वाणी संयम से होता शक्ति का संवर्धन : साध्वी डॉ गवेषणाश्री

माधावरम् : भाग्य से मनुष्य के पास 3 शक्तियां है- मन, वचन और काय। इनका उपयोग कैसे करें, क्यों करें, यह विवेक पर निर्भर है। कम बोलने, मधुर-मीठा बोलने, वाणी संयम करने से शक्ति का संवर्धन होता है। ज्यादा बोलने वाला लघुता को प्राप्त करता है। इसीलिए पायल स्त्रियों के पैरों में पहना जाता है और हार गले में। मधुर स्वरों के कारण शत्रु भी अर्थात् विभीषण भी राम का बन गया और कटु वचन के कारण रावण ने अपने भाई को खो दिया। उपरोक्त विचार अष्टदिवसीय पर्यूषण महापर्व साधना शिविर के चौथे दिवस वाणी संयम का महत्व बताते हुए डा. साध्वी श्री गवेषणाश्रीजी ने आचार्य महाश्रमण तेरापंथ जैन पब्लिक स्कूल के प्रांगण में साधकों को प्रेरणा देते हुए कहे।


 साध्वीश्रीजी ने आगे कहा कि भगवान महावीर ने मौन को तप माना है। भगवान महावीर का जीवन दर्शन ऊर्जा से संपन्न और जीवन बोध देनेवाला है।

 साध्वी श्री मयंकप्रभाजी ने कहा कि मनुष्य का जीवन अनित्य है, इसमें बहुत विध्न है, आयुष्य थोडा है, इसी कारण इन दिनों में हम अधिक से अधिक धर्माराधना करे। साध्वी श्री मेरुप्रभा जी ने कहा कि दुनिया में हमारी एन्ट्री चाहे जैसी हो, पर एग्जिट शानदार होनी चाहिए। अपने वचन को ऐसा बनाए कि अगरबती की खुशबू की तरह हम सीधे दूसरों के दिल में उतर जाये। साध्वी श्री दक्षप्रभाजी ने कुशलपूर्वक कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम की शुरुआत रेडहिल्स के बहनों के मंगलाचरण से हुआ। माधावरम् की महिलाओं ने भगवान महावीर के 14 स्वप्नों की नाटिका द्वारा शानदार प्रस्तुति दी। आगामी कार्यक्रम की जानकारी श्री प्रवीण सुराणा ने दिया।