मोक्ष का लाइसेंस कार्ड हैं सम्यक्त्व : साध्वीश्री सयंमलताजी
★ सम्यक दर्शन कार्यशाला का हुआ आयोजन
मैसूर : आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वीश्री सयंमलताजी के सान्निध्य में अभातेयुप एवं समण संस्कृति संकाय के संयुक्त तत्वावधान में 'सम्यक दर्शन कार्यशाला' का आयोजन शुक्रवार को तेयुप मैसूर द्वारा तेरापंथ सभा भवन में किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ तेयुप द्वारा मंगलाचरण से हुआ। तेयुप अध्यक्ष विक्रम पितलिया ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।
साध्वीश्री सयंमलताजी ने धर्म परिषद् को संबोधित करते हुए कि मोक्ष का लाइसेंस कार्ड हैं सम्यक्त्व। संसार के भव भ्रमण को रोकने का साधन हैं सम्यक्त्व। जब तक सम्यग्दर्शन नहीं होता है, तब तक सारी धार्मिक क्रिया- ज्ञान, चारित्र भी नहीं होता हैं। सम्यक दर्शन का मूल श्रद्धा। श्रद्धा संजीवनी है। जैसे सुंगध के बिना फूल, जीव के बिना शरीर, तेज के बिना रत्न किसी काम का नहीं के नही होते हैं, उसी प्रकार श्रद्धा के बिना धार्मिक क्रिया महत्व नहीं रखती। हमारी श्रद्धा घनीभूत बने। देव, गुरु, धर्म के प्रति अटूट आस्था व श्रद्धा रखें। जिससे जीवन मे धर्म के संस्कार बहते रहे।
साध्वीश्री रौनकप्रभाजी ने कहा कि भगवान की वाणी में 45 विशेषताएँ है। उनको सुनने मात्र से श्रवनेंद्रिया धन्य हो जाती है। धर्म के प्रति अटूट श्रद्धा, भक्ति से परमात्म पद पाया जा सकता है।
कार्यशाला का संचालन मंत्री जितेंद्र चोपड़ा ने किया। अनेक पदाधिकारी व श्रावकगण की उपस्थिति रही। अन्त में जिज्ञासा- समाधान के द्वारा जिज्ञासाओ को समाहित करते हुए साध्वीश्री सयंमलताजी के मंगल पाठ से कार्यशाला परिसम्पन्न हुई।
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