धर्म ही है भारत की आत्मा : मुनि सुधाकर
धर्म निरपेक्षता को समझने के लिए अनेकान्तवाद की दृष्टि जरूरी
माधावरम्, चेन्नई 31.10.2022 ; आचार्य श्री महाश्रमणजी के शिष्य मुनि सुधाकरजी ने राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर बोलते हुए कहा कि जाति, पंथ, संप्रदाय के आधार पर बांटना, देश की अखंडता एवं संप्रभुता के लिए खतरा है। जातिवाद, सम्प्रदायवाद, प्रांतवाद देश के लिए घातक हैं। हमें भाषा से ज्यादा सद्भाव पर बल देना चाहिए। मनुष्य जाति एक हैं। देश की एकता और अखंडता के लिए हमें प्रतिपल जागरूक रहना चाहिए।
मुनि श्री ने आगे कहा भारत धर्म निरपेक्ष राष्ट्रीय कभी नहीं हो सकता। धर्म ही भारत की आत्मा हैं। संविधान में प्रयुक्त शब्द सेक्यूलर हो या नॉनसेक्टेरियन इसमें कोई कठिनाई नहीं है। वह शब्द धर्म निरपेक्षता का बोधक ना होकर, संप्रदाय निरपेक्षता का बोधक हो, यह आवश्यक है। धर्म और संप्रदाय का स्वरूप अलग-अलग समझ लेने के बाद कोई भी विचारशील व्यक्ति भारतवर्ष को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रीय मानने के लिए तैयार नहीं होगा।
मुनिश्री ने आगे कहा कि धर्म का सम्बन्ध आत्मा-परमात्मा से ही नहीं है, वह नीति और व्यवहार का भी आधार हैं। नैतिक मूल्यों में जो गिरावट आई है, उसमें भी बड़ा कारण धर्म के प्रति अनास्था है। अनेकान्तवाद विचारधारा से इस पर चिन्तन जरूरी है।
मुनिश्री ने आगे कहा धर्म निरपेक्ष राष्ट्रीय, इस शब्द ने जनता में काफी भ्रांति पैदा की है, यह एक भ्रामक शब्द हैं। राष्ट्रीय संत आचार्य तुलसी ने इस भ्रांति को मिटाने के लिए बहुत प्रयत्न किया था। उन्होंने कहा था की मेरा अपना विश्वास है कि कोई भी व्यक्ति, वर्ग या देश धर्म-निरपेक्ष नहीं हो सकता। धर्म-निरपेक्ष होने का अर्थ है-अहिंसा, मैत्री, प्रेम, सत्य, प्रामाणिकता आदि से निरपेक्ष होना। क्या इनसे निरपेक्ष होकर कोई जी सकता है? जब तक संसार में अहिंसा आदि का मूल्य है, तभी तक जीवन है। जहां-जहां इस मूल्य की अवहेलना हो रही है, वहां जीवन का खतरा बढ़ रहा है। पानी और वनस्पति के जीवों की हिंसा भी पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ देती है, प्रदूषण की समस्या उत्पन्न कर देती है। ऐसी स्थिति में अहिंसा आदि तत्त्वों का सार्वभौम मूल्य प्रतिष्ठित होता है और यही वास्तव में धर्म है।
मुनि श्री से सज्जनबाई रांका ने 89वीं अठाई (आठ दिन के उपवास) की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। इस चातुर्मास में यह इनकी चौथी अठाई है। आपके यह 15वॉ वर्षीतप है और 4 मासखमण भी किये हुए हैं।
समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती
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