हमारे विचार अग्निशिखा ज्यों ऊध्वमुखी हो : मुनि सुधाकर 


माधावरम्, चेन्नई 30.09.2022 ;  श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ माधावरम ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित नवान्हिक अनुष्ठान के पांचवे दिन पर मुनि श्री सुधाकरजी धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अग्नि को किधर से ही जलाओं, उसकी शिखा ऊपर की ओर रहेगी। पानी निम्नमुखी होता है। वह नीचे की ओर बहता है। हमारे विचार और संकल्प अग्नि शिखा ज्यों ऊर्ध्व मुखी होने चाहिये, पानी की तरह निम्नमुखी नहीं। विचार और संकल्प ही हमारे भाग्य विधाता है। उनके आधार पर हमारे भविष्य की रेखाओं का निर्माण होता है। शास्त्रों में कहा है विचार ही उत्थान-पतन तथा बन्धन-मुक्ति के मुख्य हेतु है। जीवन में परिस्थितियों के रंग बदलते रहते है, पर हमारा मिजाज शान्त और स्थिर होना चाहिये। कुछ लोगों का मिजाज क्षण-क्षण में बदलता रहता है। वे एक क्षण में राजी और दूसरे क्षण नाराज होते रहते है। ऐसे लोगों के कारण परिवार और समाज में बहुत समस्याएं उत्पन्न होती है। मनुष्य अपने विचारों और संकल्पों से भिखारी और सम्राट होता है। हमें सम्राट का जीवन जीना चाहिये, भिखारी का नहीं। जिन आदर्शों के लिए जीवन का समर्पण किया हैं, उनके प्रति गहरी श्रद्धा होनी चाहिये।
मुनि श्री नरेशकुमारजी ने नवान्हिक अनुष्ठान करवाया। इस अनुष्ठान के प्रायोजक श्रीमती दमयंतीबाई मनोजकुमार सुनिलकुमार नील सकलेचा का सम्मान श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री रमेश परमार एवं श्री माणकचंद आच्छा ने किया। प्रवीण सुराना ने बताया कल मुनिश्री के सान्निध्य में सर्व मंगलकारी, सर्व कल्याणकारी, सर्व विघ्नहारी, सर्व सिद्धि प्रदायक, पेंसठिया छंद एवं यंत्र का दिव्य एवं भव्य अनुष्ठान प्रातः 9:30 बजे से जैन तेरापंथ नगर, जय समवसरण में आयोजित होगा। जिसमें एक साथ 108 पेंसठिया छन्द का संगान एवं बीज मंत्रों का प्रयोग होगा। कार्यक्रम का संचालन प्रवीण सुराना ने किया।

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