प्रकाश, आनंद और शक्ति के महायायावर थे- आचार्य महाप्रज्ञ : साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा
★ प्रेक्षाप्रणेता, युगप्रधान आचार्य श्री महाप्रज्ञजी की 14वीं वार्षिक पुण्यतिथि
सिकंदराबाद 16.04.2023 : श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा, सिकंदराबाद के तत्वावधान में मासाब टैंक स्थित भगवान महावीर हॉस्पिटल के 'आचार्य महाप्रज्ञ सभागार' में तेरापंथ धर्मसंघ के दशमाधिशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ की 14वीं वार्षिक पुण्यतिथि, साध्वी श्री डॉ मंगलप्रज्ञाजी की पावन सन्निधि में मनाई गई है।
आराध्य के प्रति श्रद्धा समर्पित करते हुए साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा ने कहा कि प्रकाश, आनन्द की यात्रा और शक्ति की उपासना का नाम है- आचार्य महाप्रज्ञ। उन्होंने ध्यान-साधना के माध्यम से आनन्द की यात्रा की और जैन योग के पुनरुद्धारक बन गए। उन्होंने मंत्र साधना से शक्ति की आराधना की। उनकी जीवन यात्रा समर्पण और भक्ति के शिखर की यात्रा है। स्कूल का दरवाजा न देखने वाला सामान्य बालक- शुद्ध, प्रबुद्ध संकल्प के कारण विश्व विख्यात संत बन गया। उनके पुरुषार्थ और पराक्रम ने उन्हें प्रज्ञा शिखर महाप्रज्ञ बना दिया। ऐसा निःसंदेह कहा जा सकता है खुले वितान में जन्म लेने वाला बालक नत्थू अप्रतिवद्ध विहारी बन विश्व का उपकारी बना। जिनके विचारों से जन-जन प्रतिबोधित हुआ।
साध्वीश्री ने आचार्य महाप्रज्ञ के बाल्यावस्था के अनेक प्रेरक और श्रवणप्रिय प्रसंगों से परिषद को रसपान करवाया, जिसे सुनकर सम्पूर्ण सभा भावविभोर और दत्तचित्त-सी बन गई।
उन्होंने कहा कि महाप्रज्ञ की प्रज्ञा सदैव जागृत थी। उनके महान व्यक्तित्व को शब्दों का बाना पहनाना नामुमकिन है। फिर भी उनके नैकट्य को मैंने सौभाग्य से पाया। उस पावन सन्निधि के आधार पर कहा जा सकता है कि अनेक राजनेताओं ने साहित्य सम्पदा से अपने जीवन के तथ्यों को पाया और सत्य को प्राप्त किया। उनके लेखन का संसार बड़ा विस्तृत था। उनके साहित्य पर अनेक सम्मेलन हो चुके हैं। युगीन, सामाजिक एवं वैयक्तिक समस्याओं का समाधान उनके साहित्य में प्राप्त होता है। मानवीय स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी उनके विचार विश्व कल्याणी बने हैं, बन रहे हैं। महान दार्शनिक, प्रवचनकार के साथ वे महायोगी भी थे।
साध्वीश्रीजी ने अपनी समण श्रेणी में की गई अनेक 'विदेश यात्राओं के संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय क्षितिज पर अपने महान अवदानों से आज भी प्रणम्य है, सदैव प्रणम्य रहेंगे। वे सम्पूर्ण मानवता के मंगल और जैनशासन के देदिप्यमान महासूर्य थे। शताब्दियां उनके कर्तृत्व, नेतृत्व को भूल नहीं पाएगा।
सुश्री रिद्धिमा एवं नायशा सुराणा की मंगल महावीर स्तुति से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री बाबूलालजी बैद ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ महान संत, महान वैज्ञानिक के साथ-साथ महान योग्य शिष्य थे। तेरापंथ महिला मण्डल अध्यक्षा अनिता गिरिया ने कहा- आचार्य महाप्रज्ञ जैन परम्परा के महान संत थे। तेयुप उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार भंडारी, श्रावक सम्पतजी नौलखा, तेरापंथ प्रोफेशनल फॉरम अध्यक्ष पंकज संचेती, TPF के राष्ट्रीय सदस्य मोहित बैद, तेरापंथ सभा के पूर्व अध्यक्ष, महावीर हॉस्पिटल के ट्रस्टी श्री राजकुमारजी सुराणा, महावीर हॉस्पिटल चेयरमैन महेन्द्रजी रांका, ट्रस्टी श्री रमेशजी कुण्डलिया ने श्रद्धासिक्त विचार व्यक्त किए।
साध्वी शौर्यप्रभाजी ने कहा- आचार्य महाप्रज्ञजी का व्यक्तित्व वर्चस्वी एवं अनुपमेय गुणों का समवाय था। उनका हर रूप हमारे भीतर शक्ति संप्रेषित करने वाला है। साध्वी सुदर्शनप्रभा, साध्वी सिद्धियशा, साध्वी राजुलप्रभा, साध्वी चैतन्यप्रभा एवं साध्वी शौर्यप्रभा ने सामूहिक संगान कर महामना आचार्य महाप्रज्ञजी के प्रति श्रद्धा भावना व्यक्त की। संयोजिका साध्वी राजुलप्रभाजी ने कहा कि आचार्य श्री महाप्रज्ञजी विश्वकल्याणी विचार के धनी थे। उन्होंने साधना की प्रवर मंदाकिनी में स्नान कर जन-मानस को जीने का मार्ग दिखाया। आभार ज्ञापन तेरापंथ सभा के मंत्री श्री सुशीलजी संचेती ने किया।
समाचार प्रदाता : राजेन्द्र बोथरा
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