कैरियर से पहले हो करैक्टर का निर्माण : मुनि श्री अर्हत् कुमारजी


एस इमादपुरा (कर्णाटक) 27.11.2022 :
विद्यालय वह बगीचा है, जहां कुशल शिक्षक के सिंचन से अनेक प्रकार के पुष्प पल्लवित होकर दशों दिशा में अपनी महक बिखेरते हैं। विद्यालय बच्चों की प्रतिभा को निखार कर उसे विश्व मे एक मिसाल के रूप में पेश करता है। बच्चों को अपने विकास की ओर ध्यान देते हुए सबसे पहले अपने जीवन को अनुशासित और मर्यादित करना होगा। उपरोक्त विचार मुनि श्री अर्हत् कुमारजी ने राजकीय स्कूल, एस इमादपुरा, कर्णाटक में विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहें।
मुनि श्री ने आगे कहा कि जीवन को सफल बनाने के लिए और अपने सपनों को सार्थक करने के लिए एवं करियर बनाने से पहले कैरेक्टर का निर्माण करना होगा। क्योंकि कैरेक्टर बनाना जीवन की किसी साधना से कम नहीं है। बच्चों को बुरी आदतों से बचना चाहिए एवं गलत संगत से हमेशा दूर रहना चाहिए, ताकि उनका जीवन सूरज के समान तेजस्वी बन सके। जिंदगी में कभी भी, किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए, क्योंकि नशा नाश का द्वार है। यह हमारे दिमाग को शून्य कर देता है और हमारे स्मरण शक्ति को कमजोर करता है। इसलिए एक अच्छे विद्यार्थी बनकर अच्छे संस्कारों का अर्जन कर अपने गुणो का ग्राफ निरंतर बढ़ाते रहे। मुनिश्री ने सभी बच्चों को नशा मुक्ति के संकल्प करवायें। 

  मुनि श्री भरतकुमारजी ने कहा जो करता है महाप्राण ध्वनि का अभ्यास, उसका होता है अति शीघ्र विकास, उसके जीवन में होता है विद्या का प्रकाश, और बढ़ता है अंतर का आत्मविश्वास। मुनिश्री जयदीप कुमार ने कहा बच्चों को हमेशा अपने संकल्प पर अटल रहते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
मास्टर संतोष एवं टीचर यशस्वी ने हिंदी को कन्नड़ में ट्रांसलेट किया। बच्चों ने मुनिश्री से अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया, जिसमें हनुमंथप्पा, राजेश, पवन, भोरेस, अश्वनी, सिंचना ने अपनी जिज्ञासाओं को मुनि श्री के सामने प्रस्तुत किया, जिसका मुनिश्री ने बड़ी सरलता से समाधान किया। कार्यक्रम में अणुव्रत, जीवन विज्ञान और प्रेक्षाध्यान के प्रयोग और संकल्प करवाएं गए।


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