हैदराबाद में पचरंगी तप अभिनंदन 

★ तेरापंथ भवन में छाई नई पुल्कन

★ पंचरंगी तप एक ऐतिहासिक तप है - साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा

सिकंदराबाद 05.07.2023 : तेरापंथ भवन सिकंदराबाद में साध्वीश्री डॉ. मंगलप्रज्ञाजी द्वारा प्रवेश के साथ ही नया कीर्तिमान रचा गया। चतुर्मास से पूर्व अध्यात्म जागरण एवं प्रेरणा यात्रा ने नव इतिहास रचाया। भाग्यनगर वासियों को गुरु कृपा से एक प्रबुद्ध विचारक, प्रवचनकार साध्वीजी का चातुर्मास मिला है। संपूर्ण समाज पूर्ण उत्साह के साथ हर गतिविधि में हिस्सा ले रहे हैं। 

इस अभिनंदन अवसर पर साध्वीजी ने संपूर्ण तपस्वियों के प्रति अपने उद्गगार में कहा कि भगवान महावीर ने कहा है व्यक्ति को कर्म भोगे बिना छुटकारा नहीं मिल सकता। इस अध्यात्म जगत में कर्म बंधन करने और हल्का करने का अधिकार मनुष्य को ही प्राप्त है। कर्म काटने की दिशा में तप एक राजमार्ग है। भगवान महावीर ने तपस्या को कर्म काटने का सशक्त शास्त्र बताया है। तप का अर्थ मात्र भूखा रहना ही नहीं है, आंतरिक और बाह्य तप का अपना-अपना महत्व है। जब बाह्य के साथ अंतरतप का संयोजन होता है, तब वह शक्तिशाली और सतगुणित बन जाता है। तप के साथ आध्यात्मिक अनुष्ठान होना चाहिए। 

साध्वीश्री ने अपने अतीत के चतुर्मास की स्मृतियों को ताजा करते हुए कहा कि कोलकाता में नवरंगी का आंकड़ा ग्यारहरंगी तक पहुंच गया था। महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी के सानिध्य में मुंबई में इस बार तप का नया इतिहास बन रहा हैं। आचार्य प्रवर के सान्निध्य में इक्कीस रंगी तप का रंग मुंबई में लगा हुआ है। हम सभी मिलकर शासन की प्रभावना करते रहे। साध्वीश्री ने घोर तपस्वी मुनि श्री सुखलालजी स्वामी का उल्लेख करते हुए विशिष्ट तप आराधाक मुनिश्री कुंदनमलजी स्वामी के तप की कहानी का सांगोपांग वर्णन किया। सारी परिषद एकचित हो कर सुन रही थी। 

साध्वीश्री ने कहा हर व्यक्ति साधना के साथ जुड़े। गुरु का आशीर्वाद हमारे साथ हैं, शासन माता को याद करके तप मार्ग पर अग्रसर हो। आज हमारे द्वारा किया गया संकल्प पूर्ण हो रहा है। इतिहास में अनेक तपो का वर्णन आता है। समाज अपनी अनुकूलता के अनुसार सिद्धितप, धर्मचक्र तप एवं कंठीतप आदि तप की आराधना अवश्य करें। आज के अवसर पर श्रीमान राजेंद्रजी बेद एवं उनकी धर्मपत्नी ज्ञानशाला परामर्शक अंजु बेद ने सजोड़े अठाई तप का प्रत्याख्यान किया।

कार्यक्रम की शुरुआत साध्वी श्री डा राजुलप्रभाजी के मंगल महावीर स्तुति से हुई। तेरापंथ सभा सिकंदराबाद के अध्यक्ष श्री बाबूलालजी बैद ने संपूर्ण तपस्वियो को हार्दिक बधाई दी। सभा मंत्री सुशीलजी संचेती ने विचार व्यक्त करते हुए सभी तपस्वियों के प्रति मंगल कामना की ओर कहा साध्वीश्री की ऊर्जा से सभी आगे बढ़े है। महिला मंडल की निवर्तमान अध्यक्ष अनीता गीडिया एवं वर्तमान अध्यक्ष कविता आच्छा सहित मंडल के सदस्याओं ने पंचरगी तप अभिवंदना स्वर की मनमोहक प्रस्तुति दी। साध्वी डा राजुलप्रभाजी ने कहा तप एक महान औषध है, इससे आरोग्यता प्राप्त होती है। हर व्यक्ति तप नहीं कर सकता पर तप करने वालों का आत्मीय सहयोग भी निर्जरा का कारण है। तप के साथ ध्यान, कायोत्सर्ग आदि का प्रयोग भी होना चाहिए। साध्वी सुदर्शनप्रभाजी, साध्वी सिद्धियशाजी, साध्वी राजुलप्रभाजी, साध्वी चैतन्यप्रभाजी,  साध्वी शौर्यप्रभाजी ने "भाग्यनगर में बाजे तप रो चंग भारी रे" गीत द्वारा तप की अनुमोदना की। तेरापंथी सभा की ओर से पंचरंगी तप साधक/साधिकाओं का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए साध्वी सिद्धियशाजी ने कहा तप की ज्योति आत्मा को प्रकाश प्रदान करती है। प्रकाश के मार्ग पर सभी आगे बढ़ते रहें। साध्वियों ने अनुमोदना स्वर व्यक्त किए।

समाचार प्रदाता राजेन्द्र बोथरा

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