श्री आऊवा बहु मण्डल की त्रैमासिक संगोष्ठी
★ भगवान महावीर ने सिखाया अध्यात्म का पाठ
बंगलुरू : श्री आऊवा जैन महिला मंडल के अंतर्गत संचालित श्री आऊवा बहु मंडल की त्रैमासिक संगोष्ठी त्यागराजनगर स्थित श्रीमती अरुणा दिलीपजी रायसोनी के निवास स्थान पर आयोजित हुई।
विषय प्रस्तुति संयोजिका बिन्दु रायसोनी ने कहा कि महावीर ने सिखाया कि आध्यात्मिकता, मुक्ति के लिए अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के व्रतों का पालन आवश्यक है। उन्होंने अनेकांतवाद के सिद्धांतों की शिक्षा दी। जो सुख, शांति, समृद्ध जीवन के लिए आवश्यक है।
विषय गणगौर एवं महावीर जन्म कल्याणक के इतिहास की जानकारी देते हुए स्नेहा इसरानी ने कहा कि गणगौर पर्व का इतिहास बहुत पुराना है। यह व्रत माता पार्वती ने शिव के लिए किया था। इस व्रत को महिलाएं अपने मायके में पति से बिना बताएं ही करती हैं। चैत्र कृष्ण तीज को गणगौर पर्व 16 दिनों तक लगातार मनाया जाने वाला पर्व है। गणगौर पर्व होली के दूसरे दिन से ही शुरू हो जाता है और होली के बाद 16 दिन तक लगातार मनाया जाता है। गणगौर का पर्व हिंदी कैलेंडर के हिसाब से चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया को से मनाना शुरू किया जाता है।
आशा रायसोनी ने बताया कि अहिंसा, संयम और तप ही धर्म है। भगवान महावीर ने बताया है- मन में सदा जिनके धर्म रहता है, उसे देवता भी नमस्कार करते हैं। भगवान महावीर ने सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह, क्षमा पर सबसे अधिक जोर दिया। त्याग और संयम, प्रेम और करुणा, शील और सदाचार ही जीवन का सार रहे।
नवोदित सदस्य नेहा पावेछा ने अपना परिचय दिया। मनीषा जैन ने प्रतियोगिता करवाई एवं विजेताओं को पुरस्कृत किया। गीत-संगीत-नृत्य एवं हर्षोल्लास के साथ यह गणगौर पर्व मनाया गया। रायसोनी गृहिणियों द्वारा मंगलाचरण हुआ। अध्यक्ष दुर्गा सुराणा ने स्वागत किया। संचालन मंत्री शीतल चोपड़ा ने किया। उपाध्यक्ष शांति रायसोनी उपस्थित थे।
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