पंच ऋषि साधना से पा सकते समृद्धि, सिद्धि : मुनि श्री सुधाकरकुमार

मुनिवृंद ने आंध्रप्रदेश सीमा में किया प्रवेश

चेन्नई 22.11.2022 ; आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकरकुमारजी, मुनि श्री नरेशकुमारजी माधावरम् के चातुर्मास सम्पन्नता के बाद आज विहार करते-करते श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन नवग्रह 72 जिनालय, ताड़ा पधारें।
तमिलनाडु की सीमा सम्पन्नता पर श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट बोर्ड के प्रबंध न्यासी श्री घीसूलाल बोहरा के नेतृत्व में श्रावक समाज संघबद्ध 72 जिनालय पधारे। सभी ने मुनि श्री के विहार की साता पुछ, आगे की यात्रा की मंगलकामना की। 



इस अवसर पर मुनि श्री ने 72 जिनालय के अधिष्ठनायक भगवान पार्श्वनाथ को श्रद्धा के साथ स्मरण करते हुए श्रावक समाज को बताया कि तेरापंथ धर्मसंघ के पंच ऋषि अतुलनीय, अनुपम साधना के धनी हुए हैं। चतुर्थ आचार्य श्री जीतमलजी ने उनकी स्तुति में विघ्न हरण की ढाल में उन्होंने बताया कि उन पंचऋषि के नियमित जप से आध्यात्मिक उन्नति को तो प्राप्त किया जा सकता ही है, साथ में सांसारिक, पारिवारिक वातावरण में सुख, समृद्धि को पाया जा सकता है। मुनि श्री ने चोवदश पर हाजरी का वाचन किया।
मुनि नरेशकुमारजी ने भगवान महावीर की स्तवना में गीत का संगान किया। इस अवसर पर चेन्नई के अनेकों श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित हुए।

समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती


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