माधावरम् से चातुर्मास सम्पन्न के साथ हुआ मंगल विहार

 ◆ विहार में सम्मिलित हुए महामहिम राज्यपाल

 ■ मुनिश्री के स्नेह से अभिभूत हूँ : राज्यपाल

 ● जो गतिशील, वह नवनिर्माण को पाता : मुनि सुधाकर

 माधावरम्, चेन्नई 09.11.2022 ;  श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट, चेन्नई के तत्वावधान में सफलतम चातुर्मास परिसम्पन्नता पर मुनि श्री सुधाकरकुमारजी एवं मुनि श्री नरेशकुमारजी का मंगलभावना समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर विशेष रूप से राज्य के प्रथम नागरिक महामहिम राज्यपाल श्री आर एन रवि ने भाग लिया।

  चातुर्मास के अन्तिम प्रवचन में मुनि सुधाकरकुमारजी ने कहा कि जैन आगम उपनिषद् में आता है - चरैवेति-चरैवेति अर्थात साधु को चलते रहना चाहिए। जो चलता है, वह आगे बढ़ता है, नवनिर्माण को पा सकता है। आपने अत्यंत श्रद्धा भाव से कहा कि पूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद से यह चातुर्मास सम्पन्न कर हम विहार कर रहे हैं। माधावरम् ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी घीसूलाल बोहरा के साथ पूरे चेन्नई का श्रावक समाज विनीत है। आप सब के सहयोग से यह चातुर्मास सफल रहा। मुनि श्री ने कहा मुनि नरेशकुमारजी और श्रावक समाज के सहयोग से यह चातुर्मासिक प्रवास निर्विघ्न, सानन्द परिसम्पन हुआ। मुनि श्री ने राज्यपाल के आध्यात्म निष्ठा की प्रशंसा की।

   पंथ एक दायरा, धर्म विराट स्वरूप

महामहिम राज्यपाल महोदय ने कहा कि भारत पंथनिरपेक्ष हैं, धर्मनिरपेक्ष कतई नहीं। सरकुलीजम शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि हमें धर्म और पंथ में अंतर समझने की आवश्यकता है। पंथ एक दायरा है,  घेरा है। जबकि धर्म एक विराट स्वरूप हैं, जिसे किसी सीमा में बांधा नहीं जा सकता। सरकुलीजम शब्द की भ्रामक परिभाषा न होकर हमें उसके विराट स्वरूप को समझना चाहिए।


 राज्यपाल ने कहा कि भारत की संस्कृति सर्वमान्य समभाव की संस्कृति हैं। सभी धर्मों के प्रति समानता, आदर का भाव है। धर्म नास्तिक को भी आस्तिक बनाता है, सबको अपने आगोश में समेट ले लेता है।

 राज्यपाल ने कहा कि मुझे सदैव मुनिश्रीजी का विशेष स्नेह मिलता है। मैं सोचता भी हूं, मैं इस के योग्य हूँ या नहीं। चातुर्मास में मुनिश्री के राजभवन में आने से राजभवन भी पवित्र हो गया। आप जब भी मुझे किसी कार्य का निर्देश करेंगे, मैं सदैव तैयार रहूंगा। राजभवन आपके लिए सदैव खुला है। 

 मुनिश्री के प्रवचन गागर में सागर भरने वाले

 राज्यपाल ने विशेष रूप से कहा कि आप के प्रवचन गागर में सागर भरने को चरितार्थ करते हैं। मुनिश्रीजी की पदयात्रा सशक्त भारत निर्माण एवं चरित्र निर्माण में योगभुत बनेगी। मैं संपूर्ण राज्य की ओर से आप की पदयात्रा के प्रति मंगलकामना करता हूँ, शुभकामना देता हूँ। राज्यपाल स्वयं इस पद यात्रा में सहयात्री बने। 

समाज में सामंजस्य बिठाने में सहयोगी बनते ऋषि-मुनि

 राज्यपाल ने कहा कि भारत ऋषि मुनियों द्वारा निर्मित एक समाज है। हजारों वर्षों की गुलामी के बाद भी ऋषि मुनियों ने भारत की संस्कृति को जीवंत रखा, समाज को अखण्डित रखा। वे राजनीति से दूर रह कर धर्म के माध्यम से समाज में सामंजस्य बिठाने में सहयोगी बनते है।

 तामसिक शक्तियों को करते कमजोर

 राज्यपाल ने कहा कि राजनीतिक विचारधारा वाले अक्सर समाज को तोड़ने का काम करते हैं। पॉवर में आने के लिए कम्पटीशन में आ जाते हैं। सारी नैतिक सीमाओं को लांघ जाते हैं। तामसिक शक्ति के बढ़ने से घृणा, द्वेष की भावना पैदा होती है। यह ऐसी हिंसा है जो दिखती नहीं, लेकिन एक दूसरे के प्रति कटुता पैदा कर जाती हैं। वहीं ऋषि मुनि समाज में सकारात्मक के भाव पैदा कर उन तामसिक शक्तियों को कमजोर कर देने में योगभूत बनते हैं। ऋषि मुनि सरलता, ऋजुता का बोध पाठ पढ़ा सात्विक शक्ति की ओर ले जाने में सहायक बनते हैं। राज्यपाल ने मुनि श्री का अभिवादन करते हुए साहित्य भेंट किया

  ट्रस्ट बोर्ड के प्रबंध न्यासी घीसूलाल बोहरा ने स्वागत स्वर के साथ सम्पूर्ण समाज की ओर से खमतखामणा के साथ मंगल विहार की शुभकामना दी। राजश्री पाटिल ने गीत के माध्यम से अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। प्यारेलाल पितलिया, माणकचंद रांका इत्यादि ने अपने विचार व्यक्त किए। प्रवीण सुराणा ने मंच संचालन किया। श्रावक समाज ने सजल नैत्रों से मुनि श्री को मंगल विदाई दी और विहार में सम्मिलित हुए।

 समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती

  मीडिया प्रभारी, श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट, चेन्नई

You can also send your news here for publication.

JAINSHUBNEWS@GMAIL.COM


For More Information & Booking About Vijay Palace Call  

+91-9080972748

https://wa.me/+916382435647