श्रद्धा, आस्था का करे विकास : साध्वी उदीतयशाजी


¤ माणकचंद रांका ने स्वीकार की श्रावक की पाँचवी प्रतिमा 

¤ 32वें विकास महोत्सव का हुआ आयोजन 

 साहूकारपेट, चेन्नई : आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी श्री उदितयशाजी ठाणा 4 के सान्निध्य में तेरापंथ भवन, साहूकारपेट, चेन्नई में 32वें विकास महोत्सव का समायोजन हुआ।

 नमस्कार महामंत्र समुच्चारण के साथ शुभारंभ कार्यक्रम में समुपस्थित धर्म परिषद को सम्बोधित करते हुए साध्वी श्री उदितयशाजी ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ सदैव विकास के मार्ग पर अग्रसर रहा है। सभी आचार्यों ने मौलिकता को सुरक्षित रखते हुए विकास के नव आयामों का सृजन किया। नवमाधिशास्ता आचार्य श्री तुलसी ने युगानुरूप धर्मसंघ को अनेकानेक आयाम दिये। श्रावक समाज की संगठनात्मक विकास के लिए अनेकों संस्थाओं का गठन किया। वही सामाजिक उत्थान के लिए अणुव्रत, रूढ़ि उन्मूलन इत्यादि आन्दोलन का सूत्रपात किया। आचार्य श्री तुलसी ने योजनाओं की संयोजना की, आयोजन को प्रयोजन सिद्ध करने वाला बनाया।


 साध्वीश्रीजी ने विशेष पाथेय प्रदान कराते हुए कहा कि हम अपने भीतर श्रद्धा, आस्था का विकास करे। संघ सेवा के अवसर पर व्यक्तिगत कार्यों का भी संशोधन करे, कभी-कभार गौण भी करे। हम अपनी निजी साधना में भी आगे बढ़े, विकास करे। मुक भावों से स्तवन, स्तुति, स्मरण करने से हमारा तारतम्य एकमेव हो जाता है। समय के साथ नाम, रुप, संख्या बदल सकती है, पर तत्व, सत्व नहीं बदलता।

卐 सुश्रावक माणकचंद रांका ने स्वीकृत की पांचवी प्रतिमा

 साध्वीश्रीजी ने गुरुदेव की अनुज्ञा से सुश्रावक माणकचंदजी रांका को श्रावक की पांचवी प्रतिमा 'कार्योत्सर्ग पणिमा' का संकल्प दिलवाया। इस अवसर पर पुरी धर्म परिषद ने ऊँ अर्हम की ध्वनि से उनका अभिवादन किया। 

 साध्वी शिक्षाप्रभाजी ने कविता प्रस्तुत की। साध्वी भव्ययशाजी ने आचार्य श्री तुलसी के कर्तृत्व को रेखांकित किया। साध्वी संगीतप्रभाजी ने कुशल संचालन करते हुए सुमधुर गीत का संगान किया। सभाध्यक्ष श्री अशोक खतंग ने अपने विचार व्यक्त किए। संघ गान के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।



¤ माणकचंद रांका ने स्वीकार की श्रावक की पाँचवी प्रतिमा 


¤ 32वें विकास महोत्सव का हुआ आयोजन करे श्रद्धा, आस्था का करे विकास : साध्वी उदीतयशा


¤ माणकचंद रांका ने स्वीकार की श्रावक की पाँचवी प्रतिमा 


¤ 32वें विकास महोत्सव का हुआ आयोजन विकास : साध्वी उदीतयशा


¤ माणकचंद रांका ने स्वीकार की श्रावक की पाँचवी प्रतिमा 

¤ 32वें विकास महोत्सव का हुआ आयोजन