अणुव्रत से होता अनियंत्रित इच्छाओं पर नियंत्रण : साध्वी डॉ गवेषणाश्री

माधावरम् : पर्यूषण महापर्व के पाँचवें दिन तेरापंथ जैन पब्लिक स्कूल, माधावरम्, चेन्नई में आराधनारत साधकों को 'अणुव्रत दिवस' के रूप में समायोजित विषय पर सम्बोधित करते हुए साध्वी डॉ गवेषणाश्री ने कहा कि आदमी के मन में अबूझ प्यास है- धन की, पदार्थ की, सुविधा की इतनी गहरी है कि जल्दी से बुझ नहीं पाती, ईच्छाओं का अंत होता ही नहीं। अनियंत्रित ईच्छाओं की पूर्ति का परिणाम होता है- अनैतिकता। कम तोल-माप इत्यादि इस सारी दुविधाओं को मिटाने का एक सक्षम अवदान है- अणुव्रत। अणुव्रत जीता जागता धर्म है। भगवान महावीर के जीवन की यशोगाथा मानव जाति के लिए इतिहास की अद्‌भूत घटना है। उनके उपदेशों का सार अणुव्रत ही है।

 साध्वी श्री मयंकप्रभा जी ने कहा कि आकाश में इन्द्रधनुष जब आता है, तब कितना सुन्दर और आकर्षक लगता है, वैसे ही जीवन के आकाश में व्रत, त्याग, धर्म की चेतना जुड़ जाये, तो जीवन सोने में सुहागा हो जाता है। साध्वी श्री दक्षप्रभा जी ने कहा कि अणुवत का संदेश है- धर्म किसी मन्दिर या पुस्तक में नहीं, बालक के जीवन व्यवहार और वाणी में होना चाहिए। अणुव्रत की गूंज गरीब की झोंपडी से लेकर राष्ट्रपति भवन तक पहुंची है। साध्वी श्री मेरुप्रभाजी ने कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए विषय से सम्बंधित सुमधुर गितिका प्रस्तुत की। तिरुपूर से समागत तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री अनिल आंचलिया ने अपने विचार रखें। सुमधुर गायक श्री ऋषभ आंचलिया ने अपने मधुर स्वरों से सभी को सरोबार कर दिया। आगामी कार्यक्रम की सुचना ट्रस्ट बोर्ड मंत्री श्री पुखराज चोरडिया ने दी। अखण्ड जप एवं अन्य व्यवस्थाओं मे जैन तेरापंथ नगर के भाइयों- बहिनों का पूरा सहयोग मिल रहा है।