा कि तालमेल एवं नारी सशक्तिकरण के लिए जरूरी है- विनम्रता, वात्सलता, कार्य कुशलता, संवाद शैली, संवेदशीलता गुरु निष्ठा और समर्पण। स्मार्ट फोन रखें या नहीं, पर सोच अवश्य स्मार्ट रखें।
पार्षद श्रीमती शशिसिंह ने कहा कि समाज को आगे ले जाने का दायित्व महिला शक्ति पर है। शाखा प्रभारी श्रीमती सोनम बागरेचा ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल की बहिनों के प्रेरणा गीत के संगान से हुआ। स्वागत भाषण रिसड़ा तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा सुर्या महनोत ने दिया। महिला दिवस पर तेमम की सदस्याओं व कन्या मंडल ने गीत का संगान किया। आभार ज्ञापन मंत्री सुनिता सुराणा ने किया। कार्यक्रम का संचालन मधु महनोत ने किया। इस अवसर पर रिसड़ा पुलिस थानाधिकारी श्रीमती पियाली विश्वास को तेरापंथ महिला मंडल रिसड़ा द्वारा प्रेरणा सम्मान प्रदान किया गया। इस अवसर पर कई शाखा मंडल बहिनों की उपस्थिति रही।
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