स्वर साधना से मिल सकती सिद्धि, शांति, सफलता : मुनि श्री सुधाकरजी
किलपॉक, चेन्नई 30.10.2022 ; आचार्य महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकरजी के सान्निध्य में भाग्योदय का अद्भुत विज्ञान - स्वर एवं शगुन विज्ञान विषय पर कुबेर बैंक्विट हॉल, किलपॉक, चेन्नई में तेरापंथ युवक परिषद् की आयोजना में कार्यक्रम आयोजित हुआ।
मुनि सुधाकरजी ने धर्म परिषद् को सम्बोधित करते हुए कहा कि आत्म दर्शन, आत्म रमण, आत्म मंथन, आत्म शक्ति जागरण में स्वर विज्ञान सशक्त माध्यम है। स्वर विज्ञान प्रभावी विद्या है। उसको साधने के लिए श्रद्धा विश्वास और समर्पण जरूरी है। आस्था के साथ की गई साधना शिखरों चढ़ा सकती हैं, कल्याण का मार्ग प्रस्थत कर सकती हैं। स्वर यानी श्वास, जितना लम्बा गहरा श्वास होगा, उतना ही लम्बा आयुष्य होगा।
मुनि श्री ने विशेष रूप से कहा कि व्यक्ति की प्राण शक्ति जितनी मजबूत होगी, उतना ही वह स्वस्थ, सुखी रह सकता है। आपने अनेकों प्रयोगों के माध्यम से, स्वर साधना को साधने और उनसे जीवन परिवर्तन के उपाय बताए। सूर्य, चन्द और सुक्षुम्ना स्वर और उसको कैसे पहचानना और उस समय क्या करना व नहीं करने के बारे में बताया।
मुनि श्री ने स्वर विज्ञान को साधना, सिद्धि और सफलता का प्रयोग बताया। आरोग्यता का सूत्र व तेजस्वी एवं आभामंडल निर्माण का प्रभावी प्रयोग बताया। तेरापंथ के आचार्यों की अनुभूति से निष्णांत शगुन विज्ञान के बारे में जानकारी दी।
विशिष्ट अतिथिगण श्री आनन्द राव विष्णु पाटिलजी I.A.S. माननीय महामहिम राज्यपाल के प्रधान सचिव ने कहा कि अभातेयुप के त्रिआयाम सेवा, संस्कार, संगठन के अपना कर चला जाये तो भारत सुपर पावर बन सकता है। साधु-साध्वीयों की अपनी साधना से, अनुभव से अनुभूत वाणी सुन आचरण करने से हम जिन्दगी में आगे बढ़ सकते हैं। आपने कहा जैन साधु भौतिक साधनों की बहुलता होते हुए भी उन्हें छोड़ साधना पर चलते है, की सराहना की। आपने मन्द बुद्धि के बालकों को पढ़ाने के लिए ऐसे इंस्टिट्यूट को बढ़ाने पर बल दिया। भारतीय परिवेश में विशेषकर जैन समाज में रसी-बसी सयुक्त परिवार की संस्कृति से अपनापन बढ़ता है।
विशिष्ट अतिथि श्री सुनीलजी माथुर, I.R.S. आयकर जाँच महानिदेशक ने कहा कि अति उपभोक्तावादी प्रवृत्ति के कारण अत्यधिक खनिज पदार्थों के दोहन से उत्पन्न पर्यावरण प्रदूषण, मौसम परिवर्तन को रोकने के लिए मुनि ऋषियों की जीवन शैली को उपयोगी बताया।
मुनि श्री नरेशकुमारजी ने महामंत्र नवकार संगीत से स्तुति की। नमस्कार महामंत्र से प्रारम्भ कार्यक्रम में परमार परिवार की बहनों ने मंगलाचरण एवं अन्त में कृतज्ञता के साथ विदाई गीत की प्रस्तुति दी। स्वरूप चन्द दाँती ने "म्हारी चेतना में प्रभु रो नाम है" गीत की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर श्री भरतजी मरलेचा अभातेयूप कोषाध्यक्ष, रमेश सुतरीया कोयंबटूर, भरत टाटिया इत्यादि अनेकों गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित थे।
तेयुप अध्यक्ष विकास कोठारी ने स्वागत स्वर एवं आभार ज्ञापन हर्षा परमार ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए मंत्री संदीप मुथा ने प्रायोजक अशोककुमारजी उगमराजजी परमार परिवार के प्रति धन्यवाद दिया। कार्यक्रम संयोजक दिनेश भंसाली के साथ तेयुप कार्यकर्ताओं का सहयोग रहा। तेयुप द्वारा अतिथियों का सम्मान किया।
समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती
You can also send your news here for publication.
JAINSHUBNEWS@GMAIL.COM
+91-9080972748
https://wa.me/+916382435647
Post a Comment
Post a Comment