युगदृष्टा महापुरुष थे आचार्य तुलसी - मुनि दीपकुमार


पल्लावरम में आचार्य श्री तुलसी के 112वें जन्मदिवस- 'अणुव्रत दिवस' का हुआ आयोजन

 पल्लावरम/चेन्नई : तेरापंथ भवन में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री दीपकुमारजी ठाणा-2 के सान्निध्य में आचार्यश्री तुलसी के 112वें जन्मदिवस 'अणुव्रत दिवस' का आयोजन जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा एवं अणुव्रत समिति, चेन्नई के द्वारा किया गया।

 मुनिश्री दीपकुमारजी ने कहा कि आचार्य श्री तुलसी युगदृष्टा महापुरुष थे। उन्होंने युग की नब्ज को पहचाना, युगीन समस्याओं का समझा और सुलझाया। उनकी प्रवचन कला अद्‌भुत थी। वाणी में ओज था। वे महान् संगीतकार थे। स्वयं संगान भी करते एवं काव्य रचना भी करते। आचार्य तुलसी महान ग्रंथकार, साहित्यकार थे। उन्होंने अनेको ग्रंथों का निर्माण किया और ग्रंथकारों का भी निर्माण किया। श्रावक समाज का संगठनात्मक रुप सृजन किया। समण श्रेणी जैसे क्रांतिकारी अवदान से देश-विदेश में तेरापंथ जैन धर्म का पर्याय बन गया।

 मुनिश्री ने आगे कहा कि अणुव्रत आचार्य श्री तुलसी का विशिष्ट अवदान है। अणुव्रत सार्वभौमिक आंदोलन है, जो मानव में मानवता का शंखनाद करता हैं।


 मुनिश्री काव्यकुमारजी ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी समता योगी थे। उन्होंने महान् पुरुषार्थ किया। संघ और श्रावक समाज के उत्थान के लिए लम्बी-लम्बी पद‌यात्राएं की।

¤ विशाल व्यक्तित्व, विराट कर्तृत्व के धनी थे आचार्य तुलसी

  विशेष वक्ता अणुव्रत समिति उपाध्यक्ष श्री स्वरुप चंद दाँती ने कहा कि मोमबत्ती स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देनी है, सोना तपकर चमक को प्राप्त होता है, चंदन को घिसने पर खुशबू प्रदान करना है। आचार्य श्री तुलसी का जीवन भी मोमबत्ती, सोना और चंदन के समान था। आचार्य तुलसी ने समयानुकूल व्यक्ति, संघ, समाज विकास के लिए अणुव्रत, नयामोड़, विसर्जन इत्यादि अनेकों अवदान दिये। आप विशाल व्यक्तित्व, विराट कर्तृत्व के धनी थे। युगदृष्टा, भविष्यदृष्टा, आत्मदृष्टा पुरुष थे। भौतिकवादी संस्कृति में अणुव्रत को अपनाकर पर्यावरण संरक्षण में सहभागी बना जा सकता हैं।


 तेरापंथी सभा, पल्लावरम के मंत्री राकेश रांका ने स्वागत व्यक्तव्य दिया। महिला मंडल ने मंगलाचरण गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर पल्लावरम सभाध्यक्ष दिलीप भंसाली, अणुव्रत समिति मंत्री कुशलराज बाँठिया इत्यादि गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित थे।