महावीर सिद्धांतों से पाई जा सकती स्थाई सुख समाधि : मुनि समर्पणप्रभविजय

★ जैनत्व के सिद्धांतों को आचार विचार के साथ अपनायें : साध्वी डॉ गवेषणाश्री

★ श्रमण-श्रमणीवृंद ने महावीर के सिद्धांतों को बताया जनकल्याणी

★ सामुहिक रूप से मनाया महावीर जन्मकल्याणक

★ श्री जैन महासंघ के तत्वावधान में आयोजित हुआ भव्य कार्यक्रम

★ श्री तमिलनाडु जैन महामंडल के साथ अनेकों सेवा भावी मंडलों का रहा सहयोग

 चेन्नई 20.04.2024 : जैन एकता का प्रतीक श्री जैन महासंघ, चेन्नई के तत्वावधान में 24वें तीर्थंकर श्री श्रमण भगवान महावीरस्वामी का 2623वां जन्म कल्याणक महोत्सव चैत्रसुदी त्रयोदशी, रविवार को भव्यातिभव्य माहौल में श्रमण- श्रमणी भगवन्तों की निश्रा में चारों सम्प्रदायों के श्रावक- श्राविकाओं द्वारा उत्साह, उमंग से मनाया गया। 

★ महावीर सिद्धांतों से पाई जा सकती स्थाई सुख समाधि : मुनि समर्पणप्रभविजय

 धर्मपरिषद् को सम्बोधित करते हुए पपू पन्यांस प्रवर मुनि समर्पणप्रभविजय ने कहा कि बैठने से नहीं, बैठे रहने से सफलता मिलती है। भगवान महावीर की वाणी को आत्मसात किया जा सकता है। मुनिश्री ने वीर शब्द के अक्षरों का विवेचन करते हुए कहा कि वी यानि वैल्यू- अपनी वैल्यू स्वयं को ही बनानी पड़ेगी। स्थायी सुख समाधि से ही जीवन मूल्यवान होता है। हमारे आपस के रिलेशनशिप मजबूत होने चाहिए। जैन देना जानता है, हमें सभी जीवों को अभयदान देना चाहिए, उससे स्वयं के आत्मकल्याण के साथ पर्यावरण संतुलन भी बना रहेगा।

★ जैनत्व के सिद्धांतों को आचार विचार के साथ अपनायें : साध्वी डॉ गवेषणाश्री

 आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी डॉ गवेषणाश्री ने कहा कि हम भारतवासी है। भारत ने अरस्तू, सिकंदर को जन्म नहीं दिया, लेकिन राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर जैसे चार महापुरुष दिये, जो विश्व को राह दिखाने वाले हो गए। जहां राम विनय, समर्पण और मर्यादा के प्रतिक है। कृष्ण कर्मयोग, भक्तियोग के, बुद्ध ने करुणा, दया का मार्ग दिया। भगवान महावीर अहिंसा, क्षमा के प्रतिक बन गए।

 साध्वीश्री ने आगे कहा कि प्रभु महावीर के सिद्धांत अंधियारे में उजाले की लौ जलाते है। महावीर ने विश्व को अहिंसा, अनेकांत, अपरिग्रह, अभयदान के सूत्र दिये।

 ◆ लॉन, फाइल स्टार होटलों में नहीं हो शादीयों का आयोजन

 साध्वीश्री ने जैन समाज को आन्दोलित करते हुए आह्वान किया कि प्रभु महावीर के हम अनुयायियों को अहिंसा के सिद्धांत को अपनाने के लिए सबसे पहले हमारे घर से शुरुआत करनी चाहिए। समाज में बढ़ रही कुरुतियों पर प्रहार करते हुए कहा कि वर्तमान में जो हमारे समाज के लोगों द्वारा लॉन, फाइवस्टार, सेवन स्टार होटल में शादियों हो रही है, उसे बन्द करना चाहिए। प्री वेंडिंग, संगीत संध्या से समाज बिखराव को समझाते हुए उसे नहीं अपनाने का आह्वान किया। आपने कहां कि अनेकांत के सिद्धांत को जीवन में अपनाने से परिवार, समाज, राष्ट्रीय का सुधार हो सकता है। संग्रह वृत्ति पर कुठाराघात करते हुए कहा कि अपरिग्रह से समाज में बढ़ रही ईर्ष्या की भावना को मिटाया जा सकता है। हम जैन है, हमारी सभ्यता, संस्कृति के गौरव को गौरवान्वित करने के लिए जैनत्व के सिद्धांतों को आचार विचार से अपनाने की आवश्यकता है।

चारों साध्वीवृन्द ने 'महावीर प्रभु आये है, ले संदेश पावन तुम' गीतिका से स्वर लहरियां सुनाई।

★ अहिंसामय हो कल्चर : मुनि वैभवरत्न विजय

 प.पू. मुनि वैभवरत्न विजय ने कहा कि भगवान महावीर का अहिंसा, संयम, तप का सिद्धांत सार्वभौम बन गया। कल्चर, करेक्टर, क्लेरिटी पर बल देते हुए कहा कि कल्चर हमारा अहिंसामय हो, करेक्टर में संयम झलके, जीवन प्रवाह में तप रुपी क्लेरिटी हो।

★ हमारी सोच, समझ से स्वयं के विवादों को मिटायें : मुख्य न्यायाधीश

  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री मुनिश्वरनाथ भण्डारी मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आज का अद्भुत दिवस है। हम सौभाग्यशाली है, हम भगवान महावीर के अनुयायी ही विश्व की युद्ध, विनाशकारी प्रवृत्ति में सही दशा, दिशा दे सकता है। अहिंसा संदेश के लिए सबसे पहले सेरैट्री अपने स्वयं से, परिवार से करनी चाहिए। जैन समाज अनेकों सामाजिक प्रवृत्तियां करता है, साधुवाद है। हमें अपने समाज के लोगों के लिए उच्च शिक्षा का विकास करना चाहिए। सामान्य परिवार के बच्चों को गोद लेकर उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए। आपने समाज में, परिवार में हो रहे बिखराव पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि हम हमारी सोच, समझ से अपने मतभेद, मनभेद, विवादों को मिटायें। आपने अपने आप को समाज के लोगों के लिए विवाद को मिटाने के लिए समर्पित किया और कहा कि जब भी जरूरत होगी, वह सदैव इसके लिए तैयार रहेगा।

★  श्री नवीन सिंघवी प्रधानलेखाकार, नई दिल्ली (CSA of India) ने कहा कि सामाजिक समरसता के लिए अहिंसा, अपरिग्रह अपरिहार्य हैं। अपने जीवन प्रंसग पर बताते हुए कहा कि मेरे शाकाहारी होने और अपनायें रखने पर मेरे सहकर्मियों पर भी प्रभाव पड़ा। बाहरी यात्राओं में लोग प्रभावित हुए। अत: हमें अपने जीवन निर्माण के लिए जैन सिद्धांत, संस्कृति, सभ्यता को अपनाना चाहिए।

★ अतिथि श्री आनन्दमल चौपड़ा ने कहा कि रंगोली की खुबसुरती सारे रंगों से होती है, उसी तरह सभी जैन लोगों के साथ रहने से शासन की खुबसुरती बढ़ती है। हमें देव, गुरु, धर्म में पूर्ण श्रद्धा रखते हुए समाज उत्थान में सहभागी बनना चाहिए। 

★ श्री अंकित जैन आईपीएस ऑफिसर, सिवल सर्विस, कोयंबटूर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि मेरा सार्वजनिक जीवन की शुरुआत आज भगवान महावीर की अभिवन्दना के साथ होगी।

इससे पूर्व प्रातः 6 बजे श्री जैन नवयुवक मंडल द्वारा कोण्डितोप से प्रभात फेरी निकाली गई एवं 6-30 बजे जिनालयों में जन्माभिषेक, स्नात्र महोत्सव, बड़ी पूजाऐं एवं भव्य अंगरचना हुई। सुबह 8 बजे बिन्नी मिल, नार्थ टाउन से भव्य रथयात्रा, विभिन्न झांकियां, विविध संगीत मंडलों द्वारा भक्ति गीत एवं अनेकों बेंन्ड बाजों के साथ ढोल नगाड़ों से शहर के अनेक राजमार्गों से गुजरती हुई शोभा यात्रा श्री जैन दादाबाड़ी, अयनावरम पहुंची। शोभायात्रा की व्यवस्था मंडल शिरोमणि श्री चन्द्रप्रभु जैन सेवा मंडल ने की। शोभायात्रा का अध्यक्ष श्री प्यारेलाल पितलिया, श्री पन्नालालजी सिंघवी इत्यादि द्वारा जैन ध्वज दिखाकर शुभारंभ किया गया।


अयनावरम स्थित श्री जैन दादाबाड़ी प्रांगण में 10 बजे सभी मंचाचीन गणमान्यगणों ने भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ दीप प्रज्ज्वलित किया गया। धर्मसभा की शुरुआत में महिलाओं द्वारा समूह सामायिक की गई। अध्यक्ष श्री प्यारेलाल पितलिया ने स्वागत स्वर प्रस्तुत किये।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय मुख्य न्यायाधीश मुनिश्वरनाथ भण्डारी, अतिथि प्रधान लेखाकार नई दिल्ली नवीन कुमार सिंघवी, सम्यग ज्ञान प्रचारक मण्डल, जयपुर के अध्यक्ष आनन्दमल चौपड़ा, श्री अंकित जैन आईपीएस ऑफिसर, सिवल सर्विस, कोयंबटूर, वार्ड पार्षद राजेश जैन रंगीला इत्यादि अतिथियों का शाल, माला, तिलक एवं मोमेंटो द्वारा विभिन्न गणमान्यगणों द्वारा बहुमान किया गया। सकल श्री संघ की नवकारसी के लाभार्थी शाह प्रविणभाई मफतलाल मेहता जुना डीसा परिवार ने नवकारसी का लाभ लिया, उनका श्री जैन महासंघ द्वारा तिलक, शाल, माला, साफ़ा-चुनड़ी, मोमेंटो द्वारा सम्मान किया गया। नवकारसी में सम्पूर्ण व्यवस्था श्री तमिलनाडु जैन महामंडल एवं अनेकों सेवा भावी मंडलों का सहयोग रहा।

महोत्सव के संयोजक श्री पन्नालालजी सिंघवी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री जैन महासंघ के कार्यों का उल्लेख किया। दादाबाड़ी में टेन्ट, साजों सज्जा, अनेकों संस्थाओं द्वारा विभिन्न काउंटरों एवं अनेकों महिला गृह उधोग के काउंटर भी लगाएं गए। सेवा कार्य हेतु लगाए गए काउंटर लाभार्थियों का भी सम्मान किया गया। महोत्सव में गौतम प्रसादी के लिए भोजन समिति कार्यकर्ताओं द्वारा बहुत ही सुन्दर व्यवस्था की गई।

 प्रशासनिक सेवा कार्य के लिए काउन्सलर श्री राजेशजी जैन (रंगीला) का अपूर्व सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। मंत्री श्री गौतमचन्दजी कांकरिया ने श्री जिनकुशलसूरीश्वर जिनचन्द्रसूरीश्वरजी टस्ट द्वारा प्रतिवर्ष महोत्सव में पूरा जैन दादावाड़ी परिसर उपलब्ध कराने एवं सभी तन, मन, धन से सहयोगी संस्थाओं, दानदाताओं, कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया। रात्रि भक्ति की रमझट विनीत गेमावत एण्ड पार्टी, मुम्बई द्वारा की गई है। जिसमें जैन प्रतिभावान विद्यार्थियों का सम्मान किया गया। मंच का कुशल संचालन श्री बिपिन सतावत ने किया गया।