संस्कार निर्माण की बुनियाद है- ज्ञानशाला : मुनिश्री जिनेशकुमार
★ नवीन ज्ञानशाला का शुभारम्भ
लिलुआ, कोलकाता 18.02.2023 : युगप्रधान शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेशकुमारजी के सान्निध्य में तथा तेरापंथ सभा के तत्वावधान में जी. टी. रोड लिलुआ में विधिवत ज्ञानशाला शुभारंभ का कार्यक्रम हुगली रेसीडेन्सी में हुआ। जिसमें 13 बालक बालिकाए थे।
इस अवसर पर मुनिश्री जिनेशकुमारजी ने कहा कि संस्कार जीवन की बुनियाद है। सद्संस्कारों का ज्ञान वर्तमान युग में अक्षर ज्ञान से भी ज्यादा जरूरी है। इसके बिना किताबी ज्ञान के महत्ता की सुरक्षा कैसे की जा सकेगी। शिक्षा के साथ सद्संस्कारों का ज्ञान जरूरी है। जीवन के सुनहरे सपनों को साकार रूप देने वाला तत्व है- संस्कार। संस्कारों के जागरण से भाग्योदय, सर्वोदय, आत्मोदय होता है। संस्कारों के संवर्धन, संरक्षण व पल्लवन के लिए ज्ञानशाला जरुरी है। ज्ञानशाला के माध्यम से व्यक्ति चहुंमुखी विकास कर सकता है। ज्ञानशाला आचार्य श्री तुलसी का महत्वपूर्ण आयाम है और नौनिहाल पीढी को चारित्रवान बनाने का विशेष उपक्रम है। आज ज्ञानशाला का शुभारंभ हुआ। प्रशिक्षिकाएं उत्साह व निष्ठा के साथ बच्चों के विकास में सहयोगी बने।
मुनिश्री कुणालकुमारजी ने विचार रखे। कलकत्ता व दक्षिण बंगाल प्रभारी डा. प्रेमलता चौरडिया ने ज्ञानशाला के बारे में बताया। क्षेत्रीय ज्ञानशाला सहयोगी मंजु जी घोड़ावत, ज्ञानशाला प्रशिक्षिका बबीता पारख, वन्दना बरडिया, तेरापंथ सभा के अध्यक्ष प्रमिलजी बाफणा ने भी विचार रखे। ज्ञानार्थी पारस लुणिया ने गीत का संगान किया। प्रिया डागा एवं मनीषा दुग़ड ज्ञानशाला में सहायक के रूप में सेवाएं देगी। वन्दना बरड़िया को मुख्य प्रशिक्षका के रूप में मनोनीत किया गया। इस अवसर पर जैन समाज के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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