धर्म का का मूल सूत्र हैं पाप से बचें -मुनि जिनेशकुमार
बारीपदा में संतों का भव्य स्वागत एवं ध्वज हस्तांतरण कार्यक्रम
बारीपदा उड़ीसा 15.12.2022 ; युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेशकुमारजी ठाणा-3 के प्रथम बार बारीपदा शहर में पधारने पर स्थानीय तेरापंथ जैन परिवारों द्वारा दूर तक अगवानी कर भाव-भीना स्वागत किया गया। इस अवसर पर बारीपदा तेरापंथ परिवार द्वारा आयोजित स्वागत समारोह में नगरपालिका के चेयरमैन श्री कृष्णानन्द महान्ति मुख्य अतिथि के रूप उपस्थित थे। इस अवसर पर कटक तेरापंथी सभा द्वारा कोलकाता तेरापंथी सभा को सेवा का दायित्व ध्वज हस्तांतरित कर प्रदान किया गया। कार्यक्रम में कटक, कोलकाता, कोलाघाट, बालेश्वर, बेतनटी आदि क्षेत्रों से अच्छी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे।
उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि जिनेशकुमारजी ने कहा धर्म का मूल सूत्र है- पाप से बचो। पाप से बचने का उपाय है -अध्यात्म। अध्यात्म से तात्पर्य है -आत्मा में रहना। आत्मा में रहने का पहला सूत्र है सद्भावना। हमारे भाव अच्छे रहे। भावों में कभी मलिनता नहीं आए, वैमनस्य, ईर्ष्या का भाव न रहे। सब धर्मो के प्रति अच्छे भाव रहे। साम्प्रदायिक सौहार्द बनाये रखे। सबसे पहले हम इन्सान है, बाद में हिन्दु या मुसलमान है। भावों से व्यक्ति की पहचान हो जाती है अतः हमेशा सकारात्मक भाव रखे। अशुभ भाव दुर्गति का कारण है। सद्भाव सद्गति का कारण है।
मुनि ने आगे कहा नैतिकता सार्वभौम तत्व है। नीति न्याय के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति सुख और आनंद का अनुभव करता है। धोखाधड़ी व बेईमानी करने वाला व्यक्ति अध्यात्म एवं समाज से दूर रहता है। नशा करने से व्यक्ति का चित्त विक्षिप्त हो जाता है, पागल जैसी हरकते करता है। नशा सामाजिक बुराई है, नशा से चरित्र का हनन होता है। व्यक्ति हमेशा धर्म को महत्त्व दे। धर्म को गति, प्रतिष्ठा, द्वीप शरण कहा है। बारीपदा के श्रावकों में उत्साह का भाव है। बारीपदा के श्रावक धर्म को आचरण में लाए और देव, गुरु, धर्म के प्रति आस्था रखे।
मुनि ने सेवा ध्वज हस्तांतरण के संदर्भ में कहा संतों की मार्ग सेवा का दायित्व कटक तेरापंथी सभा ने कुशलता से वहन किया। अब आगे बंगाल में मार्ग सेवा का दायित्व कोलकाता तेरापंथी सभा ग्रहण कर रही है। सेवा के क्षेत्र में श्रावक समाज की जागरूकता एक निदर्शन है।
मुख्य अतिथि श्री कृष्णानन्द महान्ति ने बारीपदा में संतों का स्वागत करते हुए कहा- संत हमें हमारे कर्तव्य के बारे मे सचेतन करते हैं। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि कुणालकुमारजी के मंगलाचरण से हुआ। बारीपदा तेरापंथ महिला समाज द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। बारीपदा की बेटियों द्वारा भी स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। श्रेयांश एवं प्रिया दुगड़ ने लघु परिसंवाद प्रस्तुत किया। अनूप दूगड़ ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। तेरापंथी सभा कटक के अध्यक्ष मोहनलाल सिंधी, तेरापंथी सभा कोलकाता के अध्यक्ष अजयजी भंसाली, आंचलिक प्रभारी तेजकरणजी बोथरा, अणुव्रत समिति कटक के अध्यक्ष मुकेश डूंगरवाल, उपासक पानमलजी नाहाट, उपासक राजेन्द्रजी लूनिया, मनोजजी ललवानी, तेरापंथ महिला मंडल कटक, बालेश्वर से राजकुमारजी सिंधी, बेतनटी से राकेश मुशरफ, कोलाघाट से सुश्री पूजा बोथरा आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। आभार ज्ञापन कटक तेरापंथी सभा के मंत्री चैनरूप जी चोरड़िया ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंदजी ने किया। अतिथियों का सम्मान किया गया।
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