लक्ष्य के साथ बने गतिशील : साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा
★ साध्वीवृंद का मंगलभावना एवं दीक्षार्थी सोनल पीपाड़ा का अभिनन्दन समारोह
◆ दीक्षार्थी सोनल पीपाड़ा ने कहा ज्ञानशाला बनी आत्मोन्नति में सहयोगी
● सभी संघीय संस्थाओं ने दी भावाभिव्यक्ति
माधावरम्, चेन्नई 20.11.2022 ; व्यक्ति जीवन यात्रा में लक्ष्य के साथ गतिशील बने, यात्रायित बनें। लक्ष्यवान लक्षित मंजिल को प्राप्त कर उन्नति के शिखर पर, विकास के पथ पर आरोहण कर सकता है। बौद्धार्थी सोनल पीपाड़ा ने एक संकल्प संजोया और भिक्षु संगीत को आत्मा का संगीत बना लिया, संयम पथ की पथगामी बनने को अग्रसर हो गई। उपरोक्त विचार श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई की आयोजना में आचार्य महाश्रमण तेरापंथ जैन पब्लिक स्कूल में आयोजित साध्वीश्री डॉ मंगलप्रज्ञाजी के चातुर्मास्य परिसम्पन्नता पर नगरीय मंगलभावना एवं दीक्षार्थी सोनम पीपाड़ा के अभिनन्दन समारोह में साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा ने कहें।
साध्वी श्री ने आगे कहा कि आध्यात्मिक साधना के लिए धर्म के चार मार्ग शांति, मुक्ति, आर्जव, मार्दव में प्रवेश करना चाहिए। कैसी भी, किसी भी तरह की परिस्थिति आ जाये, जीवन को सरोवर की तरह बना दे, क्रोध के अंगारे भी उसमें आकर स्वत: शांत हो जायेंगे। जीवन आनन्दमय, प्रसन्नमय बन जायेगा। ऋजुता, मुदृता, प्रमोद भावना, एक दूसरे को आगे बढ़ाने के भाव से परिवार, समाज का सम्यक विकास होता है।
साध्वीश्री ने कहा कि बौद्धार्थी सोनल के दीक्षा का मार्ग असामान्य मार्ग है। गुरु आज्ञा में रह कर इस मार्ग को शक्तिदायक, आनन्ददायक बनायें। जिस सिंह वृत्ति से लक्षित दिशा की ओर बढ़ रही है, उसी सिंह वृत्ति से उसका पालन करना, उसमें रमण करना और मोक्ष महल की ओर गतिशील हो जाना।
दीक्षार्थी सोनल पीपाड़ा ने कहा कि मेरे जीवन में ज्ञानशाला वरदानदायी बनी। ज्ञानशाला अनूठी संजगता, अनूपम जागरूकता, संजीवता को जीवन में जगाती हैं। सत् संस्कारों का बीजारोपण परिवार से मिलता है। मुझे मेरे दादाजी से संस्कारगत संस्कार मिले। मेरी वैराग्य भावना में शासनमाता साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभाजी का शुभ संयोग मिला। भिक्षु शासन में समर्पण के लिए भिक्षु भुमि में भिक्षु पट्टधर मुझे संयम रत्न प्रदान कर, शुभ भावों से भावित करेंगे।
दीक्षार्थी सोनल ने जनमेदनी से आह्वान किया कि सांसारिक वंश को बढ़ाने की जगह वंशावली के आध्यात्मिक उन्नति की भावना रखें। अपने परिजनों में, बच्चों में वैराग्य के भाव जगा, उन्हें प्रोत्साहित कर, गतिशील बनाये। फ्रेम, नेम सब टेंपरेरी हैं, हम कषाय मुक्ति की साधना में आगे बढ़े।
साध्वी राजुलप्रभाजी ने कहा कि दीक्षार्थी सोनल अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति, मजबूत मनोबल, सम्यक संकल्प से गुरु चरणों में समर्पित हो रही है। संयम पथ की पथगामी बन रही है। हम सभी हैप्पी रहें, उसके लिए जीवन की दिशा का परिवर्तन जरुरी है।
कन्या मण्डल ने प्रमुदित दशों दिशाएं, आरती आज उतारे, संगीत से भाव आरती उतारी। महिला मण्डल, युवक परिषद्, तुलसी संगीत मण्डल ने गीत के माध्यम से साध्वीश्रीजी के मंगल विहार और दीक्षार्थी की अभिवन्दना की।
नमस्कार महामंत्र से प्रारम्भ कार्यक्रम में सभाध्यक्ष उगमराज सांड ने स्वागत स्वर प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य प्यारेलाल पितलिया ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। साहुकारपेट ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी विमल चिप्पड़, माधावरम् ट्रस्ट कोषाध्यक्ष गौतमचन्द समदडिया, तेयुप अध्यक्ष विकास कोठारी, महिला मण्डल उपाध्यक्षा अल्का खटेड़, अणुव्रत समिति कोषाध्यक्ष पंकज चौपड़ा इत्यादि ने साध्वीवृन्द के मंगल विहार एवं दीक्षार्थी सोनल पीपाड़ा की अभिवन्दना में अपने स्वर रखें। दीक्षार्थी परिवार से महावीर बाफणा ने परिचय दिया। बाफणा परिवार की बहनों, जी. महावीर बाफणा, प्रकाश बाफणा ने गीत, व्यक्तव्य से अपने विचार रखें। सभी संघीय संस्थाओं की ओर से दीक्षार्थी का जैन प्रतिक चिन्ह और अभिनन्दन पत्र भेट कर स्वागत किया। साहुकारपेट ट्रस्ट को मिले अनुदान के लिए डुंगरवाल परिवार का सम्मान किया गया। डॉ मोहित मुथा का मिली चिकित्सकीय सेवाओं के लिए सम्मान किया गया। सभा मंत्री अशोक खंतग ने कुशल संचालन और सहमंत्री देवीलाल हिरण ने आभार व्यक्त किया।
समाचार साभार : स्वरूप चन्द दाँती
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