तपस्या प्रदर्शन का नहीं, आत्मदर्शन का मार्ग - मुनि अर्हत् कुमार
मासखमण तपोभिनंदन
गांधीनगर, बंगलुरू 30.09.2022 ; मासखमण साधिका नीलम चिंडालिया का तपोभिनन्दन समारोह मुनि श्री अर्हत् कुमारजी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा भवन, गांधीनगर, बंगलूरू में मनाया गया।
मुनिश्री अर्हत कुमार ने कहा कि भगवान महावीर ने मुक्ति के चार सौपान बताएं, उसमें चौथा सोपान है तप। तप वह प्रकाश पुंज है, जिसके आलोक से आत्मा आलोकित होकर नई रश्मियो को प्राप्त करती है। तप वह मंगल कलश है, जिसे पीने वाला अपने जीवन को मंगलमय बना लेता है। तप के दुरुह राह पर वहीं बढ़ सकता है, जिसका मनोबल हिमालय की तरह अडिग और अप्रकंप हो। आत्मा के अन्नत वैभव के खजाने की तप एक चाबी है और यह चाबी जिसके पास होती है वह व्यक्ति सौभाग्यशाली होता है। अपने मन पर, अपनी जीभ पर कंट्रोल रखना कोई सामान्य बात नहीं है। पर इसे सामान्य कर दिखाया है- बहन नीलम चिंडालिया ने। नीलम ने तप का निलम पहन कर स्वयं को भावित किया है, अपने अटल संकल्प शक्ति का परिचय दिया है। अब इसी तरह तप में आगे बढ़ते हुए निरंतर आत्मोन्नति करते रहे।
मुनि भरतकुमारजी ने कहा कि जो बनता है तप में तल्लीन
वह देखता है मुक्ति का सीन,
उसका जीवन हो जाता है रंगीन,
कर्म हो जाते हैं उसके विलिन।
मुनि श्री जयदीपकुमारजी ने गीत का संगान किया। तपस्वी बहन श्रीमती नीलम चिंडालिया ने मुनि श्री से मासखमण तप का प्रत्याखान किया। तेरापंथ सभा द्वारा अभिनंदन पत्र भेट किया गया और सभाध्यक्ष कमल दूगड़ ने अपने विचार व्यक्त किए। साध्वी प्रमुखाश्रीजी के संदेश का वाचन मुनि भरतकुमारजी ने किया।
संगठन मंत्री धर्मेश कोठारी ने बताया कि इस चातुर्मास में अभी तक 1. श्रीमती शर्मिला देवी भंसाली, 2. सुमित्रा गादिया, 3.मंजुजी भंडारी, 4.रानी धोका, 5. गुलाबबाई सुखानी,6. रेखा खांटेड ने उपवास मासखमण का तथा
7. प्रकाशबाई गोलेच्छा, 8. महावीर मुथा, 9. नीतू भंसाली, 10. नीलम चंडालिया ने आयम्बिल मासखमण तप किया है।
परिवार की ओर से गीत की प्रस्तुति हुई। विमल शामसुखा, सुनीता, गरिमा ने भी तप की अनुमोदना भावाभिव्यक्ति दी।
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