बच्चों में सात्विक संस्कारों का हो  बीजारोपण : मुनि अर्हतकुमारजी


"गर्भ संस्कार विधि एवं आवश्यकता" विषयक कार्यशाला का आयोजन

 गांधीनगर, बंगलुरू 03.11.2022 ;  तेरापंथ महिला मंडल, बेंगलुरु गांधीनगर के तत्वाधान में "गर्भ संस्कार विधि एवं आवश्यकता" विषय पर तेरापंथ सभा भवन में मुनि श्री अर्हतकुमारजी के सान्निध्य में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत नवकार मंत्र से प्रारंभ हुई।

 मुनि श्री अर्हतकुमारजी ने फरमाया कि संस्कार दो प्रकार के होते हैं एक कर्मजन्य और एक जन्मजात संस्कार। गर्भावस्था में मां को क्रोध, घृणा, ज़िद आदि बुरे विचार नहीं लाने चाहिए, क्योंकि गर्भावस्था में जो भी विचार होते हैं, वह परिणाम बच्चे पर पड़ता है और बच्चे की प्रकृति ठीक उसी प्रकार होती है। बच्चों में सात्विक संस्कारों का बीजारोपण करना चाहिए। उनको संस्कारी बनने के लिए उन्हें, मां को प्रवचन का श्रवण करना, सत् साहित्य का पढ़ना बहुत जरूरी है। 

 मुनि श्री भरतकुमारजी ने कहा कि महिला संस्कारी होती है, बच्चा भी संस्कार जनित होता है। प्रशिक्षका श्रीमती डिम्पल सियाल ने कहा कि एक संस्कारी बच्चा धरती पर लाने के लिए पहले से ही मां-बाप को प्लानिंग करनी चाहिए। उन्हें संकल्प करना चाहिए कि उन्हें कैसे, किस प्रकार का शिशु चाहिए। उनकी प्रकृति का पूरा असर, प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। कार्यक्रम का संचालन निर्वतमान अध्यक्षा श्रीमती शांति सकलेचा ने किया। 

  अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के द्वारा संचालित तेरापंथ दर्शन और तत्वज्ञान पाठ्यक्रम की परीक्षा का परिणाम घोषित कर, उत्तीर्ण परिक्षाओं को पारितोषिक प्रदान किया गया।

 मुनिश्री अर्हतकुमार जी ने फरमाया की तत्वज्ञान अलुणी सिला है, जिसका स्वाद लेने से ही आता है। मूल ज्ञान 25 बोल, जीव-अजीव आदि को याद कर, उसका विश्लेषण करना चाहिए, समझना चाहिए।

  मुनि श्री भरतकुमारजी ने फरमाया कि तत्त्वज्ञान जैसे कठिन ज्ञान को आपने सरलता से हृदयगम किया है और उन्होंने मंगल कामना की, कि तत्वज्ञान की ओर आगे बढ़ते रहे। महिला मण्डल अध्यक्षा श्रीमती स्वर्णमालाजी पोखरना ने सभी के प्रति मंगल कामना व्यक्त की। प्रशिक्षक विजयाजी मरोठी आदि प्रशिक्षक बहनों का जिन्होंने पूरे वर्ष सहयोग प्रदान किया, उनका सम्मान किया गया। सभी को पारितोषिक वितरण किया गया। जिसके प्रायोजक पिस्ताबाई, प्रदीपजी, शांति सकलेचा परिवार थे। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती लता गादिया ने किया। प्रशिक्षिका श्रीमती डिंपल सियाल का सम्मान अध्यक्ष स्वर्णमालाजी, शांतिजी, संतोष सोलंकी, ज्योति चोपड़ा, निर्मला सोलंकी, कांता लोढ़ा, मीना आच्छा, दमयंती कटारिया आदि के द्वारा किया गया। मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

 समाचार साभार : स्वर्णमाला पोकरणा


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