समय के सदुपयोग से जीवन बनता पवित्र : साध्वी संयमलताजी
★ मासखमण तप अभिनन्दन समारोह का आयोजन
मण्ड्या 22.08.2024 : आचार्य महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी संयमलताजी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन, मण्ड्या (कर्णाटक) में मासखमण तप अभिनंदन मनाया गया।
साध्वी संयमलताजी ने श्रावको को सम्बोधित करते हुए कहा कि भाद्रव का महिना सब महिनों में महत्त्वपूर्ण है। प्राकृतिक, लौकिक, धार्मिक, सास्कृतिक व संघीय दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। यह महिना पर्वो व त्यौहारों से सुसज्जित है। तप करने का मौसम है- भाद्रव महिना। जो समय को पहचान लेता है, वह जीवन को अच्छा व सुंदर बना सकता है। जो प्रगति के शिखर पर आरोहण करना चाहता है, वह क्षण को पहचाने। भगवान महावीर ने कहा 'खणं जाणाहि पडिए।' जो व्यक्ति अपने मिले 86400 के बेलेंस को उपयोग नहीं करते है, तो अगले दिन बैलेंस जीरो हो जाता है, अतः सजक रहे और दिन के 86400 सैकेण्ड का पुरा उपयोग करे। समय का उपयोग करते हुए चार बहिनें-
उषा आच्छा, ललिता संचेती, सोनल संचेती एवं संतोष M भंसाली
ने एकासन के मासखमण किए और आगे बढ़ रही है। अनुमोदना मे साध्वी मार्दवाश्रीजी आदि सतियों ने गीतिका प्रस्तुत की। तप करने हेतु श्रावकों को मीठी मनुहार की।
रात्रिकालीन कार्यक्रम में 'दिशा से बदले जीवन की दशा' कार्यशाला चल रही है, जिसमें 8 दिशाएं कैसे कैसे जीवन में उन्नति लाती है और बिजनेस परिवार, मानसिक शान्ति, पढ़ाई आदि का ग्राफ ऊँचा करती है? इस कार्यशाला में अच्छी सख्या में युवापीढी अपनी दशा को बदलने हेतु दिशाओं का मार्गदर्शन ले रही है।
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