शुक्ल ध्यान से होती शुभ प्रवृत्ति : आचार्य श्री महाश्रमण


★ सायला में ध्वल सेना के साथ हुआ आचार्य श्री प्रवेश

◆ ग्रामवासियों ने किया भावभीनी स्वागत


सायला (जालोर) 07.02.2023 ; सिवाणची मालाणी का ऐतिहासिक प्रवास परिसम्पन्न कर गुजरात की ओर विहाररत आचार्य श्री भिक्षु प्रणित जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी आदि विशाल श्रमण श्रमणी भगवंतों का भंडारी हंसराज ताराचंद जैन हायर सेकेण्डरी स्कूल, जालोर जिले के सायला ग्राम में मंगल प्रवेश हुआ।  

 जसोल निवासी शा चन्दुजी (चन्द्रशेखर) सालेचा सायला एवं सायला जैन संघ की विनती स्वीकार कर महती कृपा कर न केवल सायला में पधारे, बल्कि एक दिन की स्थिरता भी प्रदान कर सेवा कार्य का लाभ दिया। अहिंसा यात्रा को आगे बढ़ाते हुए जैन संघ के सदस्यों ने आगे बढ़कर पांच किलोमीटर दूर पहूंचकर विहार सेवा की। 

 सायला प्रवेश में पोलिस स्टेशन के सामने थानेदार एवं पोलिस अधिकारियों ने प्रणाम वंदना कर आशीर्वाद लिया। श्री शांतिनाथ श्वेताम्बर जैन पेढ़ी, सायला ने मंदिर प्रांगण में अभिन्नदन स्वागत करते हुए बहनों ने गहूंली कर वंदना की। विभिन्न जयकारी नारों से अहिंसा यात्रा को सायला के राजमार्ग होते हुए गुंजायमान कर दिया।


जैन अजैन ने श्रद्धा पूर्वक वंदना नमन किया। स्कूल प्रांगण (ग्राउंड) में पहूंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हुआ, जिसमें सैकड़ों की संख्या में जैन-अजैन श्रद्धालुओं ने सहभागिता प्रदान की। 

 धर्मसभा की शुरुआत में मुनि श्री दिनेश कुमार ने अपने उद्बोधन में क्रोध पर अंकुश करने हेतु विभिन्न उदाहरण के माध्यम से कहा कि संतों की कठोर तपस्या भी क्रोध पर अंकुश नहीं करने पर निष्फल हो जाती है। सायला में 2013 में कच्छ से आते समय पधारे और इस बार बालोतरा से गुजरात की तरफ विहार करते समय पधारे हैं।

 आचार्य श्री महाश्रमणजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे जीवन में ध्यान का बहुत महत्व है। शरीर, वाणी, मन की प्रवृत्ति का निरोध करना ध्यान है। ध्यान के चार प्रकार है, हमें शुक्ल ध्यान में शुभ प्रवृति से मन को केन्द्रित करना चाहिए। उन्होंने आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा प्रवर्तित प्रेक्षाध्यान की जानकारी देते हुए सभी को प्रेक्षाध्यान, कार्योत्सर्ग में श्वास प्रेक्षा का प्रयोग कराया।


 तत्पश्चात चन्द्रशेखर सालेचा ने अपनी कर्म भूमि में स्वागत किया। स्कूल प्रिंसिपल श्री हरिराम ने आचार्य श्री महाश्रमणजी का स्वागत अभिनन्दन करते हुए स्कूल प्रांगण को श्रमण-श्रमणी वृंदों द्वारा पवित्र करने हेतु कृतज्ञता व्यक्त की। सायला सरपंच श्रीमती रजनी कंवर ने विभिन्न आंकड़ों के माध्यम से देश में जैनों के योगदान गिनाते हुए सराहना की। श्रीमती किरण चारण ने स्वागत करते हुए कहा कि संतों की सेवा में मेरा जीवन लगा रहे, यह कामना की। लीलादेवी सालेचा ने भावाभिव्यक्ति दी।

सालेचा परिवार की महिलाओं द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया। जसोल ज्ञानशाला बच्चों द्वारा गितीका प्रस्तुत की। ज्ञानार्थीयों की शानदार प्रस्तुति पर गुरुदेव ने आशीर्वचन फरमाते हुए आगे भिक्षु म्हारे प्रगटीया जी .. गीत को याद करने की प्रेरणा दी। अहमदाबाद व्यवस्था समिति की ओर से विद्यालय परिवार का सम्मान किया। इस पुरे प्रवास में तेरापंथ धर्मसंघ के ट्रस्टीगणों, पदाधिकारिगणों, गणमान्य गणों, अतिथियों ने विहार सेवा, प्रवास सेवा में अपनी सेवाएं देते हुए सहभागिता प्रदान की। तत्पश्चात आचार्य श्री ने पधारे हुए समस्त जनों को मंगलपाठ सुनाया। 

 समाचार साभार : कांतिलाल भण्डारी

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