भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस के अवसर पर नवान्हिक अनुष्ठान का आयोजन
साध्वी लावण्यश्रीजी ने महामना गुरु आचार्य श्री भिक्षु के प्रति अन्तर्मन की श्रद्धा समर्पित करते हुए कहा कि यदि आचार्य भिक्षु धर्म क्रांति नही करते तो हमें सम्यक् ज्ञान, दर्शन, चारित्र की त्रिवेणी मे अभिस्नात होने का दुर्लभ अवसर प्राप्त नही होता। भिक्षु ने स्वयं सत्य को खोजा, सत्य को समझा, सत्य को जीया एवं सत्य का आलोक हम सभी को खुले हाथो बांटा। तभी आज तेरापंथ धर्मसंघ एक गुरु के साये में हमेशा निश्चित रहता है। फल रहा है, फुल रहा है, विकास के पायदान तय कर रहा है।अभिनिष्क्रमण दिवस पर साध्वी सिद्धांतश्रीजी, साध्वी श्री दर्शितप्रभाजी ने अनुष्ठान करवाया। श्रीमती स्वाति वरोला ने सुन्दर गीत की प्रस्तुति दी। सुमंगल साधक चंपालालजी दुगड, गौत्तमजी बोहरा, बाबूलालजी खाटेड, प्रशांत दुगड, दक्ष बोहरा, विमला दुगड, किरण दुगड, उर्मिला बरलोटा, ताराचंद जी बरलोटा, शोभाबाई दुगड, सारिका मरलेचा ने अपने जीवन मे घटित घटनाओं का वर्णन किया। संचालन साध्वी श्री सिद्धांतश्रीजी ने किया।
समाचार साभार : बाबुलाल खांटेड़
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