हैप्पी रहने से रिलेशनशिप बनता मजबूत : डॉ प्रियदर्शना जैन
★ शासनश्री साध्वी शिवमाला ने दुराव, छुपाव मुक्त जीवन जीने की दी प्रेरणा
★ तेरापंथ ट्रस्ट बोर्ड, महिला मण्डल के तत्वावधान में आयोजित हुआ दाम्पत्य शिविर कार्यशाला
चेन्नई 20.08.2023 ; युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या शासनश्री साध्वी शिवमालाजी के सान्निध्य में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ ट्रस्ट एवं तेरापंथ महिला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में तेरापंथ भवन, ट्रिप्लीकेन में दांपत्य शिविर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
◆ दाम्पत्य जीवन में सहयोग, सहकार, सामजस्य जरूरी
शिविरार्थीं दम्पती के साथ जनमेदनी को सम्बोधित करते हुए शासनश्री साध्वी शिवमाला ने कहा कि एक ने कही और दूसरे ने मानी, तो समझों दोनों ज्ञानी। दाम्पत्य जीवन में सहयोग, सहकार, सामजस्य जरूरी है। नारी परिवार, समाज, राष्ट्रीय उत्थान में बड़ी जिम्मेवारी निभाती है। नारी शक्ति, भक्ति, अनुरक्ति की पूजारी है। जीवन रुपी फुलवारी, गुलशन को पवित्र बनाने के लिए एक दूसरे को इज्जत दे। सहन करने वाला बड़ा होता है। दुराव, छुपाव नहीं होने से जीवन सुखमय, शांतिमय बनता है।
◆ शिविर यानि शिक्षा और विनय के साथ आत्मा में रमण करना
मुख्यवक्ता मद्रास यूनिवर्सिटी जेनौलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रियदर्शना जैन ने कहा कि जीवन में सदैव चेहरे पर स्माइल रहनी चाहिए। स्माइल के एक एक शब्दों की विवेचना करते हुए कहा कि स्माइल के समय टेंशन फ्री हो जाते है। स्माइली चेहरा सभी को याद रहता है। अपने आप को स्पेशल बनायें, अपनी वैल्यू स्वयं को बढानी चाहिए। अनुकूल प्रतिकूल परिस्थितियों में सम रहना ही सामायिक है। शिविर यानि शिक्षा और विनय के साथ आत्मा में रमण करना। लाईफ में अप डाउन आ सकते है। इसीजी में सीधी लाइन यानी मौत। अनहैप्पी व्यक्ति मुर्दे के समान है। अपने स्वरूप, स्वभाव में रहने से दुसरे भी हमारे प्रति आकर्षित होंगे।
◆ ज्ञान में विनय, विवेक आने से बनते विजेता
डॉ जैन ने विशेष रुप से कहा कि अशांति परिवार की जड़े हिला सकती है। प्रसन्नता, हैप्पीनेस से बनाया खाना अमृत के समान होता है, स्वास्थ्य वर्धक होता है। अपने ज्ञान को आगे रखे, मोह को पिछे रखना, उससे सम्यक् दर्शन प्रबल बनता है, पैदा होता है। दोनों के ज्ञान में विनय, विवेक आने से विजेता बन सकते है। भावों में यहीं मोक्षत्व का अनुभव करें। हमेशा जवान रहने के लिए बच्चों की तरह हैप्पी रहे, जिससे आपका रिलेशनशिप भी मजबूत बनेगा।
◆ जीवन में मर्यादित भोग, उपभोग हो
डॉ जैन ने कर्म, तत्व के साथ समझाते हुए कहा कि दूसरों की जगह स्वदोष देखने वाले बने। अपने चेतन्य स्वरूप की तरह सामने वालों को भी समझे। पति पत्नी के बीच नाम, रुप की जगह सत्त, चित्त और आनन्द आने से सच्चिदानंद बन सकते है। गैजेट के साथ मैन्युअल आता है, उसी तरह हमारा, परिवार का भी मैन्युअल बनना चाहिए। जीवन में आनन्द आने से कर्म तो स्वतः कट जायेंगे, मिट जायेंगे। आत्मनिर्भर बने, स्वप्न की दुनिया से बाहर निकले। जीवन में मर्यादित भोग, उपभोग हो। अर्थ पुरुषार्थ के साथ, धर्म पुरुषार्थ का समावेश हो। नजर बदलने पर नजरिया बदल जाता है। संसार रुपी किचड़ में भी कमल की भांती रहे। योग से अयोग की ओर बढ़े।
डॉ जैन के धाराप्रवाह विवेचन में श्रोता इतने गहराई में उतर गए कि एक घण्टे का समय भी चन्द मिनटों का लगा। साध्वी अमितरेखा, साध्वी अर्हम् प्रभा, साध्वी रत्नप्रभा ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। मुख्य वक्ता का ट्रस्ट बोर्ड, महिला मण्डल की ओर से अभिनन्दन किया गया। स्वागत स्वर ट्रस्ट बोर्ड प्रबंध न्यासी श्री सुरेश संचेती और महिला मण्डल अध्यक्षा लता पारख ने दिया। महिला मण्डल मंत्री हेमलता नाहर ने मुख्य वक्ता का परिचय दिया। अणुव्रत समिति मंत्री स्वरूप चन्द दाँती ने अणुव्रत अमृत वर्ष में संयम संकल्प पत्र भरने का आह्वान किया। ट्रस्ट बोर्ड मंत्री विजयकुमार गेलड़ा ने मंच संचालन करते हुए आभार ज्ञापन किया। दम्पत्ति शिविर कार्यशाला में अनेकों दम्पतियों के साथ श्रद्धालु जन में सहभागिता दर्ज कर ऐसी कार्यशाला और भी रखने की भावना व्यक्त की। कार्यशाला संयोजिका उषा धोका, लीला सेठिया के साथ ट्रस्ट बोर्ड, महिला मण्डल सदस्यों ने कार्यशाला को सफल बनाने में योगदान दिया।
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