अखंड संयम परिव्राजक शांतिदूत ने मुमुक्षुओं को प्रदान किया संयम रत्न
★ अमूल्य संयम चारित्र को प्राप्त धन्य हुए सातों दीक्षार्थी
◆ आचार्य श्री भिक्षु की तपोभूमि, शासनमहास्तम्भ मुनि हेमराज की जन्मभूमि में सात पुण्यात्माएँ अग्रसर बनी मोक्षमार्ग की राहीगर
सिरीयारी 08.12.2022 ; आचार्य श्री भिक्षु की तपोभूमि, सिरीयारी में आज का सूर्य आध्यात्मिक की अत्यधिक रोशनी लेकर उदित हुआ। उस रोशनी से सात पुण्यात्माएँ निष्णांत हुई, जब अखंड परिव्राजक तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता, परमपूज्य, युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी ने उन्हें संयम रत्न प्रदान किया।
वृहद दीक्षा महोत्सव में दीक्षा प्रदाता आचार्य श्री महाश्रमणजी ने मुमुक्षुओं के साथ धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारी यात्रा बहुत यायावर है, अनन्त-अनन्त जन्म-मरण इस आत्मा ने लिया है। वह जीवन धन्य है जिस जन्म में संयम रत्न धारण कर लेते हैं, मुनि जीवन अंगीकार कर लेते हैं।
आचार्य प्रवर ने कहा कि आप श्रावकों के पास अमूल्य किमती हीरे, भौतिक सम्पदाएँ हो सकती है, लेकिन सम्यक्त्व रत्न से बड़ा कोई रत्न नहीं हैं।
विशेष पाथेय प्रदान करते हुए शांतिदूत ने कहा कि सम्यक्त्व से बड़ा कोई मित्र नहीं, सम्यक्त्व से बड़ा कोई बंधु नहीं, सम्यक्त्व से बड़ा कोई लाभ नहीं, सम्यक्त्व से बड़ा कोई रत्न नहीं। सम्यक्त्व से ही चारित्र को पाया जा सकता है। चारित्र एक जीवन तक ही होता है, जबकि क्षायिक सम्यक्त्व एक बार प्राप्त होने के बाद सिद्धत्व तक भी बना रहता है।
अखंड संयम परिव्राजक ने शुभ वेला में सातों मुमुक्षुओं को जब संयम रत्न प्रदान किया तो पुरा आचार्य श्री भिक्षु समाधि संस्थान स्थल ऊँ अर्हम् की ध्वनि से गुंजायमान हो गया। आचार्य प्रवर ने मुमुक्षुओं को अतीत की आलोयणा करवाई। केश लुंचन, रजोहरण प्रदान के बाद सभी दीक्षार्थियों का नवीन नामांकरण किया।
1. मुमुक्षु शुभम सांखला - मुनि चिन्मयकुमारजी
2. मुमुक्षु मुदित जैन - मुनि मेधावीकुमारजी
3. मुमुक्षु दक्ष नखत - मुनि देवकुमारजी
4. मुमुक्षु सोनल पीपाड़ा - साध्वी श्री स्तृतिप्रभाजी
5. मुमुक्षु खुशबु कोचर - साध्वी क्षितिप्रभाजी
6. मुमुक्षु मनीषाबाई चोपड़ा - साध्वी मानसप्रभाजी
7. मुमुक्षु तुलसीबाई चोपड़ा - साध्वी तेजसप्रभाजी
इससे पूर्व नमस्कार महामंत्र से वृहद दीक्षा समारोह कार्यक्रम की शुरूआत हुई। सभी मुमुक्षुओं ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। संस्था की बहनों ने दीक्षार्थियों का परिचय दिया। परिजनों ने अपनी लिखित और मौखिक अनुमति प्रदान की। साध्वी प्रमुखाश्री विश्रृतविभाजी ने मंगल विचार व्यक्त किये। मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम परिसम्पन हुआ।
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