अहिंसा सम्यग जीवन निर्माण की संजीवनी औषध : मुनिश्री जिनेशकुमार

★ तेरापंथ महिला मण्डल द्वारा हिंसा बनाम अहिंसा कार्यशाला का आयोजन

मध्य उत्तर कोलकाता 02.02.2023 : आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेशकुमारजी के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार मध्य उत्तर कोलकाता तेरापंथ महिला मंडल ने हिंसा बनाम अहिंसा कार्यशाला का कार्यक्रम अरिहंत आवास में हुआ। 

उपस्थित जनमेदनी को सम्बोधित करते हुए मुनिश्री जिनेश कुमार ने कहा कि भगवान महावीर ने अहिंसा व हिंसा दो मार्ग बताए हैं, अहिंसा सुमार्ग है, हिंसा कुमार्ग है। अहिंसा का विकास संयम तप से होता है। हिंसा का विकास असंयम व भोग से होता है। हिंसा में अशांति है, अहिंसा में शांति है। हमेशा हिंसा पर अहिंसा की विजय हुई। अहिंसा भारतीय दर्शन की आत्मा है। अहिंसा संजीवनी औषध है। अहिंसा के विकास से ही व्यक्ति आंतरिक सौन्दर्य को प्राप्त होता है। मुनिश्री ने आगे कहा श्रावक वह होता है, जो अल्पारंभी व अल्प परिग्रही है। व्यक्ति के जीवन में हिंसा व परिग्रह का जितना संयम होगा, उतना ही वह सुखी होगा। व्यक्ति अपने आपको श्रृंगारित करने के लिए निरीह पशुओं को मारकर बनाने वाली प्रसाधन सामग्री का उपयोग करता है, वह शरीर व आत्मा के लिए घातक है। व्यक्ति हिंसा जन्य प्रसाधन सामग्री का उपयोग नहीं करे। लेदर से बनी हुई वस्तुओं का एक साल के लिए, बहिनों ने उपयोग न करने का संकल्प किया। मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने मधुर गीत प्रस्तुत किया।

 कार्यक्रम का शुभारंभ महिला मण्डल बहनों ने प्रेरणा गीत द्वारा किया। स्वागत भाषण मध्य उत्तर कोलकाता तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा संगीता लुणीया व संचालन मंत्री सपना बरमेचा ने किया। इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल की बहनों द्वारा पोस्टर का अनावरण किया गया।

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