ज्ञान दीप से आत्मा को करे प्रकाशित - मुनि अर्हत् कुमार

गांधीनगर, बंगलुरू ; तेरापंथ सभा भवन, गांधीनगर में युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री अर्हतकुमारजी ठाणा3 के सान्निध्य में भगवान महावीर निर्माणोत्सव, दीपोत्सव का कार्यक्रम मनाया गया।

 धर्म परिषद् को सम्बोधित करते हुए मुनि अर्हतकुमारजी ने कहा कि पर्व  जीवन को सरस और मधुर बनाने वाले होते हैं। हर पर्व में एक प्रेरणा होती है, जिस प्रेरणा में हमारे जीवन को स्वर्णिम बनाने के रहस्य छुपे हुए होते हैं। भारतीय त्योहारों में एक विशिष्ट त्योहार है दीपावली। जैन धर्म में यह पर्व भगवान महावीर से जुड़ा है। इस दिन भगवान महावीर ने शिव लक्ष्मी को प्राप्त किया था। आज मानव दीपावली मनाता है, भौतिकता में उलझकर केवल दीप जलाने से कुछ नहीं होगा, हमें ज्ञान दीप के प्रकाश से आत्मा को प्रकाशित करना है। दीपावली के दिन लोग लक्ष्मी की पूजा करते हैं। 

लक्ष्मी के तीन रूप है - अलक्ष्मी, लक्ष्मी और महालक्ष्मी।

अलक्ष्मी - अनीति से कमाया हुआ धन।

लक्ष्मी - नीति से कमाया हुआ धन।

महालक्ष्मी - नीति, रीति, प्रीति से कमाया हुआ धन।

हमें महालक्ष्मी को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। पुरुषार्थ के दीपक से साहस की बाती और लगन की ज्योति हमेशा भाग्य को प्रकाशित करती है।

 मुनि श्री भरतकुमार ने कहा लक्ष्मी प्राप्त करने से पहले धर्म लक्ष्मी (श्री) को प्राप्त करना है। लक्ष्मी तो चंचल, वह टिके ना टिके, पर धर्म की लक्ष्मी हमारे साथ चलेगी। धरम ही हमारा त्राण, प्राण व शान है। मुनि श्री जयदीपकुमार ने गीत का संगान किया।

कार्यक्रम में प्रेक्षा संगीत सुधा ने शानदार, जानदार गीत की प्रस्तुति दी। तेरापंथ सभाध्यक्ष कमलजी दुग़ड ने विचार रखे। बहादुरजी सेठिया ने गीत का संगान किया। विशेष अनुष्ठान का क्रम मुनिश्री ने सभा में करवाया, जिसमें सैकड़ों व्यक्तियों ने लाभ लिया।


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