जीवन का सबसे बड़ा धर्म है- जागरुकता : मुनिश्री जिनेश कुमार
★ लिलुआ में हुआ मंगल प्रवेश
लिलुआ 07.02.2023 ; युगप्रधान, शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेशकुमारजी अपने सहवर्ती संत मुनिश्री परमानंदजी व मुनिश्री कुणालकुमारजी के संग तेरापंथ सभा भवन, लिलुआ में भव्य जुलुस के साथ प्रवेश किया। जुलुस सभा में परिवर्तित हुआ।
स्वागत समारोह में श्रद्धालुओं को प्रेरणा देते हुए मुनिश्री जिनेशकुमारजी ने कहा कि जीवन का सबसे बड़ा धर्म है जागरुकता। जागरुकता के बिना साधना नहीं हो सकती। जो मूर्च्छा में जीते हैं, वे मूर्ख होते हैं। जो जागृत अवस्था में जीते है, वे होशियार व समझदार होते है। मूर्च्छा के अनेक रूप है- विकथा, विषयासक्ति, कषाय नींद, नशा आदि। व्यक्ति प्रमाद को छोड़ें और जीवन को मोड़े। यदि जीवन को जानना और जीना है, तो जागना अनिवार्य है। जिसका अंतस् सोया हुआ है, वह जागकर भी सोया है। जागना दुर्लभ है। जीवन को जागरण के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए पांच प महत्वपूर्ण है। पर्युपासना, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान, प्रवचन, प्रार्थना।
मुनिश्री ने आगे कहा कि स्वागत शब्दों से नहीं त्याग से हो। जब तक हम यहां रहे, तब तक पूर्ण जागरुकता के साथ धर्माराधना करे, प्रवचन सुने।
मुनिश्री कुणालकुमार ने मधुर गीत सुनाया।
तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री प्रमिलजी बाफना, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष श्री अमितजी बांठिया, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती बेलाजी पोरवाल ने स्वागत समारोह में विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल के स्वागत गीत से हुआ। आभार श्री रणजीतजी सेठिया व संचालन तेरापंथ सभा मंत्री श्री रोशनजी चौपड़ा ने किया। इस अवसर पर वृहत्त कलकत्ता, सबरबन, हावड़ा आदि के श्रावक श्राविकाएँ विशेष रुप से उपस्थित थे।
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