योग से मिलता आरोग्य : साध्वी डॉ गवेषणाश्री
★ सैकड़ों बच्चों के साथ अभिभावकों, अध्यापकों को बतायें योगासनों के फायदे
चेन्नई : अणुविभा के तत्वावधान में अणुव्रत समिति, तेरापंथ एजूकेशन एण्ड मेडिकल ट्रस्ट, प्रेक्षा फाउंडेशन और संघीय संस्थाओं की आयोजना में साध्वी डॉ गवेषणाश्री ठाणा 4 के सान्निध्य में तेरापंथ जैन विद्यालय, पट्टालम् में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर 'योग से बने निरोग' कार्यक्रम समायोजित किया गया। कार्यक्रम में 300 से अधिक बच्चों के साथ लगभग 400 अभिभावकों, अध्यापकों, श्रावक समाज उपस्थित रहा।
साध्वी डॉ गवेषणाश्री ने कहा कि योग भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। जैन तीर्थंकर ऋषभदेव से सभी तीर्थंकरों, ऋषि, मुनियों की साधना योग से ही प्रारंभ हुई। योग साधना से साधक आकाश में उड़ सकता है तो पानी में भी रह सकता है।
विद्यार्थियों को विशेष प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि योग का मतलब होता है जोड़ना। खण्ड से अखण्ड की ओर जाना। योग साधारण को असाधारण बनाता है, चेतना से अचेतना की ओर ले जाता है। बचपन में शरीर के लचिलेपन में योग से साथ जुड़ने से दीर्घजीवी बन सकते हैं। योग और प्राणायाम से मेमोरी पॉवर बढ़ता है। आत्मविश्वास, आत्मविकास से हार्डवर्क भी सरलता से समन्वय के साथ कर सकते हैं। गुस्सा, चिडचिडापन, आलस्य से दूर रह सकते है। नकारात्मकता को छोड़ सकारात्मकता में जीवन जी सकते हैं।
साध्वीश्री ने अभिभावकों को भी विविध आसनों के द्वारा अनेकानेक बिमारियों को दूर करने की शक्ति समझाई। लाफिंग योगा से चेहरे की तेजस्विता बढ़ती है। मेडिटेशन से रोग प्रतिरोगात्मक क्षमता का विकास होता है। तनाव से मुक्ति पाई जा सकती है।
साध्वी श्री मयंकप्रभा ने कहा कि योग से आई क्यू, इ क्यू, पी क्यू, एस क्यू लेवल बढ़ता है। इमोशनल एवं नैचर पर कन्ट्रोल होता है। साध्वी श्री मैरुप्रभा ने 'अच्छे बच्चे हो तैयार', साध्वी श्री दक्षप्रभा ने 'योग के अभ्यास से जीवन बदलता है' गीतिकाओं से प्रेरणा दी।
कार्यक्रम का कुशल संचालन विद्यालय महासंवाददाता श्री संजय भंसाली ने किया। धन्यवाद ज्ञापन अणुव्रत समिति मंत्री स्वरूप चन्द दाँती ने दिया। कार्यक्रम की शुरुआत में बच्चों द्वारा विविध आसान कियें गये। अणुव्रत समिति द्वारा बच्चों, विद्यालय चेयरमैन, प्रधानाध्यापिका इत्यादि का सम्मान किया गया।
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