सात्त्विकता, प्रेम, सौहार्द से जीवन बनता आनन्दमय - साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा

★ परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला

विजयवाड़ा 04.02.2023 ; कौस्तुभा अपार्टमेन्ट, भवानीपुरम, विजयवाड़ा के क्लब हाऊस में परिवार प्रशिक्षण विषयक पर प्रवचन करते हुए साध्वीश्री डॉ मंगलप्रज्ञा ने कहा कि भगवान महावीर ने हमें आनंद का मार्ग बताया है। उन्होंने क्षमा का महत्त्वपूर्ण सूत्र बताया। महावीर-मार्ग से भटकने वाले दुःख झेलते हैं। आवश्यकता है जीवन व्यवहार में सात्त्विकता आए, प्रेम और सौहार्द की चेतना जगे, तभी आनंद की धारा प्रवाहित हो सकती है। "मैं कहता हूँ वही सत्य है, ऐसा मानना सही नहीं है।" यह सोचें सामने वाला सोचता है वह भी सत्य है। यह चिन्तन आनन्द पैदा करता है।


आग्रह, दुराग्रह और क्रोध को कम करने का प्रयास करें। अनियन्त्रित कोध वाला व्यक्ति आनंद का जीवन नहीं जी सकता। आवश्यकता है, क्रोध के भयंकर नशे को छोड़ें। अधिक क्रोध करने वाले व्यक्ति की रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति कम हो जाती है। विज्ञान के इस नियम को सत्य मानकर कोध पर अनुशासन करें। क्रोध के कारण पीढ़ियों का प्रेम नष्ट हो जाता है। हैप्पी हैल्थ के लिए इमोशन पर कंट्रोल करें।


साध्वीश्री ने आगे कहा कि हमें सौभाग्य से भगवान महावीर का आनंद से भरा मार्ग मिला है। इस पर चलते चलें। व्यवहार को बदलना सीखें। परिस्थितियों से प्रभावित होकर गलत रास्ते को न चुनें। दूसरों को बदलने की जगह खुद को बदलें। अपने अहंकार की समस्या का समाधान खोजें। उन्होंने कहा कि मेरा जैन समाज से आह्वान है कि समाज में बढ़ती समस्याओं पर प्रहार करें। यह जागने का समय है। जिन्दगी की छोटी यात्रा को आनन्द के साथ जीएं। हम यदि वास्तव में आनंद चाहते हैं, तो दुनिया की कोई शक्ति हम पर हावी नहीं हो सकती। 

 विजयवाड़ा अणुव्रत समिति अध्यक्ष श्री राजेन्द्र कोठारी ने साध्वीश्रीजी का स्वागत किया। साध्वी राजुलप्रभाजी ने विचार व्यक्त किए।


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