तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम का 16वाँ राष्ट्रीय अधिवेशन संपन्न

देश-विदेश से 633 संभागी हुए उपस्थित

मुंबई 26-27 अगस्त 2023 ; तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम का 16वां राष्ट्रीय अधिवेशन तेरापंथ धर्मसंघ के अधिशास्ता आचार्य महाश्रमणजी के पावन सान्निध्य में नंदनवन, ठाणे-घोड़बंदर रोड़, मुंबई में आयोजित हुआ। देशभर से 60 क्षेत्रों से लगभग 633 सदस्यों ने उपस्थिति दर्ज कराई। अधिवेशन का थीम रहा- लघुता से प्रभुता।  प्रातःकाल प्रवचन पांडाल में टीपीएफ के 16वें राष्ट्रीय अधिवेशन की रैली भोजनशाला के प्रारंभ होकर आचार्यप्रवर के दर्शन कर तीर्थंकर समवसरण में प्रवचन कार्यक्रम स्थल पर पहुंची।

साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने मंगल पाथेय प्रदान करते हुए है बताया कि आज तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम का 16वां राष्ट्रीय अधिवेशन प्रारंभ हो रहा है। यह वे लोग है जो अपने टेलेंट को टेक्नॉलोजी की दिशा में दौड़ा रहे है, यह वे लोग है जिन्होंने शिक्षा से ऊँचाई को प्राप्त किया है। यह वे लोग है जो अपने प्रोफेशन में ऊँचाई पाना चाहते है। साध्वीप्रमुखाजी ने ‘’लघुता से प्रभुता’’ विषय व्याख्या करते हुए जीवन नदी के दो छोर बताये- एक पहलु है लघुता और दूसरा है प्रभुता। दोनों संदर्भ में बताया कि हमें भौतिक दुनिया दिखाई दे रही है, आध्यात्मिक दुनिया नहीं दिखाई दे रही है। भौतिक दुनिया में लोग प्रभुता का जीवन जीना चाहते है, वे लघुता का जीवन नहीं जीना चाहते है। 

भौतिक दुनिया में लघुता का अर्थ ही बदल जाता है, प्रभुता का भी अलग अर्थ होता है। भौतिक दृष्टि से अगर देखा जाए तो लघुता यानी लो स्टेट्स, लो लिविंग स्टेण्डर्ड एवं प्रभुता यानी हाई स्टेट्स, हाई लिविंग स्टेण्डर्ड। व्यक्ति प्रभुता को प्राप्त करना चाहते है। भौतिक जगत में प्रभुता का अर्थ है - एश्वर्य। जो व्यक्ति समृ( बनना चाहते है, समृ( बनना चाहते है। वे अपनी दिशा को एक नई लाईन की ओर ले जाते है। उनके जीवन का उद्देश्य भी बदल जाता है। वे अपना बैंक बैलेंस बढ़ाना चाहते है, वे ब्रांडिंग चीजों का उपयोग करना चाहते है। उनका अपना स्लोगन बन जाता है- अधिक कमाएं और अधिक खर्च करे। उनका चिंतन भी बदल जाता है। वे यह सोचते है कि यह जितने भी मॉल है, इन मॉल में हमें सब कुछ उपलब्ध हो जाएगा क्योंकि वे सुख को पदार्थ में तलाश कर रहे है। भौतिक जगत में व्यक्ति का लक्ष्य बनता है कि मुझे एश्वर्य सम्पन्न बनना है, मुझे प्रभुता को प्राप्त करना है किंतु उनकी प्रभुता लघुता के द्वारा प्रभावित नहीं होती। लघुता के द्वारा प्राप्त नहीं की जा सकती।    

जब हम आध्यात्मिक जगत में आते है तो यहं अर्थ ही बदल जाता है। प्रभुता का अर्थ तो यही है कि हमें संपन्न बनना है, एश्वर्य संपन्न बनना है, लेकिन एश्वर्य कौनसा होगा? रूपये-पैसे का नहीं, प्रोपर्टी का नहीं, हमारा आध्यात्मिक एश्वर्य है हम अपनी आत्मा की ओर चले जाते है। जिन व्यक्तियों का दृष्टिकोण आध्यात्मिक बन जाता है, अन्तर्मुखी बन जाते है, वह वास्तव में आध्यात्मिक समाधि को प्राप्त कर लेते है।  

आगम में एक सूक्त ’ओहरिय भारोव्व भारवाहो अर्थात् ’भारवाहक के कंधों पर भार होता है और वो चाहता है जल्दी से मेरा भार उतर जाए, भार उतरने के बाद अपने आप को हल्का महसूस करता है। जो व्यक्ति हलका होता है वह आगे बढ़ता है।

मार्क जुकरबर्ग के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि वह सीमित संसाधनों के उपयोग करने के बारे में बताया। यदि तुम हल्का बनना चाहते हो तो अपनी इच्छाओं को अल्प करना होगा। जितनी व्यक्ति की इच्छाएं अल्प होगी, वह उतना ही आगे बढ़ सकता है। यदि इच्छाओं की बहुलता है तो वह बहुत अधिक आगे बढ़ नहीं सकता, पर विवशता है कि व्यक्ति के पास बहुत कुछ होने के बाद भी अपनी इच्छाओं का निरोध नही ंकर सकता। हमें हल्का बनना है तो हमारी इच्छाओं को कम करना होगा। अपने विचारों से हल्का बनना पड़ेगा। विचार भी व्यक्ति को भारी करते है। अनेक प्रकार की कल्पनाएं व्यक्ति को भारी बना रही है। हमें यदि विचारों हल्का होना है तो चिंतन करना होगा कि कितनी कल्पनाएं ऐसी जो आगे जाकर उपयोगी होगी। हम आवश्यक/अनावश्यक कल्पनाओं, स्मृतियों का विवेचन करेंगे, जो अनावश्यक है उनको डिलीट करते चले जायेंगे और आवश्यकता को स्वीकार कर आगे बढ़ते चले जायेंगे।  

हमें आगे बनना है और आगे बढ़ने के लिए हल्का होना होगा, हल्का होने के लिए भगवान महावीर के चिंतन को ध्यान में रखना पड़ेगा। हमें प्रयत्न यह करना अपने मन को पवित्र बनाए, अपने वचन को पवित्र बनाए, अपने शरीर को पवित्र बनाए। हमारा मन यदि पवित्र है, हमारा वचन यदि पवित्र है, हमारा शरीर यदि पवित्र है तो निश्चित रूप से लघुता से प्रभुता की ओर बढेंगे और हमें आध्यात्मिक एश्वर्य होगा। वह एश्वर्य प्राप्त होगा जिसे प्राप्त करके आनन्द की अनुभूति होगी।

राज्यपाल श्री रमेश बैंस आचार्य प्रवर की अभिवन्दना करते हुए

परमपूज्य आचार्यपवर ने संभागियों को प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाएं। तत्पश्चात् तेरांपथ प्रोफेशनल फोरम के राष्ट्रीय अधिवेशन में महाराष्ट्र शासन के महामहिल राज्यपाल श्री रमेश बैंस कार्यक्रम स्थल में उपस्थित हुए। राज्यपाल महोदय के आगमन पर उन्हें पुलिसकर्मियों द्वारा ‘गार्ड ऑफ ऑनर’’ दिया गया। साथ ही राष्ट्र गान और महाराष्ट्र गान का संगान किया गया। मनीष कोठारी एवं विमल शाह ने टीपीएफ की जानकारी प्रस्तुत की। 

परमपूज्य अचार्यप्रवर ने अपने मंगल उद्बोधन में फरमाया कि आत्मा और शरीर के योग से मानव जीवन का संचालन होता है। आत्मा और शरीर का मिश्रित रूप मनुष्य का जीवन होता है। इन दो तत्वों के योग से फिर आदमी में मन भी होता है, भाषा की शक्ति भी होती है, और बुद्धि का अस्तित्व भी जितना-जितना ज्ञानवरणीय कर्म का क्षयोपक्षम होता है उस रूप में अवबोध शक्ति होती है । इस मावन जीवन में प्राप्त शक्तियों का सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। पापाचार और दुराचार में लगने वाली बुद्धि किसी काम की नहीं होती। आदमी को काम-क्रोध पर नियंत्रण कर अपने जीवन को शांतिमय बनाने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए परमपूज्य गुरुदेव तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन और आचार्य महाप्रज्ञजी ने प्रेक्षाध्यान का प्रयोग कराया। तेरांपथ प्रोफेशनल फोरम के अधिवेशन का समय है। एक बुि(मानों का संगठन है। बुद्धिमान आदमी बहुत बढ़िया कार्य कर सकता है। बुद्धिमान आदमी समस्या को सुलझा सकता है तो कहीं बुद्धि का ठीक उपयोग नहीं करने से समस्या पैदा करने का प्रयास हो सकता है। विषय दिया गया है- लघुता से प्रभुता मिले। आदमी लघुता का प्रयोग करें। लघुता किस रूप में हो, आचरणों में छोटा नहीं, आदमी घमंड से बचता है। घमंड से बचने वाला उत्थान कर सकता है। हल्की चीज ऊपर उठती है। हम अपने जीवन में दुर्गुणों से हल्के बनें। लघुता किस चीज में, लघुता दुर्गुणों में आए।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व अधिवेशन संयोजक श्री मनीष कोठारी ने 16वें राष्ट्रीय अधिवेशन की जानकारी देते हुए सभी पधारे हुए महानुभावों का स्वागत किया। मेरी जन्मभूमि, कर्म भूमि मुंबई आज यह अधिवेशन हो रहा है। स्मरण करता हूं प्रज्ञापुरूष आचार्य महाप्रज्ञजी का । उनका ही विजन था कि धर्मसंघ के प्रोफेशनल का एक मंच हो। वर्तमान में आचार्यप्रवर के आपकी छत्रछाया में संस्था कार्यरत है। उन्हानें अधिवेशन के कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए द्विदिवसीय अधिवेशन में आयोजित सत्रों की संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत की।

आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति अध्यक्ष श्री मदन तातेड़ ने अपने उद्गार प्रस्तुत किये। महामहिल राज्यपाल श्री रमेश बैंस का सम्मान तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज ओस्तवाल, महामंत्री विमल शाह, मुख्य न्यासी चन्द्रेश बापना ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। तत्पश्चात् आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति मुंबई से मदन तातेड़, सुरेन्द्र कोठारी, महेश बाफना, भूपेश कोठारी द्वारा सम्मान किया गया।

मंचीय कार्यक्रम में टीपीएफ राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पंकज ओस्तवाल ने अपने विचार रखते हुए कहा व्यक्ति, समाज, राष्ट्र तभी लघुत्व से प्रभुत्व प्राप्त कर सकता है जब उसके जीवन में आध्यात्मिक वरदहस्त हो। कोई भी राजनीतिक, सांप्रदायिक, किसी भी कारण से प्रगति की राह पर हो लेकिन भारत अपने ऋषि-मुनियों के द्रव्य प्रभाव से आध्यात्मिक प्रगति पर अग्रसर है। तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम मात्र तेरह वर्ष में निरंतर गुरु कृपा से गतिमान है। लघुता से प्रभुता की ओर प्रस्थान करने की राह में गुरु कृपा का आशीर्वाद रहता है। अध्यक्षीय काल में जो गतिविधियां हुई यह सब भामाशाहों के सहयेाग से पूर्ण हो पाया। प्राथमिक अवस्था के बावजूद टीपीएफ संस्था आपश्री के आशीर्वाद से लघु से प्रभुता प्राप्त कर पायी है। एक अल्प गुणी भी गुरु प्रसाद से ऊँचाई को छू सकता है इसका साक्षात् उदाहरण मैं स्वयं हूं। 

महामहिम राज्यपाल ने अपने वक्तव्य में आचार्यप्रवर का पूरे महाराष्ट्र राज्य परिवार की ओर हार्दिक स्वागत अभिनंदन के साथ गुरुदेव के महाराष्ट्र में चातुर्मास करने हेतु विशेष धन्यवाद दिया। चातुर्मास श्रवण, मनन, इतिहास, आत्म साक्षात्कार को जानने का अवसर है। आचार्यश्री एक संगठन के आचार्य होने के बावजूद धर्म निरपेक्ष विचारों के धनी है, जो जनमानस को जागृत कर रहे है। आप नशामुक्ति, नैतिकता और सद्भावना का संदेश देते हुए एक राष्ट्रीय कार्य कर रहे है। राज्यपाल महोदय ने गुरु सन्निधि में आयोजित विशाल टीपीएफ सम्मेलन आयोजन हेतु बधाई देते हुए कहा कि भारत सभ्यता, समृद्धि और संस्कृति में भरा राष्ट्र है और महाराष्ट्र तो संतों की भूमि है। आत्मज्ञान की परंपरा में भगवान महावीर के सिद्धांतों का प्रमुख स्थान है। जो अध्यात्म उत्थान कर रहा है। आचार्य तुलसी ने इसी राह पर अणुव्रत के ध्वज तले अपनी आवाज समाज हेतु बुलंद की। राज्यपाल महोदय ने कविता के माध्यम से सबका मनोबल बढ़ाया एवं आत्म-विकास हेतु संकल्पों की क्षमता पर विशेष जोर देते हुए कहा कि प्रोफेशनल के पास बाल-अबाल, गरीब, गांव, आदिवासी आदि को सबल बनाने हेतु विशेष क्षमता है। अपने भीतर जगी करूणा से आप लघुता से प्रभुत पा सकते है। यह विषय आज के संदर्भ में बहुत प्रासंगिक है। टीपीएफ अपने आप में अच्छा संगठन है जो शिक्षा, चिकित्सा और आध्यात्मिक क्षेत्र में कार्यरत है। जो समाज के प्रबु( वर्ग को सविधा प्रदान कर रहा है। टीपीएफ को आह्वान करते हुए कहा कि सभी समुदाय के छात्रो के लाभ हेतु विशेष आयोजन हो। शहरों और कस्बों में भी शिक्षा केन्द्र खोलने पर ध्यान दे। यही लघुता से प्रभुता की ओर बड़ा कदम होगा। भारत की स्वतंत्रता शताब्दी तक विकसित भारत का लक्ष्य रख राष्ट्र के लिए अधिकतम योगदान दे। मंचीय कार्यक्रम राष्ट्रगान के साथ संपन्न हुआ।

राष्ट्रीय अधिवेशन के प्रथम दिन, प्रथम सत्र में टीपीएफ आध्यात्मिक पर्यवेक्षक डॉ मुनि रजनीशकुमारजी के सान्निध्य में प्रारंभ हुआ। इस सत्र को खुला रखा गया जिसमें अधिवेशन में सम्मिलित हुए प्रतिभागियों ने मुनिप्रवर से सीधा संवाद कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया। मुनिश्री ने प्रेरणा देते हुए कहा हमारा मैनपॉवर मजबूत हो उसके लिए सदस्यों की संख्या बढ़े, उस हेतु जहां-जहां प्रोफेशनल है हम उनके घर पहुंचे तथा टीपीएफ की जानकारी दें। उसे संस्था से जोड़े, हमारी आध्यात्मिक गतिविधियां बढ़ाए उसमें सर्वप्रथम पर्यषण पर्व पर पचरंगी तप का प्रारंभ हो, कौनसी शाखा ज्यादा करें। साथ-साथ में विभिन्न प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन हो। हमारी गतिविधियां उड़ान, परामर्श को आप कैसे सुदृढ़ करे। जिससे सबको लाभ मिल सके। परस्पर प्रेम का वातावरण रहे। खूब अच्छा कार्य हो। संगठन हमारा सुदृढ़ बने। पदाधिकारियों को अपने-अपने जोन की सार संभाल करने का प्रयत्न करना चाहिए । सत्र का संचालन नवीन चोरड़िया तथा आभार ज्ञापन मुकेश सिंघवी ने किया।

द्वितीय सत्र में ”Am I living My Life ?” विषय पर साध्वी वीरप्रभाजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि-

We are so blessed to have a beautifull life.  Why to be have beutifull life? Because We have incredible grade mind. Only human being has a grade.

केवल इंसानों के पास तो ब्रेन है, हमारे पास लेवोरियस हैंड एंड लेगस् है। हमारे पास कंपैशनेट हार्ट है। हमारे पास केयरिंग, लविंग एंड पीपुल है। हम बहुत धन्य है। क्या मुझे जो जिंदगी मिली है उस जिदंगी को मैं पूरी तरह से जी रहा हूं? 

हमें जो इतनी सुंदर जिंदगी मिली है, एक उपहार के रूप में मिली है। लेकिन यह जिंदगी भार क्यों बन जाती है? हम क्येां नहीं उस उपहार को एंजोय कर पा रहे है। लिविंग लाइफ वह हो सकती है कि जिसमें सबसे ज्यादा उत्साहित हो । आप में उमंग हो अपके चेहरे पर प्रसन्नता और खुशी हो। आपके गोल है, आपके लेकिन गोल के साथ दूसरे की प्रतिस्पर्धा में है। वो उतना जा रहा है तो उससे ज्यादा ऊँचाई को पकड़ना है। ड्रीम रखना बुरा नहीं है लेकिन इसमें ये देखना है कि क्या मैं अपनी लाईफ को पूरी तरह से जी रहा हूँ।

उन्होनें पर्सनल लाईफ, प्रोफेशनल लाईफ, सोश्यिल लाईफ, फैमिली लाईफ- ये चार प्रकार की लाईफ का वर्णन करते हुए समझाया। सत्र संचालन सपना गोलेच्छा एवं आभार ज्ञापन पूर्वी जैन ने किया।

तृतीय सत्र में ”The India Story- Opportunities & Challenges of India’s Economy” विषय पर वक्ता श्री नवीन मुणोत ने बताया कि मेरा सौभाग्य है कि आचार्यश्री के दर्शन प्राप्त हुए और आप सभी से मिलना हुआ। दुनिया में सबसे धनवान व्यक्तियों में निवेशक है- वारेन बफेट। शेयर बाजार जरिये किसी ने धन कमाया है तो इन्होनें ही कमाया है। उन्हें जब पूछा गया कि इतना पैसा कैसे कमाया तो उनका जबाव था कि मेरी सही गर्भ में उप्तति हो गई। अर्थात् अमेरिका में मेरा जन्म हो गया। आजादी का अमृतकाल के साथ अणुव्रत का भी 75वां वर्षगांठ मना रहे है। विश्व के इतिहास में ऐसा कोई देश नहीं हुआ कि  जी-20 की लीडरशिप में लोगो ‘वसुधैव कुटुम्बकम’’, यह भारत का बहुजन हिताया है और बहुजन सुखाय है। विश्व के इतिहास में किसी ने इस तरह से प्रगति नहीं की है जिस तरह से भारत प्रगति करने वाला है। भारतीय अर्थशास्त्र की महता को विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से प्रस्तुत किया। अंत में संभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। सत्र संचालन मनोज नाहटा एवं आभार ज्ञापन ऋषभ दूगड़ ने किया। 


चतुर्थ सत्र में ‘‘कौन बनेगा ज्ञानपति’’ क्विज कॉनटेस्ट का आयोजन किया गया।  संचालन चिराग पामेचा ने किया। प्रथम विजेता नॉर्थ जोन से उज्जवल जैन तथा हेमा जैन ने प्राप्त किया।ईस्ट जोन से आलोक चौपड़ा एवं प्रतीक दुगड़ ने प्राप्त किया। सभी को साहित्य भेट कर सम्मान किया गया। आभार ज्ञापन हिम्मत मांडोत द्वारा किया गया। शनिवार सांयकालीन सामियक क्रम रखा गया जिसमें देशभर से आए प्रोफेशनल सदस्यों ने गुरु सन्निधि में सामायिक की।

रात्रिकालीन कार्यक्रम में ‘‘टीपीएफ की अदालत’’ रखा गया जो बहुत ही रोमांचित और सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया गया। इसमें श्री अनिल सिंघवी, मेनेजिंग एडिटर-जी बिजनेस, श्री संजय घोड़ावत- चैयरमेन घोड़ावत ग्रुप ने अपने उपर लगे आरापों के बारे में दलीलें दी। उनकी दलीलों के आधार पर जस्टिस के.के. तातेड़ ने उन पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया। सत्र संचालन तथा आभार ज्ञापन टीपीएफ मुंबई अध्यक्ष राज सिंघवी ने किया। 

द्वितीय दिवस के शुरूआत में प्रवचन पांडाल में प्रेक्षाध्यान श्री पारसमल दुगड़ द्वारा करवाया गया। प्रथम सत्र में ”Magical Millets Freedom from all disease” विषय पर शर्मिला ओसवाल, मिलेट् वुमन ऑफ इंडिया ने तेरापंथ आचार्यश्री तुलसी की प्रशंसक आज टीपीएफ के बीच अपनी खुशी व्यक्त करते हुए अपनी सफलता की कहानी बयान की। घूंघट से हॉवर्ड का सफर तय करने की राह को साझा करते हुए कहा कि आचार्य तुलसी सदा उनके प्रेरणास्वरूप रहे। उनके साहित्य को पढ़ते-पढ़ते मुझे कई देश-विदेश की सरकार की रणनीति, मार्गदर्शन आदि कार्य में सहयोग प्राप्त हुआ। जैन विश्व भारती का भी बहुत सहयोग मिला और जैन धर्म का परचम फहराया। स्वयं को ग्लोबल जैन नागरिक कहलाना पसंद करती है। उन्होनें सभी को ज्ञान-साधना और क्रिया को मन से करने की प्रेरणा दी। सत्र का संचालन स्नेहा मेहता तथा आभार ज्ञापन नीरज मोटावत ने किया।

टीपीएफ गौरव श्री जयचंद लाल मालू ने दायित्व बोध करवाया तथा टीपीएफ के नये सदस्यों के आह्वान किया टीपीएफ की गतिविधियों में अपनी भागीदारी निभायें। अपने समय का विजर्सन कर संस्था के विकास में अपना श्रम नियोजित करे।

द्वितीय सत्र ”Role of Professionals in India’s Growth Story” विषय पर डिजिटल मोड में श्री नितिन गडकरी, केन्द्रीय मंत्री, सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 16वें राष्ट्रीय अधिवेशन की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जैनधर्म को प्राचीन काल से श्रमणों का धर्म कहा जाता है। मोक्ष का प्राप्त करने के लिए अपने व्यक्तिगत जीवन में हमारे विचारों से प्रेरणा लेकर उसके अनुरूप व्यवहार करके समाज एवं राष्ट्र में कार्य करना। जैन समाज द्वारा शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में संस्कारों के आधार अच्छे व्यक्ति के निर्माण में सहयोगी बन सकते है। सोश्यिल इकोनॉमिक ट्रांसफोर्मशन, यह हमारे देश के लिए, हमारे समाज के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है। मुझे इस बात की खुशी है कि आचार्यश्री महाश्रमणजी ने राष्ट्रीय उत्थान एवं जनकल्याण के लिए 55 हजार किमी यात्रा कर समाज में नैतिकता और सद्भावना का बोध दिया है। समाज के हित के लिए नशामुक्ति का कार्यक्रम हो, सेवा का कार्य हो, सामाजिक आर्थिक परिवर्तन उपक्रमों के लिए कार्य हो। व्यक्ति के जीवन मूल्य बहुत महत्वपूर्ण होते है। समाज जब शिक्षित हो, संस्कारित होगा तो समाज की उन्नति होगी, राष्ट्र की उन्नति होगी और विश्व को मार्गदर्शन करने की क्षमता निर्माण होगी।  

हमारी अनेक संस्थाएं काम कर रही है जिसमें है- तेरांपथ प्रोफेशनल फोरम जो शिक्षा, चिकित्सा, आध्यात्मिक क्षेत्र में कार्य कर रही है। हमारी आध्यात्मिक शक्ति पूरे विश्व में आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। हमें निश्चित रूप से स्वावलम्बी भारत का निर्माण करना है। युवा पीढ़ी को आत्म-निर्भर बनाने के लिए शिक्षा और संस्कारों का योगदान और कार्य करना है। तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम बच्चों में शिक्षा के साथ संस्कारित विद्यार्थियों को तैयार करने का यह कार्य राष्ट्र के निर्माण के लिये बहुत आवश्यक है। सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे छात्रों को शिखर योजना आचार्य महाप्रज्ञ नॉलेज सेंटर के माध्यम से, कौशल विकास कार्यक्रम, करियर काउंसलिंग, ऐसे अनेक कार्य समाज परिवर्तन और व्यक्ति निर्माण में महत्वपूर्ण होते है। हमारे नागरिकों के स्वास्थ्य सुविधा के लिए आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चल चिकित्सालय के माध्यम मेडिकल कैम्प लगाकर चिकित्सकीय कार्य किया जा रहा है। तेरापंथ द्वारा जो सामाजिक उत्थान के लिए अग्रणी कार्य है वह भारत के निर्माण में अतुल्य साबित होने वाला है।  सत्र का संचालन नवीन पारख तथा आभार ज्ञापन निर्मल कोटेचा ने किया।

तृतीय सत्र नेटवर्किंग सत्र रखा गरया जिसमें अधिवेशन के संभागियों ने आपस में अपनी बिजनेस प्रोफाइल का आदान-प्रदान किया।  संचालन नीरज मोटावत ने किया।

चतुर्थ सत्र ”Chanakya Neeti for Wealth Creation & Spiritual Enlightenment” विषय पर कॉर्पोरेट चाणक्य डॉ. राधाकृष्णा पिल्लई अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि हमारे जीवन की सफलता जैन समाज और राजस्थानी समुदाय के कारण है। इसलिए आज यहां पर आना हमारा सौभाग्य है। टीपीएफ सदस्यों को प्रेरणा देते हुए कहा कि कितने ही प्रोफेशनल  हो जाओ, पर सदा अपनी जड़ों से अपने अध्यात्म से जुड़े रहना। पीढ़ियां भले ही बदले पर सिद्धांत न बदले। स्वयं की वेल्यूज और फिलोसॉफी के साथ सम्पन्न बनना है। प्रश्नोत्तर के माध्यम से उन्होनें चाणक्य नीति के साथ-साथ अध्यात्म नीति को जोड़ने हेतु प्रेरित किया। लेखक, वक्ता, संचालनक के साथ-साथ एक अच्छा बिजनेसमेन बनना भी एक कला और इसकी निपुणता हेतु अनेक बिंदुओं पर चर्चा की। सत्र का संचालन राजेश भूतोड़िया तथा आभार ज्ञापन राहुल डांगी ने किया।

मुनि अभिजिकुमारजी ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रोफेशनल को आज की युवा को पीढ़ी ड्रिंक, ड्रग और पाश्चात्य संस्कृति से बचाने की प्रेरणा दी। अपनी प्रोफेशनल की कोर वेल्यू को संरक्षित कर अपने जीवन में आगे बढ़ने को कहा। 

पंचम सत्र में ”How Spirituality can be related to Professional Growth” विषय पर मुनिश्री कुमारश्रमणजी ने प्रेरक उद्बोधन देते हुए फरमाया कि बैलेंस हर क्षेत्र में रखते हुए अपने कार्य क्षेत्र को आगे बढ़ाना है। बैलेंस बिना ग्रोथ संभव नहीं। किसी भी सफलतम पुरुष की जीवनी देखेंगे तो पायेंगे कि उन्होनें हर क्षेत्र में तालमेल बिठाते हुए प्रगति की। घर-परिवार, समाज, सभा-संस्था जीवन और बिजनेस का लक्ष्य साधा और समय प्रबंधन के साथ पूर्ण किया। संचालन मोहित बैद तथा आभार ज्ञापन के.एल. परमार ने किया।

अंतिम सत्र में संस्था द्वारा वर्ष भर किये गये अच्छे कार्यों के लिए शाखाओं एवं कार्यकताओं का मूल्यांकन करते हुए सम्मानित किया गया।


कैटगरी ब्रांच ‘ए’-  प्रथम- फरीदाबाद, द्वितीय- विशाखापटट्नम, तृतीय-पुणे

कैटगरी ब्रांच ‘बी’- प्रथम-रायपुर, द्वितीय-कोलकाता जनरल, तृतीय-राजसमंद 

कैटगरी ब्रांच ‘सी’- प्रथम-कोलकाता साउथ, द्वितीय-जयपुर, तृतीय-अहमदाबाद

कैटगरी ब्रांच ‘डी’- प्रथम-मुंबई और दिल्ली, द्वितीय-बैंगलोर 

कैटगरी यूनिट- प्रथम-हासन, द्वितीय-सैंथिया, तृतीय-टोहाना 

बेस्ट जोन- प्रथम-वेस्ट जोन, द्वितीय-साउथ जोन, तृतीय-नॉर्थ जोन

टीपीएफ अचिवर्स अवार्ड के अंतर्गत मनीष मुणोत, डॉ. गौतम भंसाली, विजय चौरड़िया, जय जीतमल चोरड़िया, राजकुमार नाहटा, सुनील सिंघी, डॉ. अजय मुरड़िया, विनीत बैद, राहुल बोथरा, आनन्द बागरेचा, डॉ. धवल डोसी, मनीष दुगड़ को सम्मानित किया गया।

समापन समारोह पर मंगल पाथेय प्रदान करते हुए परमपूज्य आचार्यप्रवर ने फरमाया कि मानव जन्म को बहुत महत्व दिया गया है। शास्त्रवाणी में इसे दुर्लभ भी कहा गया है। मनुष्यतः हमें दुर्लभ से मिला हुआ है। धर्म साहचर्य के साथ इसे अच्छे ढंग से जीना चाहिए। साधु बनना सभी के लिए संभव नहीं परंतु गृहस्थ धर्म में भी हमारे परिणाम व अध्यवसाय अच्छे रह सके। अपने व्यस्तम जीवन में भी धर्म का कार्य चलता रहे, ऐसी दिनचर्या हेतु गुरुदेव ने प्रेरणा दी कि कार्य, मीटिंग, वार्तालाप के साथ समय मिलने पर दीर्घश्वास का प्रयोग करना चाहिए। योग-ध्यान का प्रयोग होता रहे, जिससे मानसिक संतुलन बना रहे व समय का भी उपयोग होता रहे। तनाव रहित रहते हुए कभी-कभी स्वाध्याय भी करे। धर्म हमारे कर्म के साथ दैनन्दिन जुड़ जाए। वार्षिक सम्मेलन में सभी का मिलना धार्मिकता के साथ बढ़ता रहे। धर्म की छोटी-छोटी जानकारी के साथ करणीय कार्य को आचरण में लाये तो धार्मिकता भी अच्छी हो जाती है। जो अपनी आत्मा के लिए अपने जीवन के लिए अच्छा उपक्रम हो सकता है। मनुष्य जन्म मिला है स्वयं के लिए आत्मा के लिए अध्यात्म के लिए कार्य करे। आध्यात्मिक सेवा के साथ समय को सार्थक करें। सत्र का संचालन नवीन चोरड़िया, छवि बैंगानी एवं आभार ज्ञापन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोज नाहटा ने किया। अधिवेशन को सफल बनाने में पूरी मुम्बई टीम तथा तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम कैम्प ऑफिस टीम का सराहनीय सहयोग रहा।

समाचार साभार : रवि सामरा

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