धर्म की कमाई में नियोजित हो दुर्लभ मानव जीवन : मानवता के मसीहा महाश्रमण
★ प्रलम्ब विहार: मारवाड़ जंक्शन से लगभग 17 कि.मी. का विहार कर आचार्यश्री पधारे धामली
◆ धामली की जनता ने मानवता के मसीहा का किया भव्य स्वागत-अभिनंदन
■ ग्रामवासी श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री से स्वीकार किए कल्याणकारी संकल्प
धामली, पाली (राजस्थान) 12.12.2022, सोमवार : मानव-मानव को मानवता का संदेश देने वाले, मानवता के मसीहा, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी वर्तमान में पाली जिले के गांवों, नगरों व कस्बों के श्रद्धालुओं को मानवता का संदेश दे रहे हैं। पाली यात्रा के दौरान महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने सोमवार को महाश्रम करते हुए लगभग 17 किलोमीटर का प्रलम्ब विहार कर मारवाड़ जंक्शन से धामली गांव पधारे तो धामलीवासियों ने भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री का अभिनंदन किया। स्वागत जुलूस में मानों पूरा गांव ही उमड़ आया था। जैन-जैनेतर का भेद समाप्त हो गया था और हर वर्ग आचार्यश्री महाश्रमणजी का अपने आराध्य की भांति अभिनंदन करने का उत्सुक नजर आ रहा था। गांव की गलियां ही नहीं घरों के बरामदे और छत से भी लोग आचार्यश्री के दर्शन कर रहे थे। आचार्यश्री भी प्रलम्ब विहार के बाद भी जनता को अपने मंगल आशीर्वाद से अभिसिंचन प्रदान कर रहे थे।
सोमवार को प्रातःकाल आचार्यश्री मारवाड़ जंक्शन से मंगल प्रस्थान किया। पाली के इस क्षेत्र में खेतों में कहीं अरण्डी, सरसों, चना, गेहूं आदि अनेक फसलें लगी हुई नजर आ रही थीं। इससे यह अनुमान भी सहजतया लगाया जा सकता है कि इन क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता है। मार्ग में अनेक गांव के लोगों को आचार्यश्री के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। प्रलम्ब विहार और तीव्र धूप लोगों को परेशान कर रही थी, लेकिन समता के साधक आचार्यश्री महाश्रमणजी समता भाव से आगे बढ़ते जा रहे थे। आचार्यश्री लगभग 17 कि.मी. का प्रलम्ब विहार कर दोपहर लगभग बारह बजे धामली गांव में स्थित कटारिया परिवार के निवास स्थान में पधारे। अल्प विराम के बाद पुनः जनकल्याण की भावना से आचार्यश्री ने प्रवास स्थल से करीब तीन सौ मीटर दूर स्थित सीरवी क्षत्रीय समाज के भवन में पधारे। जहां मंगल प्रवचन का कार्यक्रम आयोजित था।
आचार्यश्री ने उपस्थित जनता को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि 84 लाख जीव योनियों में मानव जीवन महत्त्वपूर्ण और दुर्लभ बताया गया है। इस दुर्लभ मानव जीवन को आदमी भौतिक क्षणिक सुखों को एकत्र करने में अथवा पाप कर्मों में गंवा देता है। आदमी को इस दुर्लभ मानव जीवन का सदुपयोग करते हुए आत्मा के कल्याण करने का प्रयास करना चाहिए। आत्मकल्याण के लिए धर्म की आराधना में समय का नियोजन करने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में मात्र धन की कमाई ही नहीं, धर्म की कमाई भी करने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री की प्रेरणा से धामलीवासियों ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्पों को स्वीकार किया। सकल जैन संघ-धामली की ओर से श्री महावीर कटारिया, श्रीमूर्तिपूजक जैन संघ की ओर से श्री कांतिलाल कटारिया, श्रीमती पुष्पा कटारिया व गांववासियों की ओर से श्री उमेश चौधरी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। आचार्यश्री के आगमन से पूरे गांव में मानों किसी उत्सव-सा माहौल बना हुआ था।
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