एक दूसरे के सहयोग से रहता घर परिवार सुखी : मुनि जिनेशकुमार


पारिवारिक सौहार्द  शिविर का भव्य आयोजन

बालेश्वर उड़ीसा 04.12.2022 ; आचार्यश्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि जिनेशकुमारजी ठाणा-3 के सान्निध्य में, तेरापंथ सभा के तत्वावधान में राजस्थानी भवन में पारिवारिक सौहार्द शिविर का आयोजन हुआ। जिसमे जैन-अजैन सैकड़ों श्रद्धालुओं ने उत्साह के साथ भाग लिया।

 "कैसे रहे घर परिवार सुखी" इस विषय पर बोलते हुए मुनि जिनेशकुमार ने कहा मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज के साथ जीता है। समाज की सबसे छोटी व महत्वपूर्ण इकाई है परिवार। परिवार एक सर्वव्यापी संस्था है। परिवार एक गुलदस्ता है। परिवार समूह चेतना का प्रतीक है। परिवार सत्यं, शिवं, सुन्दरं का शिवालय है। स्नेहिल भावनाओं का सचिवालय है। परिवार मानवीय गुणों का मुख्यालय है। परिवार का अर्थ है जहां आपस में परस्पर सुख दु:ख बाटे जाते। दूसरे शब्दों में निकटतम व्यक्तियों के समूह का नाम परिवार हैं।

 मुनि श्री ने आगे कहा कि जिस परिवार में एकता, सामञ्जस्य, समझौता, व्यवस्था, सहिष्णुता, विवेक, विनय, वात्सल्य, एक नेतृत्व के प्रति आस्था, कृतज्ञता, आश्वास विश्वास आदि गुण है और एक दूसरों के हितों की सुरक्षा करते है, निस्वार्थ भाव है, सेवा सहयोग का भाव है, आडम्बर प्रदर्शन रहित जीवन जीते हैं, वह घर स्वर्ग से बढ़कर है। उस घर को कोई भी परास्त नहीं कर सकता है।

 मुनि ने आगे कहा परस्पर मेल है, तो जीवन एक खेल है। अगर दिल में भेद है, तो वहां जेल है। जहां वेरे की गांठ है, मैत्री का भाव नहीं है, वह घर, परिवार, समाज कभी उन्नति नहीं कर सकता है। जो समाज फजूलखर्ची से बचता है, प्रमोद भावना से संपन्न होता है, तो वह समाज बहुत बड़ी सम्पदा, वैभव, शक्ति को प्राप्त होता है। जो सहता है, वह रहता है, शेष गिर जाते हैं। सहिष्णुता, विनम्रता बहुत बड़ी शक्ति है। व्यक्ति छोटी-छोटी बातों में उलझे नहीं, मनमुटाव नहीं रखे, उपशम की साधना करे, जिससे घर में शांति का साम्राज्य स्थापित होगा।

 मुनि ने आगे कहा- कि मोबाइल, टी.वी. के अधिक प्रयोग से बचे। इसका ज्यादा उपयोग करने से चरित्र पर दुष्प्रभाव पड़ता है, स्मरणशक्ति कमजोर होती है, संबंधों में कटुता आती है। 

मुनि ने विशेष प्रेरणा देते हुए कहा कि घर परिवार कों सुखी रखने के लिए रहना, कहना, सहना सीखे, साप्ताहिक संगोष्ठियां करे, व्यक्तिगत सुख-दुःख की बात सुने, जिससे घर का वातावरण सरस बनेगा।

 मुनि परमानंद ने कहा- परिवार में आपसी संवाद कायम रहने से सौहार्द स्थापित होता है। मुनि कुणालकुमार ने मधुर गीत का संगान किया। तेरापंथ सभा अध्यक्ष धीरज घाड़ेवा ने स्वागत भाषण दिया। कोलकाता तेरापंथ सभा के अध्यक्ष अजय भंसाली, पूर्व अध्यक्ष बुद्धमलजी लुणिया, महासभा  आंचलिक प्रभारी तेजकरण बोथरा, गणेशमल सिंघी, जालेश्वर से समागत शोभा जैन ने अपने भावों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल के मंगलाचरण से हुआ। आभार धीरज घाड़ेवा व संचालन मुनि

परमानंद ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में स्थानीय तेरापंथ सभा व तेरापंथ महिला मंडल के कार्यकर्ताओं का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम मे विशेष रूप से कोलकाता, बेतनटी, जलेश्वर, बारीपदा आदि के  लोग विशेष रूप से उपस्थित थे।


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