जैन संस्कार विधि से पाणिग्रहण संस्कार


चेन्नई : सामाजिक जीवन का एक अभिन्न अध्याय है- पाणिग्रहण, विवाह संस्कार। यह मात्र दो दिलों का मिलन ही नहीं, अपितु दो परिवारों, दो अलग अलग संस्कारों, संस्कृतियों का मिलन होता है। उसी संस्कार की शुरुआत हुई जैन संस्कार विधि से।

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जोजावर निवासी, चेन्नई प्रवासी श्रीमती रत्नीदेवी-श्री जवेरीचन्द भंसाली के सुपौत्र, श्रीमती निर्मलादेवी-श्री संजयजी भंसाली के सुपुत्र चि. खुशाल भंसाली का शुभ विवाह सौभाग्यवती रेणुका सोनी सुपुत्री श्रीमती पार्वती श्री हेमन्तजी सोनी, सुपौत्री श्रीमती रुकमणीबाई श्री हंसराजजी सोनी चेन्नई निवासी के साथ 12 जून सोमवार-मंगलवार की मध्यरात्रि में लीलावती बैंकूट, ईसीआर, चेन्नई में जैन संस्कार विधि से सम्पादित हुआ।

नमस्कार महामंत्र से प्रारम्भ पाणिग्रहण संस्कार विधि में जैन संस्कारक श्री स्वरूप चन्द दाँती, श्री माँगीलाल पितलिया, श्री हनुमान सुखलेचा ने सम्पूर्ण मंगल मंत्रोच्चार एवं विधिवत विधि विधान से विवाह संस्कार परिसम्पन्न करवाया। 

सुआशीर्वचन के साथ अभातेयुप, तेयुप चेन्नई, संस्कारकों की ओर से मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।

 इस अवसर पर तेरापंथ सभा के सहमंत्री श्री मनोजजी गादिया ने सभी संघीय संस्थाओं की ओर से नवदम्पति को आशीर्वाद दिया। परिजनों की ओर से श्री संजयजी भंसाली, श्री हेमन्तजी सोनी, प्रेक्षाप्रशिक्षिका श्रीमती भारती मुथा, श्री कुशलजी बांठिया इत्यादि ने अपने भावों की अभिव्यक्ति देते हुए नवयुगल को आशीर्वाद दिया।

संस्कारकों द्वारा सुन्दर रुप से, सरल भाषा में समझाकर करवाई इस जैन संस्कार विधि के लिए दोनों परिजनों की ओर से संस्कारकों को साधुवाद प्रदान किया। वृहद मंगलपाठ के बाद संस्कारकों द्वारा परिजनों को मंगलभावना पत्रक प्रदान किया गया।

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