गुरु से ही मिलती मुक्ति : साध्वी डॉ गवेषणाश्री
★ आचार्य महाश्रमण अभिवन्दना समारोह आयोजित
★ डीजी वैष्णव कॉलेज के परिसर में हुआ आयोजित
चेन्नई : गुरु फैमिली डॉक्टर की तरह होते है। वे हमारे भावों की चिकित्सा करके हमें शुद्ध बनाते है, सही राह बताते हैं। गुरु से ही मुक्ति मिलती हैं। उपरोक्त विचार डीजी वैष्णव कॉलेज, अरुमबाक्कम के नवीन ऑडिटोरियम में आयोजित आचार्य श्री महाश्रमण अभिवन्दना समारोह में साध्वी डॉ गवेषणाश्री ने कहें।
◆ सहज, सरल, शांत प्रकृति के धनी आचार्य प्रवर
आचार्य श्री महाश्रमणजी के 63वें जन्मदिवस, 15वें पदाभिषेक दिवस एवं 51वें दीक्षा दिवस को परिलक्षित करते हुए आयोजित इस कार्यक्रम में अपने गुरु की अभिवन्दना करते हुए साध्वीश्री ने कहा कि आचार्य महाश्रमण एक व्यक्ति ही नहीं अपितु सम्पूर्ण व्यक्तित्व है। आपकी प्रकृति सहज, सरल और शांत है। आपका आभामंडल सभी को आकर्षित करने वाला है। साध्वीश्री ने आपकी गुरु निष्ठा, संघ निष्ठा, वैराग्य निष्ठा को बताते हुए कहा कि वे जहां गुरु की आज्ञा के प्रति पूर्ण समर्पित है, वहीं संघ निष्ठा में आपने आचार्य पद ग्रहण करते ही तेरापंथ के तीर्थ धामों, सेवा केन्द्रों की यात्रा करते हुए वहां प्रवासित साधु साध्वीयों की सार सम्भाल ली और सेवार्थीयों का सम्मान बढ़ाया।
◆ अष्टगणी सम्पदा सम्पन्न
धर्मपरिषद् को विशेष पाथेय प्रदान करते हुए साध्वीश्री ने आचार्य की अष्ट सम्पदाएँ- आचार सम्पदा, वचन सम्पदा, रुप सम्पदा, प्रयोगमत्ती सम्पदा, संग्रह सम्पदा, मति सम्पदा, श्रृत सम्पदा इत्यादि बारे में बताते हुए भगवान महावीर स्वामी के तुंगीया नगरी के श्रावकों की तरह श्रद्धावान, भक्तिवान बनने की प्रेरणा दी।
◆ गुरु निर्देश पर श्रावक समाज समर्पित
गुरु की महिमा का गुणगान करते हुए साध्वीश्री ने कहा कि आपके उत्कृष्ट वैराग्य, पुरुषार्थ, धीर-गम्भीरता, सम्पूर्ण समर्पण, मधुर मुस्कान, समय प्रबंधन इत्यादि विशेषताओं को बताते हुए कहा कि जहां सामान्यतया एक परिवार के चार सदस्यों को सम्भालना भी मुश्किल होता है, वहां आपके कुशल नेतृत्व में सात सौ से ज्यादा साधु साध्वीयों एवं लाखों अनुयायी आपके एक इशारे को अपना सब कुछ मान लेते है, उस दिशानिर्देश पर निर्बाध रूप से गतिशील हो जाते हैं।
◆ साध्वी श्री दक्षप्रभा ने 'महाप्रज्ञ के पट्टधर की, यशोगाथा गायें हम' मधुर स्वर से माहौल को संगीतमय बना लिया।
◆ मुख्य अतिथि राजस्थानश्री अशोक मुँधड़ा ने कहा कि गुरु की मान कर ही हम परमात्म पद पा सकते है। आचार्य महाश्रमण की विशेषता बताते हुए कहा कि वे मोहन से बृज मोहन बन गए। कॉलेज परिसर में ऐसे महान महात्मा के गुणानुवाद कार्यक्रम करने के लिए साधुवाद दिया।
◆ मुख्य व्यक्ता श्री राकेश खटेड़ ने कहा कि गुरु की स्तुति करना ठीक है, उन्हें जानना अच्छा है, लेकिन गुरु की मानना सबसे बड़ी बात है। उससे ही हम अपने जीवन को उत्कृष्ट बना सकते हैं।
◆ तप की भेट
श्रीमती सुमन चोरड़िया केल्लीस ने गुरु महाश्रमणजी की तपो:साधना में अपनी तप भेट करते हुए आठ दिन की तपस्या का साध्वीश्री से प्रत्याख्यान किया। पुरी परिषद् ने ऊँ अर्हम् की ध्वनि से तपस्वी के तपस्या की अनुमोदना की।
◆ आराध्य की अभिवन्दना में अर्चना
इससे पूर्व नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। स्थानीय अमीजिकरै, अरुम्बाकम, शैनॉय नगर, सुलयमेड तेरापंथ श्रावक समाज की महिलाओं ने मंगलाचरण किया। स्थानीय समिति अध्यक्ष शासनसेवी श्री तेजराज पुनमिया ने स्वागत स्वर प्रस्तुत किया। तेरापंथ सभा मंत्री श्री अशोक खतंग, माधावरम् ट्रस्ट बोर्ड प्रबंधन्यासी श्री घीसूलाल बोहरा, महिला मण्डल अध्यक्षा लता पारख, तेयुप अध्यक्ष श्री दिलीप गेलड़ा, अभातेममं सदस्या दीपा पारख इत्यादि ने अपने आराध्य की अभिवन्दना में अभिव्यक्ति दी। सुश्री नेहल पुनमिया ने मुख्य अतिथि का परिचय प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि एवं मुख्य व्यक्ता का सम्मान किया गया। तेरापंथ महिला मण्डल ने गीतिका एवं कन्या मण्डल ने महाश्रमण अष्टकम से स्तुति की। श्री उत्तमचन्द कोठारी ने आभार व्यक्त किया। अभिवन्दना समारोह का कुशल संचालन श्री संजय भंसाली ने किया। त्याग-प्रत्याख्यान एवं मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम परिसम्पन्न हुआ।
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