भीतरी सौंदर्य देखने का महापर्व पर्युषण : साध्वी संयमलता
¤ खाद्य संयम दिवस पर द्रव्यों की नवरंगी एवं पचरंगी अनुष्ठान का विशेष आयोजन
विजयनगर बैंगलोर: श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, विजयनगर के तत्वावधान में आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी श्री संयमलताजी ठाणा 4 के पावन सानिध्य में बुधवार को पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व का भव्य आगाज हुआ।
आठ दिन चलने वाले इस महापर्व के प्रथम दिन 'खाद्य संयम दिवस' पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए साध्वी श्री संयमलताजी ने कहा कि भारतीय संस्कृति पर्व और त्यौहारों की संस्कृति है। पर्वाधिराज पर्युषण भाद्रपद महीने में आने वाला एक आध्यात्मिक अलौकिक और लोकोत्तर पर्व है। यह पर्व व्यक्ति को बाहरी नहीं, भीतरी सौंदर्य देखने की प्रेरणा देता है।
खाद्य संयम पर अपने विचार व्यक्त करते हुए साध्वीश्रीजी ने कहा जीवन के लिए आहार अनिवार्य है, किंतु कैसे खाना, कितना खाना, क्या खाना, यह अतिमहत्वपूर्ण है। अति खाना भी हानिकारक है। यह पर्व हमें खाने का सीमाकरण और उसे छोड़ने की प्रेरणा देता है। साध्वीश्रीजी ने रात्रि भोजन वर्जन एवं सभी को आज के दिन विशेष रूप से आयोजित द्रव्यों की नवरंगी एवं पचरंगी से जुड़ने की प्रेरणा दी। इसके साथ ही साध्वीश्रीजी ने भगवान महावीर के 27 भवों के अंतर्गत प्रथम भव नयसार के भव का वर्णन करते हुए बताया कि किस प्रकार भाव सहित दान एवं सेवा करके उसने सम्यक दर्शन की प्राप्ति कर जीवन को नया मोड़ दिया।
साध्वी श्री रौनकप्रभाजी ने पर्यूषण पर्व के महत्व को बताते हुए कहा कि यह पर्व हमारे भीतर अध्यात्म के माध्यम से नई ऊर्जा के संचार का कार्य करता है। शरीर के विकारों को बाहर निकालने का सबसे अच्छा साधन है- तप। इन आठ दिनों में हम त्याग, तप, सामयिक के माध्यम से अपने भीतर सकारात्मक सोच का विकास करने का प्रयत्न करें। अपने भीतर के अभिमान एवं लोभ का विसर्जन करते हुए जीवन में नव सृजन करें।
साध्वी श्री मनीषाप्रभाजी ने ध्यान का प्रयोग करवाते हुए कहा कि पर्यूषण आत्म जागरण का महापर्व है। यह व्यक्ति के लिए कषायों को हल्का करने तथा कर्म रूपी जंजीरों को तोड़ने का मार्ग प्रशस्त करता है।
साध्वी श्री मार्दवश्रीजी ने कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए भावपूर्ण गीतिका की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्रीजी द्वारा नमस्कार महामंत्र एवं भगवान महावीर की स्तुति के साथ हुआ। तत्पश्चात महिला मंडल की बहनों द्वारा मंगलाचरण की सुमधुर प्रस्तुति दी गई। सभा अध्यक्ष मंगलजी कोचर ने पर्युषण महापर्व की शुभकामनाएं देते हुए आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी। साध्वीश्रीजी ने तपस्विनी वंशिका बुच्चा को 9 के तप का प्रत्याख्यान करवाते हुए गीतिका द्वारा अनुमोदना की। इसके साथ ही अनेक भाई बहनों ने विभिन्न तपों का प्रत्याख्यान किया। कार्यक्रम में सभी संस्थाओं के पदाधिकारियों के साथ लगभग 800 श्रावक श्राविकाओं की उपस्थिति रही।
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