कन्याएँ संस्कारो की स्याही से अमिट हस्ताक्षर करें - साध्वी अणिमाश्री


पांच दिवसीय बालिका संस्कार निर्माण शिविर का हुआ शुभारंभ

 बालोतरा : - साध्वीश्री अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में सिवांची मालाणी भवन में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के तत्वावधान में सिवांची मालाणी क्षेत्रीय तेरापंथ संस्थान, बालोतरा द्वारा जोधपुर संभागीय पांच दिवसीय बालिका संस्कार निर्माण शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जोधपुर संभाग के 15 क्षेत्रों की लगभग 200 बालिकाओं ने उपस्थित होकर आयोजन वर्ग के उत्साह को शतगुणित कर दिया। इस शिविर में सी.ए. राकेश खटेड, सुश्री याशिका खटेड, श्रीमती राजेश्वरी तातेड़, प्रज्ञा जैन, ममता गोलेच्छा प्रशिक्षण की भूमिका निभा रहे हैं।


 ¤ पूरे परिवार को सुवासित करती है बेटियां

 साध्वीश्री अणिमाश्रीजी ने अपने मंगल उदबोधन में कहा कि ओस के बून्द की तरह होती है बेटियां! दो कूलो को रोशन करती है बेटियां! ये बेटियां संस्कारो के फूलों से अपने जीवन को ही नही पूरे परिवार को सुवासित करती है। कन्याएं संस्कारो के दीपक से अपने परिवार रूपी मंदिर को आलोकित करें। विन्रमता का आभूषण पहनकर जीवन का सच्चा श्रृंगार करे। आप संस्कारो की डोर हाथ में लेकर अपने जीवन रुपी पतंग को इतना ऊंचा उड़ाए की वो सबके लिए रोल मॉडल बन जाये। ये शिविर आपके जीवन मे सृजन के नए हस्ताक्षर करें। ये शिविर आपके जीवन को इंद्र धनुषी रंग से रंग दे। इस शिविर में रहकर आप संघीय संस्कारो का संवर्धन करें एवं श्रद्धा, समर्पण एवं निष्ठा के द्वारा जीवन को सुंदर बनाएं। 

 साध्वीश्रीजी ने आगे कहा कि सिवांची मालाणी क्षेत्रीय संस्थान के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओ की जागरूकता एवं उत्साह ने इतने कम समय मे कार्यक्रम की सफलता का परचम लहराया है। जोधपुर संभाग के प्रायः हर क्षेत्र ने अपनी संभागिता अच्छी संख्या में दर्ज कराई है। ये शिविर विकास का पैरामीटर बने। पांच दिनों में जीवन को ठोस धरातल दें। संयम साधना से जीवन को शानदार व आत्मा को उज्जवल बनाएं। 

 साध्वीश्री कर्णिकाश्रीजी ने कहा कि व्यक्ति की पहचान खान- पान, रहन- सहन व वेश भूषा से नही, स्वयं के संस्कारो से होती है। 

 डॉ. साध्वीश्री सुधाप्रभाजी ने कहा कि यह शिविर सिर्फ इंजॉय करने के लिए नही लगाया गया है। फ़्रेंड्स- मिट भी नही है। अपने जीवन में हर पल इंजॉय कैसे करे, इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा। 

 शिविर प्रशिक्षिका सुश्री याशिका खटेड ने कहा कि संस्कार वो धरोहर है, जो डाकू को सन्त बना सकता है। जीवन का रूपांतरण कर सकता है। 

 साध्वीश्री मैत्रीप्रभा ने मंच का कुशल संचालन करते हुए कहा कि हम अपनी जीवन बगिया को संस्कारो की सौरभ से सुवासित करें। 


 सिवांची मालाणी क्षेत्रीय संस्थान के अध्यक्ष शांतिलाल डागा, शिविर संयोजक डूंगरचंद सालेचा, महासभा के पूर्व उपाध्यक्ष विजयराज मेहता, कार्यकारिणी सदस्य सुरेशकुमार जीरावला, बाहुबली भंसाली ने अपने भावों की प्रस्तुति दी। आभार ज्ञापन संस्थान मंत्री भँवरलाल भावाणी ने किया। मंगल संगान तेरापंथ कन्या मंडल द्वारा किया गया। मंगलवार प्रथम दिन ब्रेंनवेक्ष- कायोत्सर्ग, पॉवर ऑफ आस्किंग, बी.ए. तत्त्वज्ञानी, स्मार्ट मेमोरी, बी. बाहुबली, नमस्कार महामन्त्र बने हमारा मित्र एवं ग्रुप गेम्स आदि कार्यक्रम एवं प्रशिक्षण सत्र हुए।