प्रतिभा, प्रज्ञा, पुरुषार्थ सम्पन्न थे आचार्य भिक्षु : मुनि मोहजीतकुमार 

¤ भिक्षु चेतना वर्ष के प्रथम चरण का हुआ आयोजन 

¤ त्यागमय चेतना से श्रावक समाज ने दी भावाजंलि

किलपाॅक, चेन्नई : श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, किलपॉक के आयोजकत्व में तेरापंथ के संस्थापक आचार्य भिक्षु की जन्म त्रिशताब्दी 'भिक्षु चेतना वर्ष' का शुभारम्भोत्सव मुनि मोहजीतकुमार के सान्निध्य में भिक्षु निलयम में समायोजित हुआ।

  महामन्त्रोच्चार से शुभारम्भ कार्यक्रम में समुपस्थित भिक्षु भक्तों को सम्बोधित करते हुए मुनि मोहजीतकुमार ने कहा कि आचार्य भिक्षु का जन्म क्रान्ति के आवास का, सिद्धान्तों के विश्वास का, सहिष्णुता का, फौलादी साहस का, सापेक्षता के समाधान का, साधन शुद्धि का जन्म था। उन्होंने सम्यक आचार और अनुशासन को महत्व दिया। आचार्य भिक्षु की प्रतिभा, प्रज्ञा और पुरुषार्थ ने बचपन में ही उनके लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए। उनकी शुद्ध मति ने उनके जीवन को सार्थक बनाया।


 आचार्य भिक्षु के जन्म एवं बोधि दिवस के सन्दर्भ में मुनि जयेशकुमार ने कहा कि आचार्य भिक्षु का जन्म रूढ़ परम्पराओं एवं मिथ्या अवधारणाओं को तोड़ कर समाज को नए परिवेश में ढालने के लिए हुआ था। उनकी सोच सम्यक यथार्थ को स्वीकारने के लिए समर्पित थी। उन्होनें संघर्षो से जूंझते हुए अनेक समस्याओं को समाधान के धरातल पर उतारा। संचालन करते हुए मुनि भव्यकुमार ने आचार्य भिक्षु के जीवन, दर्शन और बोधि पर प्रकाश डाला।

संकल्प स्वीकार करते हुए श्रावक समाज 

 इस अवसर पर श्रावक समाज ने जप, तप, त्याग प्रत्याख्यान स्वीकार कर आर्य भिक्षु को भावांजलि समर्पित की। तेरापंथ सभा मंत्री विजय सुराणा, महिला मण्डल मंत्री श्रीमती वनिता नाहर ने विचार प्रकर किए। तेरापंथ महिला मण्डल की सदस्याओं ने 'भिक्षु श्रद्धा स्वर' भावांजलि गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन मंगल पाठ से हुआ।