अनुशासन तेरापंथ का प्राणतत्व : साध्वी लावण्यश्री
★ मुख्य व्यक्ता प्रो. डॉ दिलीप धींग ने अनुशासन के चार स्तम्भों को किया रेखांकित
◆ अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का छठा दिन
चेन्नई 06.10.2023 : अणुवीभा के तत्वावधान में अणुव्रत समिति, चेन्नई की आयोजना में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अन्तर्गत छठा दिवस अनुशासन दिवस के रूप में साध्वी लावण्यश्री के सान्निध्य में तेरापंथ भवन, साहूकारपेट में मनाया गया।
◆ अनुशासन का बीज है विनय
साध्वीश्रीजी के नमस्कार महामंत्र के स्मरण के साथ कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। मुख्य व्यक्ता प्रो. श्री दिलीप धींग ने कहा कि अनुशासन के चार स्तम्भ है- 1. नशामुक्ति, 2. विनय, 3. संयम और 4. मर्यादा। शराब मांसाहार इत्यादि नशे से व्यक्ति उच्छृंखल बन जाता है, अनुशासनहीन बन जाता है।
चार बिन्दुओं- आत्मानुशासन, अनुशासन, प्रशासन, सुशासन पर बताते हुए कहा कि इनमें शासन शब्द सभी में समाहित है। अपने आप पर अनुशासन करने वाला ही दूसरों पर अनुशासन कर सकता है। अनुशासन का बीज है विनय। संयमित और मर्यादित जीवन ही श्रेयष्कर है।
◆ अनुशासन का पर्याय है तेरापंथ धर्म संघ
डॉ धींग ने अपनी स्वरचित कविता के माध्यम से कहा कि अनुशासन जीवन का गहना है। नियमों से गतिमान है प्रगति, कहना नहीं सहना सिखों। अनुशासन का पर्याय है तेरापंथ धर्म संघ।
◆ स्व अनुशासित व्यक्ति ही शासन, प्रशासन सही ढ़ंग से कर सकता
साध्वी लावण्यश्री ने कहा कि जीवन के लिए जैसे आयुष्य प्राण जरूरी है, उसी तरह अनुशासन तेरापंथ धर्मसंघ का प्राणतत्व है। साधु साध्वियों को अनुशासन जन्म घूंटी के रुप में मिलता है। चार तत्वों से उन्हें अनुप्राणित किया जाता है- मर्यादा, अनुशासन, गुरु आज्ञा और शासन।
धर्मपरिषद् को विशेष पाथेय प्रदान करते हुए साध्वी श्री ने कहा कि पारिवारिक जीवन, सामाजिक माहौल, राजनैतिक परिवेश इत्यादि कोई भी स्थल हो वहां पर अनुशासन, विनम्रता जरूरी है। विनम्र व्यक्ति ही झूकता है और स्व अनुशासित व्यक्ति ही शासन, प्रशासन सही ढ़ंग से कर सकता है।
साध्वीश्रीजी ने धर्म संघ की अनेकों प्रेरणादायी घटनाओं को उल्लेखित करते हुए कहा कि मकान को सुरक्षित रखते के लिए स्तम्भ, पिलरों का मजबूत होना जरूरी है, उसी तरह धर्मसंघ की प्राणवत्ता में साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका रुपी चारों स्तम्भ सशक्त माध्यम बनते है।
नशायुक्त व्यक्ति स्वयं तो लड़खड़ाता है ही और दूसरों को भी लड़खड़ाता हैं। अतः नशीली, मांसाहारी वस्तुओं को उपभोग में नहीं लेना चाहिए।
अणुव्रत समिति मंत्री स्वरूप चन्द दाँती कुशल संचालन करते हुए मुख्य व्यक्ता का परिचय दिया और साध्वीवृन्द के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। तेरापंथ सभाध्यक्ष उगमराज सांड, ट्रस्ट प्रबंध न्यासी विमल चिप्पड़ ने अणुव्रत समिति की ओर से श्री धींग का साहित्य द्वारा सम्मान किया। साध्वीश्रीजी के मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम परिसम्पन्न हुआ।
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