साधना से नींद पर पायें विजय : आचार्य श्री महाश्रमण
तालछापर 22.09.2022 ; कर्म शास्त्रीय सिद्धांत के अनुसार भगवती सूत्र में दर्शनावरणीय कर्म उदय के कारण नींद आती हैं। शरीर शास्त्र में चरक सिद्धांत के अनुसार - मन क्लांत, निष्क्रिय और इंद्रियां क्रिया रहित होकर अपने-अपने विषयों से निवृत हो जाती हैं, उस समय मनुष्य सोता है, निद्रा आती हैं। उपरोक्त विचार धर्म परिषद् को सम्बोधित करते हुए युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण ने कहें।
आचार्य प्रवर ने आगे कहा कि नींद जीवन के साथ जुड़ा हुआ नियम है। साधना के द्वारा भगवान महावीर की तरह निद्रा पर कंट्रोल कर सकते हैं।
आपने विशेष रूप से कहा कि निद्रा विजय, क्षुधा विजय और आसन विजय होना चाहिए। कई व्यक्ति साधना से घण्टों-घण्टों एक ही आसन पर बैठे रह जाते हैं, आसन विजय कर लेते हैं। दिनों-दिनों तक संकल्प शक्ति से बिना आहार के रह जाते है, सुधा पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। आचार्य भिक्षु की तरह गृहस्थों से चर्चा करते या आचार्य तुलसी की तरह धम्म जागरणा, लाडनूं में निद्रा पर भी विजय प्राप्त कर ली थी। वैसे ही कई साधु, श्रावक भी निद्रा पर विजय प्राप्त कर लेते हैं।
आपश्री ने विशेष प्रेरणा पाथेय देते हुए कहा कि अति निद्रा एवं अति जागरण साधना में बाधक बनते है। बड़ी साधना को छोड़ सामान्यतः व्यक्ति को समय पर सोना चाहिए और समय पर उठना चाहिए। साधु को तो सुर्योदय से पूर्व उठना ही चाहिए। गृहस्थ को भी सुर्योदय पूर्व निद्रा मोक्ष प्राप्त हो जाना चाहिए। ताकि समय पर सामायिक, स्वाध्याय, ध्यान कर सकते है, तरोताजा रह सकते हैं।
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