हमारा मष्तिस्क सदा शान्त और सहज रहे : मुनि श्री सुधाकरजी
माधावरम्, चेन्नई 13.10.2022 ; आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री सुधाकरजी ने धर्म परिषद् को सम्बोधित करते हुए कहा कि शरीर के सभी अंगो में मष्तिस्क का महत्त्व बहुत अधिक है। उसे विश्व के सबसे शक्तिशाली कम्प्युटर की उपमा दी जाती है। उसकी सुरक्षा पर हर समय ध्यान देना जरूरी है। जिसका मस्तिष्क शान्त और सहज होता है, वह शक्तिशाली होता है। किसी भी प्रकार का भावावेश मष्तिस्क को अशान्त और उत्तेजित बना देता है। जो मस्तिस्क को शक्तिशाली बनाना चाहते है, उन्हें सब प्रकार के भावावेश से स्वयं को बचाना चाहिये। दो क्षण का भावावेश शरीर में जहरीले रसायन पैदा करता है। इससे शारीरिक और मानसिक शक्तियां नष्ट होती है। कठिन परिस्थितियों तथा बीमारियों से लड़ने की ताकत खत्म होती है। इसलिए हमें मष्तिस्क को सदा शांत और सहज रखना चाहिये। नियमित रूप से योग साधना करने तथा आध्यात्म प्रधान जीवन शैली का विकास करने से हम भावावेश पर विजय पा सकते है तथा शान्ती और सहजता से जी सकते है।
मुनिश्री ने 'जैन साहित्य में वर्णित बाहुबली की वीरता का वर्णन करते हुए विशेष रूप से कहा कि जो क्रोध का उत्तर क्रोध से देता है, वह सच्चा वीर नहीं है। जो क्रोध और आवेश के उफान को शान्त करता है, वह सच्चा वीर होता है। उफान रसोई घर में ही नहीं आता, हमारे मष्तिस्क के बर्तन में भी उठता है। हमें प्रेक्षाध्यान के प्रयोगों का अभ्यास कर उसे शान्त बनाना चाहिये।
समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती
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