ज्ञानशाला प्रशिक्षक रिफ्रेशर कोर्स कार्यशाला



जलती रहे पराक्रम की मशालः रोशन हो जीवन-पथ

- साध्वीश्री डॉ मंगलप्रज्ञा


  साहूकार पेट, चेन्नई 22.09.2022 ; तेरापंथ सभा के आयोजकत्व में "ज्ञानशाला स्नातक प्रशिक्षक रिफ्रेशर कोर्स" के एक दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत प्रशिक्षिकाओं के मंगल संगान से हुई। इस अवसर पर विशेष प्रेरणा प्रदान करते हुए साध्वीश्री डॉ मंगलप्रज्ञाजी ने कहा- आगम, निरयुक्ति साहित्य आदि के अवगाहन से एक सत्य वाक्य प्रेरणा बनकर निस्पन्दित होकर निकलता है, वह है शाश्वत प्रकाश प्रदान करने वाला एक मात्र "ज्ञान" होता है। यह भीतर का अलोकिक ज्ञान विवेक चेतना जागृत करने वाला होता है। आध्यात्मिक ज्ञान सही पथ दिखलाता है। आज हर बच्चा अपने करियर के प्रति जागरूक है। संयम की आंख के बिना भौतिकता की पांख भावी पीढ़ी को गुमराह कर देती है।

ज्ञानशाला इस भौतिकता की पांख की नियंत्रित करने के लिए संयम की आंख प्रदान करती है। ज्ञानशाला से विवेक की आँख प्राप्त होती है। सफलता के तीन महत्वपूर्ण सूत्र है- श्रद्धा, समर्पण और पराक्रम। विश्वास का प्रादुर्भाव व्यक्ति को लक्षित मंजिल हासिल कराता है। मात्र विश्वास ही सबकुछ नही होता जिस समर्पण लक्ष्य को प्राप्त करना है, उसके प्रति गहरा समर्पण भी आवश्यक है। इसके साथ ही समय प्रबन्धन, नियमितता पर भी ध्यान दें।

हर प्रशिक्षक आत्मविश्वास के साथ स्वयं प्रशिक्षित बनें और ज्ञानशालार्थियों के ज्ञान-विकास के प्रति भी पराक्रम होना चाहिए। जितना गहरा ज्ञान स्वाध्याय के प्रति प्रशिक्षक जागरूक रहेंगे, बच्चों को भी वे व्यवस्थित ज्ञान दे पाएंगे। मात्र अध्यापन ही प्रशिक्षको का ध्येय नहीं है, ज्ञानशाला के बच्चों में करणीय और अकरणीय कार्यों के प्रति विवेक चेतना जगाएं, व्यवहारिक ज्ञान का प्रशिक्षण भी है। समय-समय पर सभा, प्रशिक्षक, अभिभावक, व्यवस्थापक बच्चों को प्रोत्साहित भी करें। तेरापंथ संघ की एक सशक्त टीम है, जो बच्चों के लिए अपने समय, शक्ति का सुन्दर नियोजन करती है। ज्ञानशाला संस्कारों की एक सुन्दर फुलवारी है। जिसे जागरुकता के साथ फलवान बनाए रखने का प्रयास हो। पराक्रम की मशाल से बच्चों के जीवन-पथ को प्रकाशित करते रहें, यह प्रशिक्षिक-प्रशिक्षिकाओं का परम दायित्व है।


ज्ञानशाला आंचलिक संयोजिका श्रीमती अनिता चोपड़ा ने कहा- ज्ञानशाला की प्रशिक्षिका होने का हमें सात्त्विक गौरव है। सही सिंचन और सही वक्त का ज्ञानशाला के लिए नियोजन हमारा परम कर्तव्य है। साध्वी शौर्यप्रभा जी ने कहा- प्रशिक्षिकाएं छोटे-छोटे टिप्स के द्वाराबच्चों में ज्ञान का संवर्धन करें।


सात सत्रों में विभाजित कार्यशाला में लगभग 25 ज्ञानशाला की 70 प्रशिक्षिकाओं ने भाग लिया। सभा अध्यक्ष श्री उगमराज जी सांड ने सभी का स्वागत किया। साध्वी डॉ राजुलप्रभा जी ने सर्वागीण व्यक्तित्व विकास, साध्वी डॉ चैतन्यप्रभा जी ने तत्त्वदर्शन, साध्वी डॉ शौर्यप्रभा जी ने जीवन विज्ञान, गेम्स, प्रोजेक्ट आदि का प्रशिक्षण दिया। तेरापंथ प्रोफेशनल फॉरम के अध्यक्ष श्री राकेश खटेड ने टेक्नोलोजिकल प्रशिक्षण दिया। स्नातक रेफ्रेशर कोर्स कार्यशाला में साध्वी श्री डॉ मंगलप्रज्ञा जी द्वारा तेरापंथ दर्शन का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर समस्त प्रशिक्षिकाओं ने आत्मिक आहलाद की अनुभूति की। सभा के ऊर्जावान मंत्री श्री अशोक जी खतंग ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला कार्यक्रम का कुशल संचालन ज्ञानशाला प्रभारी सुरेश जी तातेड़ ने किया। 

                   प्रचार प्रसार विभाग

      श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

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