भिक्षु चेतना वर्ष पर भिक्षु भजनोत्सव का हुआ आयोजन 


¤ ऋषि दुगड़ की मधुर स्वर लहरीयों से भिक्षुमय बना भिक्षु निलयम 

 ¤ आचार्य भिक्षु कुशल विधिवेता, कवि, साहित्यकार थे : मुनि मोहजीतकुमार 

किलपाॅक, चेन्नई : श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, किलपाॅक के तत्वावधान में, मुनिश्री मोहजीतकुमार के सान्निध्य में आचार्य श्री भिक्षु स्वामी जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के प्रथम चरण पर 'भिक्षु भजनोत्सव' विशाल धम्मजागरणा का कार्यक्रम भिक्षु निलयम के महाश्रमणम हाल में मनाया गया। 

 अर्हत् वन्दना, नमस्कार महामंत्र से प्रारंभ धम्मजागरणा में सभाध्यक्ष अशोक परमार ने पधारे हुए संगायक ऋषि दुगड़, श्रावक समाज का स्वागत- अभिनन्दन कियाl उपस्थित विशाल जनसैलाब को सम्बोधित करते हुए हुए मुनिश्री मोहजीतकुमार ने कहा कि आचार्य भिक्षु एक कुशल विधिवेता के साथ-साथ एक सहज कवि एवं महान साहित्यकार थे। वे जब तक जिये, ज्योति बनकर जिये। उनके जीवन का हर पृष्ठ, पुरुषार्थ की गौरवमयी गाथाओं से भरा पड़ा है। मुनिश्री ने कहा कि स्वर का अभ्यास भी साधना है। प्रत्येक हाथी के सिर पर गजमुक्ता मणी नहीं होती या प्रत्येक वन में चंदन के पेड़ नहीं होते, वैसे ही स्वर का गिफ्ट हर कोई को प्राप्त नहीं होता। आचार्य भिक्षु की अभिवंदना में आज पूरा जनसैलाब उमड़ा है और पूरे मनोभाव से इस संध्या का लाभ ले रहे है। मुनि मोहजीतकुमार, मुनि भव्यकुमार, मुनि जयेशकुमार ने अलग अलग गीत द्वारा आचार्य भिक्षु की अभिवंदना में अभ्यर्थना प्रस्तुत की।


 इस भिक्षु भजनोत्सव में सभा के निवेदन पर भीलवाड़ा से विशेष रूप से पधारे संगायक ऋषि दुगड़ ने धर्मसंघ के नये, पुराने और लोकप्रिय गीतों की स्वर लहरी से शमा को बांधे रखा। लगभग 3 घन्टे तक चले कार्यक्रम में जनमेदनी भिक्षुमय बन गई। 


  इससे पूर्व प्रात:काल प्रवचन में महामन्त्रोच्चार से भिक्षु चेतना वर्ष के प्रथम चरण के शुभारम्भ कार्यक्रम में समुपस्थित भिक्षु भक्तों को सम्बोधित करते हुए मुनि मोहजीतकुमार ने कहा कि आचार्य भिक्षु का जन्म क्रान्ति के आवास का, सिद्धान्तों के विश्वास का, सहिष्णुता का, फौलादी साहस का, सापेक्षता के समाधान का, साधन शुद्धि का जन्म था। उन्होंने सम्यक आचार और अनुशासन को महत्व दिया। आचार्य भिक्षु की प्रतिभा, प्रज्ञा और पुरुषार्थ ने बचपन में ही उनके लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए। उनकी शुद्ध मति ने उनके जीवन को सार्थक बनाया।


 इस अवसर पर श्रावक समाज ने जप, तप, त्याग प्रत्याख्यान स्वीकार कर आर्य भिक्षु को भावांजलि समर्पित की। तेरापंथ सभा मंत्री विजय सुराणा, महिला मण्डल मंत्री श्रीमती वनिता नाहर ने विचार प्रकर किए। तेरापंथ महिला मण्डल की सदस्याओं ने 'भिक्षु श्रद्धा स्वर' भावांजलि गीत प्रस्तुत किया।


भिक्षु भजनोत्सव में संयोजक मनोज गादिया के साथ अशोक आच्छा, मुकेश बाफना, प्रवीण कोठारी, विमल बोहरा, चंद्रप्रकाश बोथरा, इन्द्र बोथरा, माणक बोथरा, संदीप भंडारी, सभी कार्यकारणी सदस्यों एवं महिला मण्डल टीम का सराहनीय सहयोग प्राप्त हुआ।